कुंभ में हुआ पहला ‘शाही स्नान’, साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, देखें तस्वीरें-
रात में 2.19 बजे मकर राशि में प्रवेश हुई. उसी के साथ ही मकर संक्रांति का पर्व शुरू हो गया है. संगम किनारे जमे करोड़ों श्रद्धालुओं ने 12 बजे रात के बाद से ही स्नान करना शुरू कर दिया. और इसी शाही स्नान के साथ आस्था के महाकुंभ का आगाज हो गया है.

सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने स्नान किया. इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतों ने संगम तट पर डुबकी लगाई. उसके बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत करीब 7:15 बजे स्नान करने के लिए संगम तट पर पहुंचे. इस दैरान संत हर-हर महादेव का जयघोष करते रहे.
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा शाही पेशवाई के साथ संगम तट पहुंच का स्नान किया. वहीँ महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज की अगुआई में संतों ने संगम में डुबकी लगाई. इसके बाद श्री पंच दशनाम आह्वान अखाड़ा, श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के संन्यासियों ने शाही स्नान किया.
जूना अखाड़ा के साथ किन्नर अखाड़े ने भी डुबकी लगाई. बता दें कि जूना और किन्नर अखाड़े का विलय चर्चा का विषय बनी हुई थी. श्री पंच निर्मोही अखाड़े के साधु-संत ने स्नान किया. अखाड़ों के संतों के शाही स्नान के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार तड़के संगम में डुबकी लगाई. उन्होंने इसकी जानकारी अपने ट्विटर एकाउंट से दी है. केंद्रीय मंत्री ने हर हर गंगे के साथ अपनी तस्वीर साझा की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले की हार्दिक शुभकामनाएं दी. उन्होंने ट्वीटर पर एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है कि “प्रयागराज में आरंभ हो रहे पवित्र कुम्भ मेले की हार्दिक शुभकामनाएं. मुझे आशा है कि इस अवसर पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विविधताओं के दर्शन होंगे. मेरी कामना है कि अधिक से अधिक लोग इस दिव्य और भव्य आयोजन का हिस्सा बनें.”

संन्यासियों के शाही स्नान की शुरुआत सुबह 6.15 बजे शुरू हुई है. सभी अखाड़ों के संतों को स्नान के लिए 40 मिनट का समय दिया गया है. अंत में उदासीन अखाड़े के संत शाही स्नान करेंगे, लेकिन बड़ी बात यह है कि उदासीन के संतों को स्नान के लिए सबसे अधिक एक घंटे का समय दिया गया है.
प्रमुख स्नान
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है. स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है. फिर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है.
पहला स्नान: मकर संक्रांति 15 जनवरी (माघ मास का प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है)
दूसरा स्नान: पौष पूर्णिमा-21 जनवरी, इस दिन पूर्ण चन्द्र निकलता है. और इसी दिन से कुम्भ मेला की अनौपचारिक शुरूआत कर दी जाती है.
तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या-4 फरवरी, इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान करने वालों के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है.
चौथा स्नान: बसंत पंचमी-10 फरवरी, विद्या की देवी सरस्वती का दिवस ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है.
पांचवा स्नान: माघी पूर्णिमा-19 फरवरी, ये दिन गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा होता है.
छठां स्नान: महाशिवरात्रि-4 मार्च, ये अन्तिम स्नान है. तो भगवान शंकर से जुड़ा है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. मानना है की देवलोक के देवता भी इस दिन का इंतजार करते हैं.
कुंभ की खास बातें
- 45 वर्ग किमी में कुंभ मेला
- 600 रसोईघर
- 48 मिल्क बूथ
- 200 एटीएम
- 4 हजार हॉट स्पॉट
- 1.20 लाख बायो टॉयलेट
- 800 स्पेशल ट्रेनें चलाईं
- 300 किमी रोड बनी
- 40 हजार एलईडी
- 5 लाख गाड़ियों के लिए पार्किंग एरिया