मायावती ने कहा- गठबंधन बनाये रखने के लिए अखिलेश को माननी होगी ये शर्त-
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन का ठीकरा सीधा समाजवादी पार्टी पर फोड़ दिया है. मायावती को समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन के बाद भी दस सीट मिली हैं. इससे बहन जी संतुष्ट नहीं हैं.

आज मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सपा-बसपा गठबंधन को राजनीतिक मजबूरी बताया है. उन्होंने कहा कि अखिलेश और डिम्पल से रिश्ते कभी खत्म नहीं हो मैंने हमेशा यही कोशिश की है. समाजवादी पार्टी में भीतरघात हुआ है जिसके फलस्वरूप उनके मजबूत उम्मीदवार हार गए. वोट नहीं मिलने के कारण ही डिंपल यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा है.
हालांकि, हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. जब सपा को ही यादवों का वोट नहीं मिला तो बसपा को उनका वोट कैसे मिला होगा. इसलिए अब इस गठबंधन पर रोक लगाई जा रही है. अगर हमें लगेगा की अखिलेश अपने राजनीतिक कार्यों और अपने लोगों को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो हमलोग मिलकर जरूर आगे एक साथ फिर से चुनाव लड़ेंगे.
ये कोई परमानेंट ब्रेक नहीं है. हमने अभी वर्तमान स्थिति में होने वाले उपचुनाव में अकेले ही लड़ने का फैसला लिया है. इससे पहले सोमवार को उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ समीक्षा बैठक की, इस बैठक में प्रदेश के बसपा जिला अध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर, नवनिर्वाचित सांसद, पराजित प्रत्याशी और पार्टी पदाधिकारी शामिल रहे थे.
साथ ही मायावती ने शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि शिवपाल यादव ने बीजेपी को यादव वोट ट्रांसफर कराए हैं और सपा इसे रोक नहीं पाई. शिवपाल बीजेपी से मिले हुए हैं. माया यहाँ ही नहीं रुकीं उन्होंने ये तक कह दिया कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी चुनाव नहीं जिता पाए. गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ. वोट ट्रांसफर का फार्मूला सफल नहीं रहा है.