बताओ अदालती मेल में लिख दिया सबका साथ सबका विकास, कोर्ट ने मोदी जी (Modi ji) की फोटो हटवाई : संपादकीय व्यंग्य

SUPREEM COURT REMOVE MODI PICTURE : सड़क चौराहों बस अड्डों पेट्रोल पंप..रेलवे स्टेशन..शौचालय की दीवार..वैस्क्सीन सर्टीफिकेट गरीबों के राशन वाले झोले..हर जगह मोदी (Modi ji) मुस्कुरा रहे थे..राजाजी कड़ कड़ में मुस्कुरा रहे थे..कहीं चिपके हुए थे कहीं लटके हुए थे..कहीं थैक्यू था..कहीं उपदेश…कहीं कुछ और..लेकिन हद तो तब हो गई जब कोर्ट को किए गए ईमेल में भी नीचे मोदी जी (Modi ji) की फोटो मुस्कुरा रही थी..उसमें लिखा था सबका साथ सबका विश्वास..जज साहब ने कहा अरे भईया हमको इस फोटो से क्या लेना देना..हमको काहे मुस्कुराती हुई फोटो दिखा रहे हो..सबका साथ और सबका विश्वास का हमारी अदालत से क्या लेना देना..इधर तो सबूतों और गवाहों के आधार पर ही बात होती है..चलिए ये फोटो निकालिए इधर से..और इधर सुप्रीम कोर्ट की फोटो लगाईये..मिनट से पहले आदेश की तामील कीजिए..दोस्तों ये शब्द मेरे हैं..लेकिन भावनाएं सुप्रीम कोर्ट की ही हैं..

आप पूछेंगे सुप्रीम कोर्ट को किसने मेल किया था…क्या मेल किया था क्यों मेल किया था..तो एक एक करके सब कुछ बताऊंगी..चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो तुरंत करिए..फेसबुक पर देख रहे हैं..तो तुरंत फॉलो पर हाथ मारिये..ठीक है..तो राजाजी की फोटो हटाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए दिया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को ईमेल सेवाएं या ई सेवाएं देने वाली सरकारी कंपनी है एनआईसी..यानी (National Informatics Centre) इन्हीं की सेवाएं सुप्रीम कोर्ट भी लेता है..अब इन लोगों ने नीचे लगा दी है फोटो मोदी जी (Modi ji) की..यानी सुप्रीम कोर्ट की मेल में लग कर आ रही है मोदी जी की फोटो..भईया ये कोई तुक बनता है..उनके नीचे लिखा है सबका साथ सबका विकास..मतलब चोर का भी साथ..साहूकार का भी साथ..दोषी का भी साथ निर्दोष का भी साथ..ये थोड़े होता है..वो भी सुप्रीम कोर्ट की मेल में ये लिखा रहे..बताईये क्या मैसेज जाता है..छपास का कीड़ा है ये बात ठीक है..इससे कोई नहीं इंकार सरता है भईया लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है कि कहीं भी छप जाओगे..

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र यानी (National Informatics Centre) ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ वाले नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी (Modi ji) की तस्वीर को आधिकारिक ई-मेल में नीचे लगाकर रैली वाला माहौल बनाकर सुप्रीम कोर्ट को मेल किया था..कुछ लोगों ने शिकायत कर दी..जज साहब का भी ध्यान गया..तुरंत एनआईसी के मेल में नरेन्द्र मोदी (Modi ji) की फोटो के साथ इस्तेमाल किए गए बैनर को हटाने का निर्देश दिया..और एनआईसी ने इसको हटा लिया है..तो भईया भारत की न्यायपालिका ही एक ऐसी जगह हैं जहां मंदिर मस्जिद के बाद लोग आस्था जताते हैं..यहां तक की मंदिर मंस्जिद में न्यायपालिका से न्याय मिले केस में जीत हो ऐसी दुआएं मांगते हैं..वहां की ईमेल सुविधा देने वाली कंपनी वहां की मेल में राजनीतिक नारा लिखा रहेगा और राजनीतिक दल के लीडर की फोटो लगी रहेगी तो लोगों के भीतर निष्पक्षता की भावना मजबूत कैसे होगी..

                           

इस मामले को सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप पर उठाया गया था..ये वो एडवोकेट होतेहैं जो सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने योग्य वकील होते हैं..ग्रुप में लिखे गए संदेश में वकील ने लिखा कि सर मुझे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा नोटिस भेजा गया। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की (Modi ji) तस्वीर दिखाई दे रही है। संदेश में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र अंग है नाकि सरकार का हिस्सा, ऐसे में आप से अनुरोध है कि इस मामले को CJI के सामने उठाएं और विरोध दर्ज कराएं…उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा फोटो और नारा दोनों हटाओ भाई..दोस्तों इस सच्चे वीडियो में इतना ही..मुझे twitter पर @pragyalive नाम से खोजकर फॉलो जरूर कीजिए..और मेरी वेबसाइट उल्टा चश्मा यूसी पर मेरे नए नए व्यंग्यात्मक आर्टिकल पढ़िए..कमेंट कीजिए वेबसाइट पर कमेंट का रिप्लाइ जरूर मिलेगा..चलते हैं राम राम दुआ सलाम जय हिंद..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.