कुंभ में लगी पहली ‘आस्था की डुबकी’, बढ़ा स्नान करने का महत्व
मंकर संक्रांति के मौके पर प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने आज सोमवार की सुबह आस्था की और साल की पहली डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर स्नान किया. दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक मेला प्रयागराज कुंभ मंगलवार को मकर संक्रांति के साथ शुरू हो रहा है. जो 15 जनवरी से 4 मार्च तक कुल 49 दिन चलेगा.

15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद
प्रयागराज कुंभ में इस बार करीब 13 से 15 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद जताई जा रही है. जिसमें करीब 10 लाख विदेशी नागरिक भी शामिल हैं. कुंभ के प्रथम स्नान मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को देश-दुनिया से आने वाले संतों-भक्तों को पहली बार पुण्य की डुबकी लगाने के लिए आठ किमी लंबा संगम का किनारा मिलेगा. रविवार को स्नान की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है. मेला प्रशासन ने मकर संक्रांति स्नान पर करीब 1.50 करोड़ से अधिक भक्तों के प्रयागराज पहुंचने का अनुमान लगाया है. इसके लिए प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के इंतजाम भी कर लिए हैं.
स्नान घात तैयार
घाटों पर स्नान के दौरान श्रद्धालु गहरे पानी न जाने पाएं, इसके लिए बैरीकेडिंग कराई गई है. साथ ही सुरक्षा जाल भी लगवा दी गई है, ताकि डुबकी लगाने के दौरान अगर किसी का पैर फिसल जाए तो भी वह गहरे जल में न जाने पाए. हर स्नान घाटों पर मजिस्ट्रेट और सीओ की ड्यूटी लगा दी गई है. साथ ही गोताखोरों के दस्ते भी लगातार स्नान घाटों पर तैनात कर दिए गए हैं. जल पुलिस मोटरबोट से संगम के लंबे जलमार्ग पर लगातार गश्त कर कर रही है. स्नानार्थियों की सुविधा के लिए सेक्टरवाइज पहुंच मार्गों पर 95 स्थानों पर पार्किंग बनाई गई है.
बढ़ गया स्नान का महत्व
ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत जुगलबंदी के कारण स्नान का महत्व और भी बढ़ गया है. मकर संक्रांति पर दो राशियों में दो ग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. वहीं, साध्य योग व कौलव करण होने से संगम में डुबकी लगाने मात्र से ही श्रद्धालुओं को अश्वमेध यज्ञ कराने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होगी. सोमवार की रात 2.12 बजे सूर्य का संक्रमण मकर में हो रहा है. इससे सूर्य धनु राशि से चलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसके साथ सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे. यहीं से देवताओं का दिन व दैत्यों की रात आरंभ होगी. इसके साथ शादी, विवाह, गृहप्रवेश व मुंडन सहित सारे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे.
10 करोड़ लोगों को आने का निमंत्रण
मेले में 50 करोड़ की लागत से 4 टेंट सिटी बसाई गई हैं, जिनके नाम कल्प वृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट सिटी, इन्द्रप्रस्थम सिटी हैं. इस बार कुंभ की थीम- स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ है. सरकार ने 10 करोड़ लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर उन्हें कुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया है. भारत में 4 जगहों पर कुंभ होता है. जिसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक आते हैं. इनमें से हर स्थान पर 12वें साल कुंभ होता है. लेकिन प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है.
सुरक्षा के इंतजाम
प्रयागराज का कुंभ हिन्दू तीर्थयात्रियों और इतिहास के उत्साही शोधकर्ताओं के लिए एक खजाना है. यहाँ आकर सभी लोग प्राचीन मंदिरों, स्मारको तथा अनेक पर्यटक स्थलो को घूम कर आनन्दित हो जाते हैं. योगी सरकार ने यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के घूमने, स्नान करने और उनकी सुरक्षा के बेहतरीन इंतजाम किये हैं. कुंभ मेले में आने वाले लोग फ़ेमस जगह जैसे- हनुमान मंदिर, मनकामेश्वर, अशोक स्तम्भ और स्वराज भवन जैसे अनेक भवनों को जरूर घूमते हैं और फोटोज़ भी खींचते हैं.
चार स्पेशल बोट मंगवाईं
कुंभ में स्नान करने के लिए आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शासन ने सुरक्षा व्यवस्था भी सख़्त कर रखी है. किसी भी प्रकार की कोई अनहोनी न हो उससे निपटने के लिए पहली बार कुंभ में न्यूजीलैंड से चार विशेष प्रकार नाव मंगवाई गईं हैं. स्नान करते वक्त किसी के भी स्वास्थ्य को हानि हुई तो तुरंत ये विशेष नाव रेस्क्यू करेंगी और इलाज भी मुहैया कराएंगी. इसलिए इन नावों को सर्च ऑपरेशन रेस्क्यू बोट का नाम दिया गया है. इस बोट में 12 से 14 लोग आराम से बैठ सकते हैं. चारों नावों की कीमत एक करोड़ चालीख रुपए बताई जा रही है. यानि एक बोट की कीमत करीब 25 लाख रुपए है.
समुंद्र मंथन
संगम नगरी में पर्यटन विभाग की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सात एकड़ क्षेत्रफल में संस्कृति ग्राम बनाया गया है. यहाँ समुंद्र मंथन की एक झांकी लगाई जाएगी, जिसकी लम्बाई 125 फुट और चौड़ाई आठ फुट के करीब होगी. सबसे ख़ास ये है की झांकी दिखाने के लिए 110 फुट का विशालकाय सर्प बनाया गया है. और चारो कोने पर 15 फीट ऊंचाई वाले चार हाथी बना कर लगाए गए हैं. एक हाथी का वजन 800 किलो है. इसके साथ ही झांकी में बड़े-बड़े रुद्राक्ष के पेड़ भी लगाए गए हैं.
प्रमुख स्नान
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है. स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है. फिर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है.
पहला स्नान: मकर संक्रांति 15 जनवरी (माघ मास का प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है)
दूसरा स्नान: पौष पूर्णिमा-21 जनवरी, इस दिन पूर्ण चन्द्र निकलता है. और इसी दिन से कुम्भ मेला की अनौपचारिक शुरूआत कर दी जाती है.
तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या-4 फरवरी, इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान करने वालों के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है.
चौथा स्नान: बसंत पंचमी-10 फरवरी, विद्या की देवी सरस्वती का दिवस ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है.
पांचवा स्नान: माघी पूर्णिमा-19 फरवरी, ये दिन गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा होता है.
छठां स्नान: महाशिवरात्रि-4 मार्च, ये अन्तिम स्नान है. तो भगवान शंकर से जुड़ा है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. मानना है की देवलोक के देवता भी इस दिन का इंतजार करते हैं.