कमरा बंद करके मारे गए ‘केजरीवाल’, पहले गिरा ‘चश्मा’ फिर फूंटे ‘घुटने’, देखें फिर क्या हुआ ?

अपने शहर में गुंडागर्दी तो सभी ने देखी होगी. मगर क्या ये सोचा है की कोई किसी मुख्यमंत्री को मार सकता है. क्या किसी में इतनी हिम्मत है. फिलहाल आज तक तो अपने ये सुना तो नहीं होगा. मगर हम आपको बता दें की ये सच है.

kapil mishra says arvind kejriwa beaten two aap mlas
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दरअसल आम आदमी पार्टी (AAP) के बगावती विधायक कपिल मिश्रा ये दावा कर रहे हैं कि कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को AAP के कुछ अन्य विधायकों ने बंद कमरे में हौक दिया था. उनका कहना है कि केजरीवाल AAP विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे और इतने में माहौल गरमा गया फिर चर्चा के बीच में ही AAP के कुछ विधायकों ने केजरीवाल पर मुक्कों की बरसात कर दी. जिसमें केजरीवाल ज्यादा घायल हो गए थे. और मुक्कों की मार से उनका मुँह भी सूज गया है.

वो बाहर मुँह दिखाने लायक नहीं बचे. इसलिए उन्होंने घर से बाहर कदम नहीं रखा. तभी वो अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने पर भी नहीं पहुंचे. केजरी इतना नाराज हैं कि उन्होंने AAP उम्मीदवारों को बधाई या शुभकामनाएँ भी नहीं दी हैं. तीन दिन से केजरी अपने घर से नहीं निकले हैं. कपिल मिश्रा ने एक लिंक साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा, कैसे और क्यों केजरीवाल को उनके ही सहयोगियों ने कथित तौर पर पीटा था.

रिपोर्ट की बात करें तो घटना शनिवार को हुई थी. केजरीवाल टिकट वितरण के दौरान अपना आपा खो बैठे और गाली-गलौज पर उतारू हो गए. विधायकों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. मगर केजरी भूल गए थे की वो कमरे में अकेले हैं और विधायक कई. और आज के दौर के विधायक को तो आप जानते ही हैं. तुरंत जूता उतारते हैं. बस केजरी के साथ भी वही हुआ.

दो विधायक उठे और केजरीवाल की तरफ देखने लगे तभी उनमें से एक ने केजरी को ऐसा मुक्का हौंका की उनका चश्मा तक गिर गया. फिर दूसरे वाले ने भी घूंसे बरसा दिए. विधायकों ने इतना मारा की केजरीवाल ने अपने घुटने तक फुड़वा लिए हैं. इसलिए ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं. केजरी को कोई बचा भी नहीं रहा था. और किस्मत इतनी ख़राब थी कि कमरा बंद था केजरीवाल के सुरक्षा गार्ड कमरे के बाहर. इसमें वे कुछ ज्यादा ही मार खा गए.

कपिल मिश्रा के साथ एक और बागी AAP नेता कुमार विश्वास ने भी AAP विधायकों द्वारा केजरीवाल पर शारीरिक हमले की निंदा ट्विटर पर की है.

सभी को मालूम है कि विधायक जनता की भावनाओं का प्रतिनिधि होता है. जनता की भावनाओं और इच्छाओं की सूचना मुख्यमंत्री तक पहुँचाना विधायक का नैतिक-धर्म है. मगर सूचनाएँ मौखिक और लिखित रूप से दी जानी चाहिए. यही नियम है. लेकिन विधायकों ने न लिखित दिया न मौखिक बोला. सीधा प्रैक्टिकली अपनी बात कह डाली. हालाँकि अब तक केजरीवाल की पिटाई की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

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