5 राज्यों की हार ने मोदी को फिर मैदान में उतार दिया

2019 के सबसे बड़े इम्तिहान का वक्त जैसे जैसे करीब आ रहा है. जनता की अदालत में दावेदारियां भी रफ्तार पकड़ रही हैं. खुद की उपलब्धियों के साथ विरोधियों की कमियां ढूंढ़ने का सिलसिला भी तेज हो चला है. नए साल ने भले ही पांच दिन पूरे ना किए हों लेकिन पीएम मोदी ने पांच राज्यों को लांघ चुके हैं. तीन जनवरी को पंजाब. 4 जनवरी को असम और मणिपुर और अब झारखंड और ओडिशा. साफ है कि विरोधियों की घेरेबंदी के बावजूद पीएम मोदी को लालकिले की रेस में पिछड़ना मंजूर नहीं.

 

लिहाजा वो जहां कहीं भी जा रहे हैं सौगातों की बारिश कर रहे हैं. जनता के लिए सरकारी खजाना खोल रहे हैं. ओडिशा के बारीपदा में ऐसा ही हुआ जब पीएम मोदी ने ओडिशावासियों की झोली में 7,334 करोड़ रुपए परियोजनाएं डाल दीं.

 

 

ओडिशा में बीजेपी के मिशन 2019 के मायने बेहद खास हैं. क्योंकि इसी साल यहां लोकसभा के साथ ही विधानसभा के भी चुनाव होने हैं. 147 सदस्यों वाली ओडिशा विधानसभा में बीजेपी को पिछले चुनाव में महज 6 सीटों से संतोष करना पड़ा था वहीं इस बार उसने 120 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ओडिशा की 21 सीटों में से महज एक सीट जीत पाई थी लेकिन इस बार वो पंद्रह से ज्यादा सीटें हथियाना चाहती है.

 

आंकड़ों के लिहाज से ये लक्ष्य भले बड़ा लगे लेकिन 2017 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने बीजेडी को कांटे की टक्कर दी और कांग्रेस से नंबर दो का तमगा छीन लिया. बीजेपी की बढ़ती सियासी रफ्तार से सत्ताधारी बीजेडी बेचैन हो उठी है और यही वजह है कि जब पीएम मयूरभंज के बारीपदा में नेशनल हाईवे- 215 और 6 के फोरलेन का शिलान्यास करने पहुंचे इसके एक दिन पहले ही सूबे के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुराने हाइवेज की खस्ताहाली को लेकर केंद्र के नाम खत लिख दिया.

@narendramodi
तस्वीर सौजन्य- twitter – @narendramodi

 

इससे पहले झारखंड के पलामू पहुंचे पीएम मोदी ने पलामू मंडल बांध परियोजना की आधारशिला रखी जिससे झारखंड के 20,000 हेक्टेयर और बिहार के 90,000 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होगी. दोनों सूबों की फसलें लहलहाएंगीं.पलामू की रैली के जरिए पीएम मोदी ने कांग्रेस की कर्जमाफी पर निशाना साधा. वोट बैंक की राजनीति करने का इल्जाम भी..

 

 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली हार ने बीजेपी को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है.

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में सत्ता गंवाने के बाद ये साफ हो गया कि बीजेपी पर लोगों का भरोसा घटा है. लेकिन इसके उलट तमाम सर्वे यही कह रहे हैं कि पीएम मोदी की लोकप्रियता अब भी बरकरार है और कोई भी विपक्षी नेता उनके आस पास भी नहीं फटकता. यही वजह है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सिर्फ ब्रांड मोदी का सहारा लेने का मन बना लिया है और अपने स्टार कैंपेनर को अभी से मैदान में उतार दिया है.