इस कहानी के बाद मनाया जाने लगा ‘करवाचौथ’, जानिए ‘छलनी’ का क्या है महत्व-
वीरवती नाम की एक औरत थी. शादी का पहला साल था. वीरवती ने पहले ही साल करवा चौथ का व्रत रखा था. दिन भर उसने कुछ ना खाने के बाद उसे चक्कर आने लगे. व्रत निर्जला था.

वीरवती का भाई उसके घर पर आ गया उसने अपनी बाहन को बेहाल देखा तो. व्रत तोड़कर कुछ खाने के लिए कहा. वीरवती नहीं मानीं. उन्होंने उत्तर दिया कि बिना चांद को देखे और पति के हाथों पानी पिए वो व्रत नहीं तोड़ सकतीं. भाई से बहन का हाल देखा नहीं गया. भाई ने तुरंत एक जुगाड़ लगया. शाम हो चुकी थी. भाई ने पेड़ के पीछे दूर एक बड़ा सा दिया जला दिया. और कह दिया कि चांद निकल आया है. बहन ने उस दीपक को चांद मानकर व्रत तोड़ दिया.
कहानी में है कि व्रत में धोखा करने की वजह से उसके कुछ दिन बाद वीरवती का पति मर गया. वीरवती को जब सच का पता चला. भाई की शैतानी के बारे में पता चला तो वीरवती ने फिर से वो व्रत रखा. विधि विधान से पूजा की. चांद को छलनी से देखा. उसके बाद उसका पति जीवित हो गया.
छलनी से देखने के पीछे तर्क
करवा चौथ में महिलाएं छलनी से ही चांद देखती हैं. और उसी छलनी से अपने पति का चेहरा भी देखती हैं. इसके पीछे कहा जाता है कि छलनी के छेदों से होते हुए भावनाएं शुद्ध हो जाती हैं.
क्या है करवा चौथ ?
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है. यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – 05:51 PM से 07:06 PM
अवधि – 01 घण्टा 15 मिनट्स
करवा चौथ व्रत समय – 06:23 AM से 08:17 PM
अवधि – 13 घण्टे 54 मिनट्स
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – 08:17 PM