समाजवादी कुछ तूफानी देखने आए थे..लेकिन फिर खाली होने लगा मैदान..

समाजवादी पार्टी के 9वें राज्य सम्मेलन में नरेश उत्तम पटेल को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया है..बहुत सारे समाजवादियों को उम्मीद थी की कुछ तूफानी होगा..कोई दूसीर जाति का..किसी दूसरी उम्र का किसी दूसरे (Samajwadi Party 9th Conference) को भी मौका मिलेगा..किसी दूसरे को मौका मिलेगा..तो हो सकता है वो राजनीति में नए तरीके से दिमाग लगाए..हो सकता है वो यूपी के लोगों के बीच नई तरीके से पैठ बनाए..हो सकता है उसके साथ नई संभावनाएं आएं..हो सकता है..
4 बार की हार का कीर्तिमान उसकी कर्मशीलता के आधे धवस्त हो जाए..बहुत लोगों को उम्मीद थी कि नरेश उत्तम पटेल खुद समाजवादी पार्टी का अगला प्रदेश अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव लेकर आएंगे..और कहेंगे कि मैंने प्रदेश अध्यक्ष (Samajwadi Party 9th Conference) रहकर पार्टी की खूब सेवा कर ली..अब किसी और को भी मौका दिया जाए लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ..सपा के निर्वाचन अधिकारी राम गोपाल यादव की जोर से आवाज आई कि नरेश उत्तम पटेल सपा के अगले प्रदेश अध्यक्ष होंगे..उसी के साथ..लाखों समाजवादियों का हवाई किला ध्वस्त हो गया..
समाजवादी पार्टी में किसी को भी मौका मिल सकता है..कोई भी फर्श से अर्स तक पहुंच सकता है..ये संदेश देने में अखिलेश यादव इस बार भी नाकाम रहे..रमा बाई अंबेडकर मैदान में तमाम सारे लोग नई तरह की राजनीति करने वाले अखिलेश का चौकाने वाला फैसला देखने भी आए थे..जिन्होंने धीरे पतली गली पकड़ना शुरू कर दिया..
हाल ये हुआ कि रमा बाई अंबेडकर मैदान में दोपहर बाद तक मंच तो नेताओं से भरा रहा..मंच से एको नेता ने कुर्सी नहीं छोड़ी लेकिन मैदान से कार्यकर्ता गायब हो गए..समाजवादी पार्टी की बीट कवर करने वाले हमारे सहयोगी चैनल ने जब ये तस्वीर अपने कैमरे में कैद की तो वो भी भी हैरान थे..कि इतने लंबे समय के बाद समाजवादी पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम हो रहा है और उस कार्यक्रम में कार्यकर्ता निराश होकर चले गए हों..
जब तक समाजवादी पार्टी अपने भीतर बदलाव नहीं करेगी..जब तक कार्यकर्ताओं के भीतर ये भरोसा नहीं जागेगा कि यहां भी किसी को भी कुछ भी बनाया जा सकता है..पता नहीं पार्टी में कब किस वर्ग के नेता को क्या चुन लिया जाए (Samajwadi Party 9th Conference) कहा नहीं सकता..तब तक पार्टी के भीतर फैल चुकी नीरसता की चादर को नहीं हटाया जा सकता..सिर्फ फ्रंटल संगठनों को भंग करने से कुछ नहीं होता..लोहिया वाहिनी..युवा वाहिनी..महिला ब्रिगेड वाले फ्रंटल संगठनों के ही अध्यक्ष नहीं बदले जाने चाहिए..
ये क्षात्र संगठन चुनाव नहीं लड़ते..चुनाव समाजवादी पार्टी लड़ती है..पार्टी में प्रदेश के मुखिया यानि प्रदेश अध्यक्ष का भी चुनाव होना चाहिए..लोकतांत्रिक पार्टियों में प्रदेश अध्यक्ष का पद आजीवन बने रहने का पद नहीं है..बार बार हरने वाली टीम अपनी टीम में बदलाव करती है..जो खिलाड़ी नहीं चलता उसके बैटिंग (Samajwadi Party 9th Conference) ऑर्डर में बदलाव करती है..जब परिणाम स्थिर हो जाएं तो बदलाव ही सबसे बेहतर विकल्प है..जिसकी उम्मीद 9वें राज्य सम्मेलन से लोगों को थी..लेकिन वो बदलाव हुआ नहीं..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.