गृह राज्य मंत्री का लड़का (Ashish Mishra Teni) जेल में रहे.. ये देश को शोभा देता है क्या ? : संपादकीय व्यंग्य

कुछ नादान लोग आशीष मिश्रा (Ashish Mishra Teni) टेनी के पिता जी का इस्तीफा मांग रहे थे…कहते थे जब तक टेनी जी गृह राज्य मंत्री हैं तब तक किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने वाले मंत्री के लड़के को कुछ नहीं होगा..अरे भईया अगर गृह राज्य मंत्री रहते उनके लड़के को कुछ हो जाए..तो ऐसे मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए..बाप अगर बेटे को बचा रहा है तो ये तो बाप का कर्तव्य है..जब सईंया कोतवाल हैं..तब की मोनू भईया डरें तो बेकार है..
जब उन्हीं को सबूत दिलवाने हैं..उन्हीं को गवाही दिलानी है..उन्हीं को केस लड़वाना है..उन्हीं को पैरवी करवानी है..और उन्हीं को अपने लड़के को बचाना है.. तो आपको लगता है कि वो अपने ही लड़के को कुछ होने देंगे..हमारे यहां कानून की आंख में पट्टी बंधी होती है..कानून को जो दिखाया जाएगा वही देखता है..मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा (Ashish Mishra Teni) टेनी जी को जमानत मिल गई है..मोनू भईया को तो गृह राज्य मंत्री टेनी जी ने पहले ही क्लीन चिट दे दी थी..वो तो मीडिया से बचाने के लिए मोनू भईया को कुछ दिन छिपाकर जेल में रखा गया था..जाड़ा खत्म हो गया है..मोनू भईया अब बाहर आ जाएंगे..
इस देश में किसी आम आदमी ने इतने किसानों को जीप चढ़ाकर मार दिया होता तो..क्या होता ये देश का बच्चा बच्चा जानता है..जमानत में खानदान की चप्पलें तक बिक जातीं लेकिन जमानत नहीं मिलती..मैं कोर्ट पर कोई सवाल नहीं उठा रही हूं..लेकिन जिन लोगों को केस मजबूती के साथ रखना है..वो आरोपी के पिताजी को सैल्यूट ठोकते हैं..तो बेटे को सजा क्या खाक दिलाएंगे..
कानून कोर्ट कचहरी और अदालतें..पैरवी मांगती हैं..खैर मुझे क्या लेना देना..मंत्री जी आप खुश रहिए मोनू भइया अगर आपके पास समय हो तो चुनाव लड़ने की तैयारी करिएगा..आपको हुई असुविधा के लिए देश को खेद है..बाकी किसान तो पैदा ही मरने के लिए होते हैं..आप जीप नहीं चढ़ाते तो आम के पेड़ से लटककर मर जाते..
कर्ज के बोझ से मर जाते..जो लोग फसल खराब होने पर..ब्याज की रकम ना दे पाने पर मर जाते हों..उनके मरने पर किसी को क्या सजा देना..और वो भी गृह मंत्री के लड़के (Ashish Mishra Teni) को..गृह मंत्री का लड़का आगे विधानसभा के काम आएगा..विधायक बनेगा..कानून बनाएगा..
मुझे सुन लिया है तो ये भी सुनते जाईये कि जमानत मिली क्यों है..तो जमानत इसलिए मिली है..क्योंकि कोर्ट में ये साबित कर दिया गया है कि गाड़ी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra Teni) नहीं, बल्कि हरिओम मिश्रा चला रहा था..और उसने डिफेंस में गाड़ी चढ़ाई थी…ठीक दूसरी बात..ड्राइवर के अपराध के लिए आशीष मिश्रा को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है..
तीसरी बात पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि लखीमपुर हिंसा में किसी भी किसान की मौत गोली लगने से नहीं हुई..ठीक चौथी बात…अदालत में कहा गया कि पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से नामित SIT के अफसरों के दस्तखत नहीं थे. इसलिए चार्जशीट गैरकानूनी है..
लखीमपुर हिंसा की जांच कर रही SIT ने 3 जनवरी को 5 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें SIT ने आशीष मिश्रा को ‘मुख्य आरोपी’ बनाया था…- दिसंबर में SIT ने कहा था कि आशीष मिश्रा (Ashish Mishra Teni) ने सोची समझी साजिश के तहत 4 किसानों की अपनी गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी थी..एसआईटी ने बताया था कि आशीष मिश्रा के लाइसेंसी हथियार से गोली चली थी..खैर ये सब छोड़िए..इन सब पर केवल एक ही बात भारी है कि जब सईंया भए कोतवाल तब डर काहे का.
.किसान रौंदक हत्याकांड में 17 वैज्ञानिक साक्ष्य, सात भौतिक साक्ष्य और 24 वीडियो फोटो मिले..208 लोगों की गवाही हुई..5 हजार पन्नों की चार्जशीट बनाई..मुख्यआरोपी आशीष मिश्रा को बनाया..उसके हथियार से फायरिंग हुई ये भी पता चल गया..लेकिन हुआ क्या ढाक के तीन पात..मंत्री का लड़का है..कोई ऐसा गैरा समझ लिया है जिसे बेल नहीं मिलेगी..