बेस्ट कॉमेडियन कादर खान नहीं रहे, इंजीनियर थे वो उनको फिल्मों में ले आया…

कादर खान का निधन (kadar khan death) 

हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता कादर खान ( kadar khan) नहीं रहे. कनाडा के अस्पताल में कादरखान ने आखिरी सांस ली.  कादर खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे कादर खान को सांस लेने में दिक्कत थी. उनको प्रोगेसिव सुप्रान्यूक्लीयल पाल्सी डिसाऑर्ड था. इस बीमारी की वजह से कादर खान के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था.

 

डॉक्टरों ने कादरखान को वेंटीलेटर पर रखा था. कादर खाने के बेटे सरफराज के मुताबिक पिछले साल कादरखान के घुटनों की भी सर्जरी हुई थी. और उस सर्जरी के बाद से कादरखान कभी संभल नहीं पाए.

बलूचिस्तान में पैदा हुए कादरखान (kadar khan born)

कादरखान अफगानिस्तान के काबुल में पैदा हुए थे. पिता अब्दुल रहमान खान कांधार के रहने वाले थे. कादरखान की मां पाकिस्तान के बलूचिस्तान की रहने वाली थीं. कादरखान तीन भाई थे.

 

कादरखान आखिरी बार दिमाग का दही फिल्म में काम किया ये फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी. कादरखान का जन्म जन्म 22 अक्तूबर 1937 में हुआ. कादरखान हिन्दी फ़िल्मों हास्य अभिनेता का किरदार निभाते थे.

 

kadar khan deathkadar khan death
तस्वीर सौजन्य-फिल्म

 

 

कादरखान मंझे हुए एक्टर के साथ-साथ फिल्म निर्देशक भी रह चुके हैं. कादरखान ने अब तक अब तक 300 से ज्यादा फ़िल्मो में काम किया है. उनकी पहली फ़िल्म दाग 1973 में रिलीज हुई थी. जिसमें कादर साहब ने एक वकील की भूमिका निभाई थी. कादरखान ने इंजीनियरिंग की थी. इस्माइल यूसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था. बहुत कम लोग जानते हैं कादर खान सिविल इंजीनियरिंग के टीचर भी रह चुके हैं. फिल्मों में काम करने से पहले बच्चों को पढ़ाते थे.

 

कादरखान ने कैसे मेन स्ट्रीम फिल्मों की शुरुआत की  ? (how to come in film)

कादर खान के फिल्मी सफर की शुरुआत ऊपर वाले की देन थी. उनका भाग्य उनको फिल्मों की तरफ लेकर आया. मजाक मजाक में उन्होंने वो काम कर दिया जिसने उनको अभिनेता बना दिया. कहानी ये थी कि जब कादर खान इंजीनियरिंग के बच्चों को 1975 के दौरान पढ़ा रहे थे तो कॉलेज में एनवल डे फंग्शन चल रहा था. कादरखान ने ऐसे ही मंच पर अपने दूसरे कुलीग साथियों की एक्टिंग चिढ़ाने के लिए कर दी. इस प्रोग्राम में दिलीप कुमार गेस्ट थे. दिलीप कुमार ने कादखान को देखा और उसके बाद कादरखान की जिंदगी बदल गई.

जब लिखने के लिए मिल गए 1 लाख 20 हजार

कादरखान ने 300 से ज्यादा हिंदू उर्दू फिल्मों में काम किया. और सबसे बड़ी बात कि वो केवल कॉमेडी एक्टर नहीं थे. बल्कि 250 से ज्यादा फिल्मों में डॉयलॉग भी लिख चुके हैं. फिल्म रोटी में डॉयलॉग लिखने के लिए कादर खान को उस जमाने में 1 लाख 20 हजार रूपए मिले थे.

 

कब कब कॉमेडी के लिए अवॉर्ड मिले ?
  • 1984 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म हिम्मवाला के लिए
  • 1986 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म आज का दौर के लिए
  • 1990 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म फिल्म सिक्का के लिए
  • 1992 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म हम के लिए
  • 1994 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म आंखें के लिए
  • 1995 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी के लिए
  • 1996 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म कूली नंबर 1 के लिए
  • 1997 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म साजन चले ससुराल के लिए
  • 1999 में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला फिल्म दूल्हे राजा के लिए

 

कादरखान किसी पुरस्कार के मोहताज नहीं थे. कादरखान ऐसी प्रतिभा के मालिक थे. जिसके सब कायल थे. कादखान का एक वक्त ऐसा था जब उनके बिना फिल्में नहीं बनती थीं. हंसाने वाला एक ही नाम होता था और वो था कादरखान कादरखान ने सबसे ज्यादा गोविंदा और अमिताभ बच्चन के साथ काम किया.

ये अवॉर्ड कादर खान के नाम हुए
  • 2013 में  साहित्य शिरोमणि अवार्ड दिया गया
  • साल 1982 में मेरी आवाज सुनो फिल्म के लिए
  • फेयर अवार्ड से नवाजा गया
  • साल 1981 में फिल्म फेयर बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड दिया गया
  • बेस्ट कॉमेडियन का अवार्ड कादरखान को बाप नंबरी बेटा दस नंबरी के लिए दिया गया

 

90 के दशक में इतवार के रोज आने वाली फिल्मों में कादरखान हमेंशा हसाने के लिए तैयार रहते थे. गोविंदा अमिताभ के साथ हमेशा कादरखान किसी ना किसी रोज में फिट होकर पर्दे पर आ ही जाते थे. कहते हैं  फिल्मों में गुड लुकिंग होना बहुत जरूरी होता है लेकिन कादरखान ने इस मिथक को उस दौर में ही तोड़ दिया था.