अखिलेश और माया ने किया एक-दूसरे से ‘अनोख़ा वादा’, सब देखते रह गए
बरसों बाद आज बुआ मायावती और बबुआ अखिलेश का लखनऊ के ताज होटल में भरत मिलाप हुआ. दोनों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. ठीक उसी तरह जैसे आज से 2 साल पहले अखिलेश राहुल से मिले थे. जगह भी वही थी और समय भी लगभग वही था. बस बदला था तो वो था साथी. पहले अखिलेश के साथ राहुल थे लेकिन इस बार उनकी मुँहभोली बुआ साथ हैं.

1993 में दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी
राहुल जब अखिलेश के साथ थे तो जनता के साथ साथ किसी पार्टी को भी उनका साथ पसंद नहीं आया था. जिसके कारण अखिलेश को यूपी की सत्ता गवानी पड़ी थी. मगर इस बार माया साथ हैं. और दोनों ने आज ये वादा किया है की ये गठबंधन लम्बे समय तक चलेगा. सपा-बसपा 25 साल के बाद एक साथ मिले हैं. सन 1993 में दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी. फिर माया के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा होने लगी थी. तो सपा के नाराज़ कार्यकर्ताओं ने माया के गेस्ट हॉउस पर हमला कर दिया था. उस वक्त मायावती भी अंदर मौजूद थीं. बस तभी से दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए थे.
कांग्रेस को अलग करने का कारण
माया ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा की आप ये जरूर जानना चाहते होंगे की हमने अपने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल क्यों नहीं किया तो मैं बता दूँ की आजादी से अब तक के शासन में कांग्रेस सरकार ने सिवाए लूटने के कुछ नहीं किया है. और उनकी सरकार में गरीब, मजदूर, किसान, हर कोई परेशान रहा है. इन्ही सब कारणों से कांग्रेस को सपा-बसपा गठबंधन से दूर रखा गया है.
यूपी की जनता को धन्यवाद
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सपा-बसपा के गठबंधन को स्वीकारने के लिए आप सभी मीडियावालों और यूपी की जनता को धन्यवाद. इस समय देश की बहुत ही बुरी हालत है उसी को देखते हुए सपा-बसपा ने एक होने का फैसला लिया है. बीजेपी के लोग सिर्फ सत्ता के अहंकार में चूर हैं. यूपी में बीजेपी मुकाबला करने के लिए हम दोनों साथ आए हैं. अखिलेश ने कहा कि आज से सपा कार्यकर्ता ये समझ लें कि मायावती का अपमान मेरा अपमान है. मैं मायावती जी का पूरा आदर करता हूं. समाजवादी कभी किसी का अपमान नहीं करते.
सीटों का हुआ बटवारा
लोकसभा सीटों को लेकर माया ने कहा की सपा-बसपा ने पिछली 4 जनवरी को दिल्ली में ही सीटों पर चर्चा कर ली थी. यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से बसपा 38 सीटों पर, सपा 38 सीटों पर और 2 सीट अन्य सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी हैं. और दो अमेठी (राहुल गांधी की सीट) और रायबरेली (सोनिया गांधी की सीट) की सीटें कांग्रेस को बिना शामिल किये उसके लिए छोड़ दी हैं. ताकि कांग्रेस के साथ बीजेपी को भी उस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने का मौका मिल सके.
लम्बे समय तक का वादा
मायावती ने कहा ‘‘गेस्ट हाउस कांड को किनारे करके देश हित और जन हित में हम सपा से गठबंधन कर रहे हैं. और इस बार ये गठबंधन लम्बे समय तक चलेगा. जब दोबारा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होंगे, तब भी हमारा ये गठबंधन कायम रहेगा.’’ मायावती ने तो कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही अपने गठबंधन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ाने वाला बता दिया.
जेटली ने गठबंधन पर कसा तंज
सपा-बसपा के गठबंधन पर जेटली ने कहा, “ये आपसी दुश्मनों का गठबंधन है. न उनके वोटों में समानता है और न ही उनके उद्देश्य एक हैं. गिनना शुरू करिए तो एनडीए में पिछली बार 24 साथी थे, अब 35 हैं. सपा-बसपा जिसको लाभ समझ रहे हैं. उसको जनता कैसे समझती है, ये बहुत जल्द सामने आएगा. जेटली ने कहा, जनता की हमसे उम्मीदें बढ़ गई हैं. बेहतर संगठन हमारे साथ है, इसमें कोई शक नहीं कि हम दोबारा सत्ता में आएंगे.”
बीजेपी को हो चुका है नुकसान
सपा-बसपा मिलकर एक बार बीजेपी को बड़ा नुक्सान पहुंचा चुके हैं. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा ने सपा उम्मीदवार को वोट देने की अपील की थी. वहीं, कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार को सपा-बसपा और कांग्रेस ने समर्थन दिया. जिससे तीनों जगहों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.
2014 के लोकसभा चुनाव की स्थिति- कुल सीटें: 80
पार्टी सीटें वोट शेयर
भाजपा+ 73 42.6%
सपा 05 22.3%
बसपा 00 19.8%
कांग्रेस 02 7.5%