आज एक साथ मंच पर दिखेंगे मायावती-मुलायम, पलटेगा 25 साल पुराना इतिहास, रुकीं सबकी धड़कने-
आज शुक्रवार को 25 साल के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा संयोग बनने जा रहा है. जो राजनीति में बहुत कम बनता है. यूपी के दो कट्टर दुश्मन जिन्होंंने 25 साल की दुश्मनी में एक दूसरे को कभी देखना तक पसंद नहीं किया वो एक मंच पर आ रहे हैं.

जी हाँ, आज मायावती और मुलायम सिंह यादव एक साथ मंच पर दिखने वाले हैं. ये दोनों कट्टर दुश्मन सिर्फ मंच ही नहीं साझा करेंगे बल्कि मायावती अपनी 25 साल की सियासी दुश्मनी को भूलकर मुलायम सिंह यादव के लिए वोट भी मांगेंगी. वहीं यूपी के सारे सियासी पंडित दिल पर हाथ रखकर बस उस समय का इंतजार कर रहे हैं जब माया मुलायम के लिए ये कहेंगी कि मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से गठबंधन के प्रत्याशी हैं. और मुलायम को भारी बहुत से विजयी बनाएं…
आज जो यहाँ इतिहास बनने वाला है उसका गवाह मैनपुरी बनेगा. एक ही मंच पर अखिलेश माया मुलायम और अजित सिंह होंगे. मायावती मुलायम सिंह के लिए क्या बोलेंगी ? क्या होगा जब माया-मुलायम आमने सामने आएंगे ? आज इतिहास खुद को दोहराएगा. 2 जून 1995 में हुए गेस्ट हॉउस कांड के बाद से माया-मुलायम में बात नहीं हुई. उस समय कांशीराम के साथ मिलकर मुलायम ने राजनीति पलट दी थी. इस बार का गठबंधन क्या कमाल दिखाएगा ?
सपा बसपा रालोद गठबंधन की ये संयुक्त रैली मैनपुरी के क्रिश्चियन कॉलेज मैदान में होगी. इस महारैली को रैली को मायावती के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी संबोधित करेंगी. ख़बर ये भी आ रही है कि इस रैली में 40 लाख से ज्यादा लोगों के आने का दावा किया जा रहा है.
लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी मैनपुरी की सीट 8 बार जीत चुकी है. वहीं मैनपुरी से बीजेपी आज तक अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. 2014 में मोदी लहर होने के बवजूद भी बीजेपी के प्रेम शाक्य मैनपुरी से हार गए थे. बीजेपी ने इस बार भी मुलायम के सामने प्रेम शाक्य को खड़ा किया है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने मुलायम के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. यानी सीधी टक्कर सपा और बीजेपी में होगी.
मुलायम का सियासी सफर 1960 में शुरू हुआ. 1967 में मुलायम पहली बार विधायक चुने गए. 1977 में वे राज्य मंत्री बने. 1980 में लोकदल के अध्यक्ष बने और 1985-87 तक यूपी में जनता दल के अध्यक्ष भी रहे. फिर कड़ी मेहनत के बाद 1989 में पहली बार मुलायम यूपी के मुख्यमंत्री बने. और उसके बाद 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया. 1993-95 में वे दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बने. तभी मायावती के साथ गेस्ट हॉउस कांड हो गया था. 1996-1998 में मुलायम केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री रहे. और 2003 से 2007 तक वे तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने थे.
मैनपुरी में कब-कब रहा सपा का कब्ज़ा
- 1996 मुलायम
- 1998 बलराम
- 1999 बलराम
- 2004 मुलायम
- 2004 धर्मेंद्र
- 2009 मुलायम
- 2014 मुलायम
- 2014 तेजप्रताप