लखनऊ KGMU का हाल, नहीं हो रहा इलाज, अस्पताल के बाहर तड़प कर मर रहे मरीज़, देखें भयानक स्थिति
राजधानी लखनऊ के अस्पतालों की हालत आप देखेंगे तो सच में आप कांप जायेंगे. सीएम योगी ने जब से कुर्सी संभाली है तब से ही रोज़ाना ग़रीब जनता के लिए कोई न कोई योजना या सुविधाएँ दी जा रही हैं. लेकिन क्या असल में ऐसा है क्या ? आज आप जान लीजिये-

लखनऊ चौक का केजीएमयू अस्पताल जहां सिर्फ यूपी से ही नहीं बल्कि बाहर से भी लोग यहाँ इलाज कराने आते हैं. दूर दूर से गरीब बेसहारा लोग यहाँ आते हैं. और आज भी उनको इलाज नहीं मिलता और कूड़े की तरह अस्पताल से बाहर फेंक दिया जाता है. अगर आपको या आपके परिवार में कोई बीमार हो जाये तो आपको यहाँ स्ट्रेचर तक नहीं मिलेगा की आप उनको अंदर ले जा सकें.
अगर आप अंदर जाने भी लगे तो वहां के गार्ड वाले भी बत्तमीज़ी पर उतर आते हैं. मरीज की आखिरी सांसे चल रही हैं मगर अस्पताल के डॉक्टर्स के पास उनके लिए समय नहीं है. वो अस्पताल के बाहर ही बड़े रहते हैं. और एक दो दिन में वहीं पड़े पड़े मर जाते हैं.
पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा जब केजीएमयू अस्पताल का हाल जानने पहुंची तो वहां की हालत देख कर वो ख़ुद बीमार हो गईं. दरअसल अस्पताल के बाहर इतनी बदबू थी की वहां खड़े होना भी मुश्किल है. तो अब आप सोचिये की उस मरीज का क्या हाल होगा जो उसी बदबू में ज़मीन पर पड़ा है.
प्रज्ञा ने जब इसके बारे में वहां मौजूद गार्ड वालों से पूछा तो कोई कैमरे के सामने न आ पाया. एक महिला गार्ड ने कहा कि आप लोग अपनी बात ऊपर तक पहुंचाए. हमलोग वही करते हैं जो हमसे कहा जाता है.
अब ये तो साफ़ है की आर्डर ऊपर से ही आते हैं. तो अब सवाल ये है कि कोई मरीज इतनी दूर से आया है उसकी आखिरी सांसे चल रही हैं और यहाँ उसको अस्पताल में घुसने न दिया जाये इतने में अगर वो मरीज मर जाये तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा ?
और ऐसा रोज़ाना ही होता है. सैकड़ों की संख्या में मरीज़ बिना इलाज के ही अस्पताल के बाहर पड़े पड़े मर जाते हैं. क्या आपके ज़िंदगी की कोई कीमत नहीं है ?क्या सरकार इनको कोई मुआवजा देगी ? या उसके गुनहगारों-हत्यारों पर कार्यवाही कब होगी. या फिर मौतों का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन का शुभारंभ किया था और इस योजना के माध्यम से 10 करोड़ से ज्यादा परिवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज मिलने वाला था. तो क्या सीएम योगी के मंत्रियों ने सिर्फ कागजों पर ही योजना पूरी की है ? अगर मंत्री को गरीबों की चिंता होती तो आज हर गरीब के पास आयुष्मान भारत का कार्ड होता. मगर सीएम योगी के मंत्रियों ने तो आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन की धज्जियाँ ही उड़ा दी हैं.
कोई प्राइवेट अस्पताल हो तो कहा जाये मगर सरकारी अस्पताल में ही ऐसा होगा तो जनता क्या करेगी. जिसने बड़े ही उम्मीदों से बीजेपी सरकार को चुना है. ऐसे नेता मंत्रियों पर कब कार्यवाही होगी ?
योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं सिद्धार्थ नाथ सिंह, पिछली बार उनसे पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हालात पहले से ही ख़राब है. इसको ठीक होने में समय लगेगा. अब बताइये जब 2 साल हो चुके हैं सरकार के और मंत्री अभी तक पिछली सरकार पर ही राजनीति करने में लगे हैं. सोचिये अब लखनऊ जहां खुद मुख्यमंत्री 24 घंटे रहते हैं. वहां उसके मंत्री ऐसी लापरवाही कर रहे हैं तो यूपी के और जिलों की हालत क्या होगी आप खुद ही सोच सकते हैं.