अब दुष्कर्म और हत्या करने वालों को मिलेगी ‘सजा-ए-मौत’, POCSO एक्ट में हुआ बदलाव
केंद्रीय कैबिनेट ने पॉक्सो एक्ट के तहत मृत्युदंड को हरी झंडी दे दी है. इसके साथ और भी कई अहम फैसले लिए गए हैं. अब दुष्कर्म करने वालों की खैर नहीं है. किसी भी हालत में उनको बख्शा नहीं जायेगा. दुष्कर्म करने वालों को अब सीधा फांसी की सजा होगी.

12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या करने पर दोषी को मौत की सजा तो पहले से थी. लेकिन अब संशोधन के बाद बालकों को भी इससे बचाया जायेगा. यानि 12 साल से कम उम्र का लड़का हो या लड़की दोनों को यौन शोषण से बचाने और उनके साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा का इंतजाम कर दिया गया है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा-
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा कि बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण होना चाहिए. ये एक संपूर्ण कोशिश है जिसमें पॉक्सो अधिनियम की पूरी संरचना को न केवल मजबूत किया गया है बल्कि इसका विस्तार भी किया गया है ताकि बच्चों से उनकी बाल्यावस्था छीनने के लिए दवाइयों या हार्मोन का इस्तेमाल नहीं किया जा सके. संशोधित कानून में पोस्को कानून की धारा 4,5,6,9,14,15 और 42 में संशोधन करने का प्रस्ताव है.
- धारा चार में संशोधन करके 16 साल से कम उम्र के बच्चे के साथ पेनीट्रेटिव सैक्सुअल असाल्ट में न्यूनतम सात साल की सजा को बढ़ा कर न्यूनतम 20 साल कैद करने का प्रस्ताव है.
- पैसे के बदले यौन शोषण और बच्चे को जल्दी बड़ा यानी वयस्क करने के लिए हार्मोन या रसायन देना भी एग्रीवेटेड सैक्सुअल असाल्ट माना जाएगा.
- धारा 15 में संशोधन होगा जिसमें व्यवसायिक उद्देश्य से बच्चों की पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री एकत्रित करने पर न्यूनतम तीन साल की सजा का प्रावधान है.
- बच्चों से पोर्नोग्राफी की बुराई से निपटने के लिए पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 14 और धारा 15 में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.
क्या है पॉक्सो एक्ट ?
साल 2012 में यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया था. इसमें नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले हर तरह के अपराधों के मामलों में कार्रवाई की जाती है. ये एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा करता है. इसके तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.