सपा ने 4 और बसपा ने 6 मुस्लिमों को दिए थे टिकट, फिर मायावती ने क्यों लगाए आरोप ? जानें-
बसपा सुप्रीमों मायावती ने जोनल कोऑर्डिनेटरों और सांसदों के साथ बैठक करके अखिलेश पर मुस्लिमों को टिकट न देने का आरोप लगाया. की अखिलेश ने ही मना किया था कि मुसलमानों को ज्यादा टिकट न दीजिये.

माया ने कहा कि अखिलेश ने मुझसे बोला था कि ज्यादा मुसलमानों को टिकट देने से ध्रुवीकरण होगा. लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी. बतादें कि लोकसभा चुनाव में सपा ने 4 और बसपा ने 6 मुस्लिमों को टिकट दिए थे. और दोनों दलों के तीन-तीन सांसद विजयी भी रहे थे. इससे लगता है कि चुनाव में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन मुसलमानों की पहली पसंद रहा है.
सपा ने चार सीटों कैराना, मुरादाबाद, संभल और रामपुर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. इनमें कैराना को छोड़कर शेष तीन सीटों पर सपा के मुस्लिम सांसद चुने गए हैं. वहीं बसपा ने 6 लोकसभा सीटों सहारनपुर, मेरठ, अमरोहा, धौरहरा, डुमरियागंज और गाजीपुर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. इनमें सहारनपुर, अमरोहा और गाजीपुर से बसपा के मुस्लिम सांसद विजयी हुए हैं.
सपा के मुस्लिम सांसद- मुरादाबाद से डॉ. एसटी हसन, संभल से शफीकुर्रहमान बर्क और रामपुर से आजम खां
बसपा के मुस्लिम सांसद- सहारनपुर से फजलुर्रहमान, अमरोहा से दानिश अली और गाजीपुर से अफजाल अंसारी.
इसके बाद मायावती ने मुलायम सिंह को भी नहीं छोड़ा उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर वाले केस में मुझे फंसाने के पीछे बीजेपी और मुलायम सिंह का हाथ है. इतना ही नहीं 2006 में जब बसपा संस्थापक कांशीराम जी की मृत्यु हुई तो केंद्र की कांग्रेस सरकार की तरह यूपी की मुलायम सिंह यादव सरकार ने न तो एक भी दिन का शोक घोषित किया और न ही दो फूल ही चढ़ाने पहुंचे.
इसके पहले भी मायावती शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोल चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि शिवपाल यादव ने बीजेपी को यादव वोट ट्रांसफर कराए हैं और सपा इसे रोक नहीं पाई. शिवपाल बीजेपी से मिले हुए हैं. माया यहाँ ही नहीं रुकीं उन्होंने ये तक कह दिया कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी चुनाव नहीं जिता पाए. गठबंधन का कोई फायदा नहीं हुआ. वोट ट्रांसफर का फार्मूला सफल नहीं रहा है.