क्या मोदी जी (Modi Ji) चाहकर भी अपने मंत्री टेनी का इस्तीफा नहीं ले सकते ? : संपादकीय व्यंग्य.

किसान मोदी जी (Modi Ji) के तीन काले कानूनों का विरोध करते थे..टेनी को अपने स्वामी का विरोध पसंद नहीं आता था..टेनी जी लाल पीले होते थे..मीटिगों में बताते थे कि सफेद कुर्ते के भी भीतर छिपा मैं..सांसदी विधायकी से पहले कुछ और था..बाप सफेद कुर्ते के आगे मजबूर था..बाप को सम्मान ना देने वाले किसानों को सबक सिखाने का बीड़ा उठाया..उसके बेटे मोनू ने..मोदी जी के सम्मान में मंत्री टेनी और लड़का मोनू..
इतिहास के सबसे बड़े कांड के आरोपी बने हैं..ये कांग्रेस वाले…विपक्ष वाले और ये किसान मंत्री टेनी का इस्तीफा मांगने पर अड़े हैं..जो भी हुआ है वो सब मोदी जी के सम्मान को बचाने के लिए हुआ है..अब सर जी के सम्मान की लड़ाई लड़ने वाले को स्वंय सर जी ही कैसे शहीद कर दें..कैसे किन हाथों से किस मुंह से टेनी का इस्तीफा मांग लें..कमबख्त ये राजधर्म का पीछा ही नहीं छोड़ता..
पहले का तो ठीक था लोग कह देते थे कि राज धर्म का पालन करिए..लेकिन अब तो अपनी लाठी अपनी ही भैंस है..कांग्रेस के लोगों को मोदी जी (Modi Ji) से उम्मीद नहीं है इसलिए मंत्री का इस्तीफा लेने के लिए राष्टपति के पास गए..हालांकि मिलेगा वहां से भी कुछ नहीं लेकिन लोकतंत्र है..जानते हुए भी अनजान बनकर अपना कर्तव्य निभाना पड़ता है..कांग्रेस का कहना है मंत्री टेनी जब तक गृह राज्य मंत्री के पोस्ट पर रहेंगे तब तक उनके लड़के की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती..
अरे बाप के मंत्री रहते अगर बेटा फंस जाए..तो उतारकर फेंक देना चहिए ऐसा सफेद कुर्ता..है कि नहीं..क्यों..और बेटे के रहते कोई बाप को काला झंडा दिखा जाए..तो ऐसा बेटा होना बेकार है..हर तरफ राज धर्मों का पालन आड़े आ जाता है..खैर लखीमपुर में नरसंहार के 12-13 दिन के बाद..यूपी के कानून मंत्री…
जी हां कानून मंत्री ब्रजेश पाठक को लखीमपुर जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ है..जैसे चांज पर सबसे पहले कौन गया था ये सवाल आज तक पूछा जाता है..वैसे ही..योगी जी (Modi Ji) के 47 मंत्रियों में से पाठक जी लखीमपुर जाने वाले पहले मंत्री बन गए हैं..कभी परीक्षाओं में पूछा जाए तो याद रखिए लिख दीजिएगा..पाठक जी ने इस नरसंहार में मारे गए उन बीजेपी कार्यकर्ताओं के घर वालों का दर्द पूछा..जिनको पार्टी ने खुद भुला दिया था…
पूरा फिल्मी सीन चल रहा है..बाप मंत्री हैं..बेटा आरोपी है..मोदी जी (Modi Ji) के सम्मान में किसानों से लड़ाई लड़ी गई है..तो मोदी जी अपने मंत्री टेनी से इस्तीफा ले नहीं पा रहे हैं..पूरे लखीमपुर कांड को आप एनालाइज करेंगे तो पाएंगे की मंत्री बाप ने पहले भड़काया..अपने आप को एरिया का दादा टाइप प्रोजेक्ट किया..किसानों को धमकी दी..एक तरह से किसानों को अपना दुश्मन घोषित कर दिया..
फिर भी किसान मंत्री बाप को सम्मान नहीं दे रहे थे..काले झंडे दिखा रहे थे..मंत्री बाप का किसान विरोध कर रहे थे..जाहिर है बाप का कोई विरोध करे..तो किस भी औलाद को पसंद नहीं आएगा मोनू को भी नहीं आया..मंत्री बाप ने बेटे के मन में किसानों के लिए दुश्मनी का भाव पहले ही भर दिया था..और जो जीप किसानों पर चढ़ाई गई है..वो उसी अपमान और सम्मान की लड़ाई है..
इसमें मोदी जी (Modi Ji) के मंत्री अजय मिश्रा टेनी पूरी तरह से एक बाप के तौर पर और मंत्री के तौर पर फेल हैं..बाप बच्चे को सही रास्ते पर चालाता है..लेकिन मंत्री टेनी भड़काते थे..अजय मिश्रा टेनी मोदी जी के मंत्री नहीं भी होते तो भी..तो ये दो मिनट में सुधार देने वाले शब्द अगर किसी ब्रह्मम ऋषि के भी होते तो वो भी अहंकार आ परिचायक माने जाते..
लेकिन अजय मिश्रा टेनी तो स्वंय गुनाहों की स्याही में डूबे हुए हैं..उनपर मर्डर का आरोप है केस चल रहा है..किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि टेनी जी नेपाल में स्मगलरिंग भी करते थे..यूरिया फलाना ढिमाकाना चीजें इधर उधर करते थे..
अगर मोदी (Modi Ji) के मंत्री अजय मिश्रा टेनी अपने लड़के को नहीं भड़काते…तो लड़के की या लड़के के साथियों की हिम्मत जिंदा लोगों की भीड़ के ऊपर गाड़ी चढ़ाने की नहीं होती..ये बिल्कुल साफ है..हिम्मत तो तभी आती है जब अगले को लगता है कि हमारा क्या बिगड़ जाएगा..पापा मंत्री हैं हमारे..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.