अखिलेश से नाराज़ हुआ राजपूत समाज, सपा प्रवक्ता ने दिया था विवादित बयान
करणी सेना का नाम तो सभी ने सुना होगा. राजपूतों पर कोई भी बात आये तो सबसे पहले करणी सेना का प्रदर्शन देखने को मिलता है. अभी हालही में सपा के प्रवक्ता ने एक न्यूज़ चैनल की डिबेट में राजपूतों पर विवादित बयान देकर माहौल को फिर से गर्मा दिया है.

सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने राजपूत समाज के पूर्वजों पर सवाल उठाते हुए कहा की राजपूतों के पूर्वज मुगलों और अंग्रेजों के गुलाम थे. इतना कहते ही सभी राजपूत भड़क गए. और समाजवादी पार्टी का विरोध करने लगे. ये विरोध करीब हफ्ते भर से चल रहा है और अब लखनऊ में भी इसका प्रदर्शन शुरू हो गया है. गुरुवार को यूपी के हरदोई जिले में क्षत्रिय समाज सड़कों पर उतर आया. समाज के लोगों ने न सिर्फ शहर के प्रमुख मार्गों पर नारेबाजी की बल्कि सपा कार्यालय के बाहर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी प्रवक्ता सुनील साजन का पुतला फूंक अपना गुस्सा जताया.
क्षत्रिय समाज के लोग जुलूस की शक्ल में प्रमुख मार्गों पर निकले. सभी हाथों में पोस्टर लेकर जमकर नारेबाजी कर रहे थे. पोस्टर में अखिलेश होश में आओ, सुनील साजन से माफी मंगवाओ… आदि जैसे नारे लिखे हुए थे. जुलूस धर्मशाला रोड से सिनेमा चौराहा, सिनेमा चौराहे से कलेक्ट्रेट के सामने से होते हुए सपा कार्यालय के समक्ष पहुंचा. इस मौके पर करणी सेना के भी पदाधिकारी शामिल रहे.
कई जिलों में क्षत्रिय समाज के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है की अखिलेश को सुनील साजन जैसे नासमझ लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए. ऐसे लोग अगर रहेंगे तो सपा को ही ख़तरा है. राजपूतों पर बोलने से पहले उनके इतिहास के बारे में जान लेना चाहिए. सुनील ने जो बोला है उसका उनके पास क्या सुबूत है. किस बिहाफ पर वो राजपूतों पर सवाल उठा रहे हैं.
सपा के द्वारा दिए गए इस तरह के भड़काऊ बयान इस चुनावी दौर में नुकसान पहुंचा सकता है. एक सख्स से बताया की सुनील साजन के बयान देने के बाद जब उनसे ये पूछा गया की आप राजपूतों के इतिहास के बारे में कितना जानते हैं ? तो उन्होंने कहा की मैं राजपूतों के बारे में कुछ नहीं जानता. अब यहीं पर सवाल खड़ा होता है की बिना जानकारी के उन्होंने पूरे देश के सामने राजपूतों पर विवादित बयान क्यों दे दिया.
कई लोगों ने सपा-बसपा के गठबंधन पर भी सवाल उठाये. कहा की सपा-बसपा एक साथ आये, प्रेस कॉन्फ्रेंस की सभी जातियों को लेकर बात कही मगर सवर्णों के बारे में कुछ नहीं बोला. ये दोनों पार्टियां राजपूतों को दबाना चाहती हैं.
राजपूतों का सपा-बसपा के खिलाफ बवाल करना बीजेपी के लिए अच्छा साबित हो सकता है. सवर्ण अगर सपा-बसपा को अपना वोट नहीं देते हैं तो सिर्फ बीजेपी ही अगला ऑप्शन बचती है. और बीजेपी सवर्णों को अपनी तरफ करने के लिए पहले ही उनको 10% का आरक्षण दे चुकी है. अब लगभग ये तय है की राजपूतों का वोट ज्यादा से ज्यादा बीजेपी में ही जायेगा.