मायावती नहीं जीत पाईं बीजेपी विरोधी वोटरों का भरोसा, अवसरवादी होने का ठप्पा गाढ़ा हुआ

मायावती ने सीबीआई के डर से कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं किया. इस बात की चर्चाएं सियासी गलियारों में खूब हैं. वाले छोटे और मंझोले नेता 2019 में बनने वाले गठबंधन पर चाय की दुकानों पर भयंकर डिबेट कर रहे हैं. और बड़े नेता सत्ता का खेल समझकर कुछ नहीं बोल रहे हैं

 

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मायावती का दिग्विजय सिंह वाला बहाना नहीं चल पाया

मायावती का कहना है कि कांग्रेस से राहुल गांधी और सोनिया गांधी चाहते हैं की गठबंधन हों लेकिन दिग्विजय सिंह ने गठबंधन नहीं होने दिया. लेकिन मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की आज की तारीख में कोई पूछ नहीं है. दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश के राजनीतिक बियाबान में खो चुके हैं. कांग्रेस दिग्विजय को पहले ही किनारे लगा चुकी है. तो फिर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चाहने के बावजूद दिग्विजय सिंह कैसे गठबंधन को रोक सकते हैं. यहां मायावती का पहला बहाना फेल होता है

मायावती पर बीजेपी का दबाव है ? दूसरा तर्क

मायावती बाजेपी के दबाव में हैं इसका दूसरा तर्क ये है कि अगर बीजेपी 2019 से पहले कोई भी चुनाव हारी तो 2019 मे मैसेज बहुत बुरा जाएगा. मायावती अपने ऊपर लगे आरोपों से भी डरी हुई हैं. उनको सीबीआई का डर भी है. इसीलिए बीजेपी से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहतीं. लोगों की कानाफूसी के मुताबिक इसीलिए कांग्रेस के साथ गठबंधन बनने से पहले ही तोड़ लिया. और तर्क दिया कि कांग्रेस बीजेपी से ज्यादा खतरनाक है. कांग्रेस बीएसपी के मूवमेंट को खत्म कर देना चाहती है

मायावती अखिलेश के साथ 2019 में नहीं करेंगी गठबंधन ?

चर्चाएं यहां तक हैं कि मायावती 2019 में यूपी में अखिलेश के साथ बनने वाले गठबंधन से भी समय आने पर कन्नी काट जाएंगी. क्योंकि मायावती किसी भी हालत में सीबीआई और ईडी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहतीं. 2019 में भी सीटों के बंटवारे का हवाला देकर मायावती अकेले ही चुनाव लड़ सकती हैं. और बीजेपी मायावती को मुख्यमंत्री बनाने पर राजी हो सकती है

बीजेपी विरोधी वोटरों में भरोसा पैदा करने में फेल हुईं मायावती

मायावती अगर राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में गठबंधन को तैयार हो जातीं तो यूपी के बीजेपी विरोधी वोटरों का भरोसा और विश्वास जीतने में कामयाब होतीं. भले ही वहां उनकी हार होती या जीत होती. 2019 को देखते हुए मायावती लोगों के मन में भरोसा कायम करने में असफल साबित हुई हैं. ऐसे में उनपर अवसरवादी होने का ठप्पा और गाढ़ा हो रहा है

2019 में बिना गठबंधन के विपक्ष पत्ते की तरह बिखर जाएगा

अगर मायावती यूपी में बिना गठबंधन के चुनाव लड़ती हैं तो आज के ABP न्यूज के सर्वे के मुताबिक NDA 80 में से 70 सीटें जीतेगा 2 सीटें कांग्रेस के पास जाएंगी, 8 सीटें अन्य को मिलेंगी यानी मायावती का अलग लड़ने का मतलब है बीजेपी को समर्थन जो कि मायावती पांच राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दे चुकी हैं.
((लेखक लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के पूर्व प्रोफेसर हैं..लेख में उनके अपने विचार हैं..जिनसे ultachasmauc.com सहमत या असहमत नहीं है ))