कुंभ में लघुशंका का समाधान आपको मुसीबत में डाल देगा
कुंभ क्षेत्र में लोगों की सुविधा के लिए बहुत से काम किए गए हैं. बहुत से किए जा रहे हैं. बहुत से किए जाएंगे. कुंभ मेला मार्च तक चलेगा. आप कहिए की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं तो ये पूरा सच नहीं है. बात अगर केवल स्वच्छता की की जाए तो इस बार कुंभ मेले में इको फ्रेंडली टॉयलेट्स लगाए गए हैं. कहते हैं सवा लाख तक टॉयलेट बनाए गए हैं. लेकिन कुंभ में सुबह सवेरे स्नान के लिए गए हैं, आपका मोशन गड़बड़ हो गया है तो आपको मुसीबत झेलनी पड़ जाएगी.

टॉयलेट इतने इको फ्रेंडली कर दिए गए हैं कि सीट भीतर मौजूद है. लेकिन पानी नहीं है. पानी टॉयलेट के बाहर मिलेगा. भीतर की तस्वीर हम नहीं लगा रहे हैं वर्ना खबर पढ़ते पढ़ते उल्टी कर देंगे. मसला ये है टंकियां टॉयलेट के पीछे रखी गई हैं जिनमें वेस्ट को इकट्ठा करने की योजना थी लेकिन वेस्ट टंकियों तक तभी पहुंचेगा जब टॉयलेट में पानी होगा.

टॉयलेट का कनेक्शन बाहर पानी की टंकी से किया गया है जो जमीन में गड़ी हुई हैं. लेकिन वेस्ट उस टंकी तक तभी जाएगा जब उसे पानी के साथ बहाया जाएगा लेकिन पानी तो भीतर है नहीं. ऐसा नहीं है कि सब टॉयलेट्स का ऐसा ही हाल है. किले के आसपास लगाए गए टॉयलेट सही हैं लेकिन किले के इलाके से दूर जाते ही हाथी के दांत वाले टॉयलेट खड़े मिल जाएंगे.

सरकार ने स्वच्छता की पूरी व्यवस्था कर रखी है. कोशिश की गई है कि जगह जगह लोगों की सुविधा का ख्याल रखा जाए. घाट पहले की तुलना में ज्यादा चमक रहे हैं. लेकिन टॉयलेट्स का काम देखने वाली संस्था ने कुंभ में डेंट लगाया है. मूल भूत सुविधा को मेला शुरू होने तक पूरा नहीं किया जा सका है.

दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु जब भी टॉयलेट खोजते हैं तभी उनका सामना नर्क में तब्दील टॉयलेट से होता है. टॉयलेट वेस्ट से भी टॉयलेट बूथ भरे हुए हैं. जो टॉयलेट बन रहे हैं उनको भी खोल दिया गया है जिससे लोग गंदगी फैला रहे हैं. कुंभ क्षेत्र में महिलाओं को टॉयलेट्स की बेहद दिक्कत झेलनी पड़ रही है.

संगम तट पर बने ये वो टॉयलेट्स हैं जहां ना पानी है ना ही इनका कनेक्शन कहीं से किया गया है लेकिन इनके भीतर गंदगी भरी पड़ी है. लगभग 35 हजार सफाई कर्मियों को लगाने का दावा किया गया था. 1 लाख 22 हजार 500 टॉयलेट्स बनाए गए हैं. लगभग एक किमी पर से भी कम दूरी पर आपको टॉयलेट्स मिल जाएंगे. लेकिन उनमें आप पैर भी नहीं रख पाएंगे.