मौनी अमावस्या पर ‘शाही स्नान’ का अद्भुत नज़ारा, 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
आज कुंभ मेले में मौनी अमावस्या पर महास्नान और कुंभ का तीसरा शाही स्नान हो रहा है. संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए देश के हर कोने से लाखों करोड़ों श्रद्धालु संगमनगरी की ओर खींचे चले आ रहे हैं. आज मौनी अमावस्या के साथ सोमवती अमावस्या भी है.

संगम घाट पर सबसे पहले सुबह 6:15 बजे महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा ने स्नान किया. फिर श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, तपोनिधि श्री पंचायती आनंद, पंचदशनाम जूना अखाड़ा, अग्नि, आह्वान अखाड़े के संतों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. संगम की रेती पर शनिवार से ही आस्था हिलोर ले रही है. और रविवार को तो शहर की सभी सड़कें स्नानार्थियों की भीड़ से पट गई थीं.
राज्य की योगी सरकार ने श्रद्धालुओं के रहने और स्नान करने के लिए सभी सुविधाओं का इंतजाम किया है. मेला प्रशासन के मुताबिक, मौनी अमावस्या स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु संगम पहुंच चुके हैं.
श्रद्धालुओं ने 11 बजे रात के बाद से ही स्नान शुरू कर दिया था और इसी के साथ आस्था के महाकुंभ में महास्नान का पर्व शुरू हो गया. दावा है की अबतक 2 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा स्नान कर लिया है.
मेला अधिकारियों ने बताया कि स्नान के लिए 41 घाटों को तैयार किया गया है. मेला क्षेत्र को 10 जोन में बांटकर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. जगह-जगह पर 400 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. मेला परिसर में 96 फायर वाॅच टावर बनाए गए हैं.
साथ ही 37 कम्पनी रैपिड एक्शन फोर्स, सीआरपीएफ, एसएसबी और आईटीबीपी समेत तमाम अर्ध सैनिक बलों की तैनाती की गई है. 10 कम्पनी एनडीआरएफ की तैनात की गई हैं. 111 घुड़सवार पुलिस घाटों से लेकर संगम तक निगरानी कर रहे हैं.
अभी स्नान के लिए 4 अखाड़े और बचे हैं जिनमें अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- 12.20 बजे, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासी- 13.15 बजे, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासी- 14.20 बजे, श्री पंचायती अखाड़ा निर्मला- 15.40 बजे. तक शाही स्नान करेंगे.
इस बार सोमवती और मौनी अमावस्या पर महोदय योग बन रहा है. दुर्लभ योग में गंगा स्नान, दान पुण्य करने से राहु, केतु व शनि से संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलेगी साथ ही श्रवण नक्षत्र, वियातिपाद योग और सर्वार्थ सिद्धि योग की भी निष्पत्ति हो रही है.
प्रमुख स्नान
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है. स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है. फिर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है.
पहला स्नान: मकर संक्रांति 15 जनवरी (माघ मास का प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है)
दूसरा स्नान: पौष पूर्णिमा-21 जनवरी, इस दिन पूर्ण चन्द्र निकलता है. और इसी दिन से कुम्भ मेला की अनौपचारिक शुरूआत कर दी जाती है.
तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या-4 फरवरी, इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान करने वालों के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है.
चौथा स्नान: बसंत पंचमी-10 फरवरी, विद्या की देवी सरस्वती का दिवस ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है.
पांचवा स्नान: माघी पूर्णिमा-19 फरवरी, ये दिन गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा होता है.
छठां स्नान: महाशिवरात्रि-4 मार्च, ये अन्तिम स्नान है. तो भगवान शंकर से जुड़ा है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. मानना है की देवलोक के देवता भी इस दिन का इंतजार करते हैं.