कोयला (Koyla) खत्म ? क्या अंधेरे में डूब जाएगा देश ? : संपादकीय व्यंग्य

PRAGYA KA PANNA
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जैसे कोरोना में ऑक्सीजन का हाल था वैसा ही हाल कोयले (Koyla) का हो चुका है..कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख मारी है कि प्रधानमंत्री जी कोयला खत्म हो रहा कोयला दो..नहीं तो बिजली प्लांट ठप हो जाएंगे..कई राज्यों की कई यूनिट बंद भी हो चुकी हैं..यूपी में एनटीपीसी की यूनिट ठप हो चुकी है..देश में 10 बिजलीघर बंद हो चुके हैं..कोरोना में ऑक्सीनजन की कमी पर सरकार कहती थी बहुत ऑक्सीजन है..ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है..

वैसे ही अब कोयले (Koyla) की कमी पर कह रही है कि कोयला बहुत है कोयले की कोई कमी नहीं है.. एक बात तय है..यूपी के चुनाव से पहले या बाद में बिजली के दाम जरूर बढ़ जाएंगे..ये मैं अपने अनुभव पर कह रही हूं..क्यों कोयले पर माहौल बनने लगा है..

धीरे धीरे आपको ये समझा दिया जाएगा..कि कोयला है नहीं..और जब बाहर से लाया जाएगा..तो महंगा मिलेगा..और सरकार महंगा खरीदेगी तो सस्ती बिजली कैसे देगी..फिर देश हित वाली एक लहर उठेगी..और आपको अपनी जेब में जबरन हाथ डालना ही पड़ेगा..जो देश हित में महंगा खरीद नहीं सकता..वो सच्चा देशभक्त कहलाने के लायक नहीं है..देश द्रोही बनना है या देशभक्त ये आपको तय करना है..

देखिए दोस्तों देश में 135 बिजली घर ऐसे हैं जहां कोयले (Koyla) से बिजली बनती है..इन बिजलीघरों में नियमानुसान 20 दिन का कोयला स्टॉक में रहना चाहिए..20 दिन का इसलिए कि कहीं खदान में पानी भर जाए..कहीं से कोयला ना आ पाए..विदेशों से आने वाला ना पहुंच पाए तो देश अंधेरे में ना डूब जाए..

लेकिन अब हाल ये है कि किसी प्लांट में 4 दिन का कोयला बचा है किसी में 3 दिन का..तमाम बिजली घर ऐसे हैं जहां..यूनिटबंद करनी पड़ी हैं..आज तक की अपडेट ये है कि देश के 10 बीजली घर बंद कर दिए गए हैं..135 में से 64 पावर प्लांट ऐसे हैं जिनमें केलव 4 दिन का कोयला बचा है.

घबराने की जरूरत नहीं है..बिना बिना बिजली के कोई मर थोड़ी जाता है..लेकिन तभी अस्पतालों का जिक्र ध्यान में आता है..खैर निगेटिव बातें छोड़िए..पॉजिटिव बातें सोचिए..वैसे भी हम जिस टाइप वाले विश्वगुरू बनने की राह पर हैं..उस तरह के विश्वगुरू को बिजली वाले बल्ब की नहीं लालटेन की जरूरत पड़ती है..

तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है..कोयले (Koyla) की कमी क्यों आ गई है..ये भी समझ लीजिए..ऐसा नहीं था कि पूरी बीजपी सरकार लखीमपुर वाले मंत्री और उनके लड़के को बचाने में लगी रही और कोयला मंगाना भूल गई हो..ऐसा बिल्कुल नहीं है..मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बारिश इस बार ज्याद हुई जिससे खदाने बंद हो गईं..

कोरोना का भी थोड़ा बहुत मसला था…और एक कारण ये भी बताया जा रहा है..कि देश और विदेशों की सारी अर्थव्यवस्थाएं एक साथ शुरू हो गईं जिससे कोयले (Koyla) की शॉर्टेज हो गई..यानी जितना कोयला इस्तेमाल किया जा रहा है..उतना जमीन से खोदा नहीं जा रहा है..या उतना दूसरे तरीकों से बनाया नहीं जा रहा है.. तो घबराने की जरूरत नहीं है..वैसे तो सरकार के हिसाब से बिजली नहीं जाएगी…ऑक्सीजन की तरह सरकार के पास कोयला भी बहुत है..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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