कौन जीतेगा दिल्ली ? बड़ा ही दिलचस्प है मुक़ाबला, कौन है किसके सामने, जानें गणित-
लोकसभा चुनाव में राजधानी दिल्ली की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है. यहाँ 7 लोकसभा सीट हैं. और वर्तमान समय में ये सभी सीटें बीजेपी के पास हैं. और इस बार जो भी होगा वो वाकई ऐतिहासिक होने वाला है. आइये जानते हैं क्या कहते हैं दिल्ली के चुनावी समीकरण.

23 अप्रैल दिन मंगलवार को इन सभी 7 सीटों पर नामांकन करने का आज आखिरी दिन है. और पार्टियां इतना जोड़ घटाने में लगीं हैं की सोमवार तक पूरे उम्मीदवार ही नहीं उतार पाई थीं. तो बताओं भला वो प्रत्याशी अपने लिए वोट कब मांगेंगे ? आज मंगलवार को सभी पार्टियों के बचे हुए उम्मीदवारों का ऐलान हो गया है.
कांग्रेस ने अपने सारे उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. जिसमें-
- चांदनी चौक- जेपी अग्रवाल
- नई दिल्ली- अजय माकन
- पश्चिमी दिल्ली- महाबल मिश्रा
- उत्तर-पश्चिमी दिल्ली- राजेश लिलोथिया
- उत्तर-पूर्वी दिल्ली- शीला दीक्षित
- पूर्वी दिल्ली- अरविंदर सिंह लवली
- साउथ दिल्ली- रमेश कुमार
वहीँ दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के भी सभी प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं और छह प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव के लिए सोमवार को अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल किए. इसमें-
- चांदनी चौक- पंकज गुप्ता
- नई दिल्ली- ब्रजेश गोयल
- उत्तर-पश्चिमी दिल्ली- गुग्गन सिंह
- पश्चिमी दिल्ली- बलबीर सिंह जाखड़
- दक्षिणी दिल्ली- राघव चड्ढा
- उत्तरी-पूर्वी दिल्ली- दिलीप पांडेय
- पूर्वी दिल्ली- आतिषी
अब आती है बीजेपी की बारी तो बता दें बीजेपी ने भी सातों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं. और 5 सीटों पर मौजूदा सांसदों को ही प्रत्याशी बनाया गया है.
- चांदनी चौक से डॉ. हर्षवर्धन
- उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी
- पश्चिम दिल्ली से प्रवेश वर्मा
- दक्षिणी दिल्ली से रमेश बिधूड़ी
- नई दिल्ली से वर्तमान भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी
- पूर्वी दिल्ली सीट से क्रिकेटर गौतम गंभीर.
- उत्तर-पश्चिम (सुरक्षित)- हंस राज हंस
हालांकि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में होने वाला मुकाबला दिलचस्प होगा क्योंकि यहां भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाम कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की लड़ाई है. इससे पहले इसे आप के दिलीप पांडेय बनाम मनोज तिवारी देखा जा रहा था. जिसमें मनोज तिवारी का पलड़ा भारी नजर आ रहा था. मगर अब तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षि के इस सीट से उतरने पर कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी अपनी पूरी ताकत लगा रखी है. महीनों से वे कांग्रेस से गठबंधन के लिए जैसे बेताब थे. मगर कांग्रेस ने उन्हें घास तक नहीं डाली. जिसके बाद उन्होंने अपने सारे खिलाड़ी मैदान में उतारे हैं. वहीं इस बार बीजेपी के लिए सभी सीटें जीतना आसान नहीं होगा.
अब अगर दिल्ली की जनता की बात करें तो इस बार कुछ बड़ा होने वाला है. क्युकी दिल्ली की जनता हर बार कुछ नया करती है. 2009 में सभी सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं. और 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली ने सातों सीटें बीजेपी को जिता दी थीं. अब इस बार क्या होगा ? क्या बीजेपी कुछ सीटें बचा पायेगी या फिर कांग्रेस बाजी मारेगी. या फिर कांग्रेस-बीजेपी को तो देख ही लिया है. कहीं अब केजरीवाल की तो बारी नहीं है. बड़ा ही रोमांचक मुक़ाबला होगा.