2 सीटों से राहुल का चुनाव लड़ना अगर ‘डर’ है तो फिर ‘मोदी और अटल’ भी डरे होंगे, पढ़ें रोचक तथ्‍य

लोकसभा का चुनावी माहौल चल रहा है और 11 अप्रैल से मतदान भी शुरू हो जायेंगे. सभी पार्टियां अपनी कमर कस चुकी हैं. वहीँ दूसरी तरफ कई नेताओं का टिकट भी कटा है तो कोई दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.

interesting facts lok sabha elections
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यूपी की राजनीति पर तो पूरे देश की नज़र रहती है. वहीँ एक ख़बर आ रही है की राहुल गाँधी बीजेपी से डर गए हैं. बात ये है की राहुल गाँधी अमेठी की सीट से चुनाव लड़ते हैं. और उनकी माँ सोनिया गाँधी रायबरेली से चुनाव लड़ती हैं. मगर इस बार सोनिया लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं. इसलिए वहां से भी राहुल गाँधी ही चुनाव लड़ रहे हैं. यानि अब राहुल अमेठी और रायबरेली दोनों जगहों पर लोकसभा प्रत्याशी हैं.

इसी बात को लेकर बीजेपी कांग्रेस पर तंज कस रही है. की राहुल गाँधी अमेठी में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से डर गए हैं. इसलिए दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं आपको बतादें राहुल गाँधी को केरल से भी लोकसभा चुनाव लड़ने का भी ऑफर है. वहां के प्रत्याशी चाहते हैं की राहुल यहाँ से भी चुनाव लड़ें. अब अगर दो सीटों पर चुनाव लड़ना किसी पार्टी या नेता से डरना होता है तो इसका मतलब पीएम मोदी और पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई भी डर गए होंगे.

आइये एक नज़र पहले के चुनावों पर डालते हैं.
  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी और वडोदरा से चुनाव लड़ा था. इसमें उन्होंने दोनों जगहों से जीत दर्ज की थी. लेकिन वाराणसी की सीट को ही अपने पास रखा था. वडोदरा वाली सीट छोड़नी पड़ी थी.
  2. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़े थे. मोदी की तरफ वो भी दोनों ही जगह जीते थे. और उन्होंने आजमगढ़ सीट को अपने पास रखा था. मैनपुरी छोड़ दी थी.
  3. कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भी 1980 का लोकसभा चुनाव रायबरेली और मेडक दो लोकसभा सीटों से लड़ा था. इंदिरा भी दोनों जगहों से चुनाव जीत गईं थीं. मगर चुनाव जितने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट अपने पास रखी और मेडक की सीट छोड़ दी थी.
  4. अटल बिहारी वाजपेयी की बात करें तो 1957 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ की तरफ से अटल जी ने यूपी की 3 लोकसभा सीटों ,बलरामपुर, मथुरा और लखनऊ से चुनाव लड़ा था. मगर वाजपेयी तीन सीटों में से एक ही सीट बलरामपुर से चुनाव जीत पाए थे. लखनऊ में दूसरे नंबर पर थे. और मथुरा में तो ज़मानत ही ज़ब्त हो गयी थी.
  5. उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी 1991 में दो सीटों विदिशा और लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़े थे, और इस बार दोनों सीटों से वाजपेयी जीत गए थे. मगर वाजपेयी ने विदिशा सीट छोड़ दी थी.
  6. आडवाणी ने भी 1991 का लोकसभा चुनाव दो सीटों दिल्ली और गांधी नगर से लड़ा था. और आडवाणी दोनों सीटों से चुनाव जीत गए थे. आडवाणी ने गांधी नगर सीट अपने पास रखी और दिल्ली की सीट से इस्तीफा दे दिया था.
  7. 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने दो जगह से चुनाव लड़ा था. यूपी की अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी से. और दोनों ही सीट सोनिया ने जीत ली थी. मगर सोनिया ने अपने पति राजिव गांधी की सीट अमेठी को ही चुना और बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया.
  8. 2009 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालूप्रसाद यादव ने भी दो सीटों सारण और पाटलिपुत्र से लड़ा. मगर लालू सिर्फ सारण से ही चुनाव जीते थे. और पाटलिपुत्र से चुनाव हार गए.

अब आप एक बात और जान लीजिये की 1996 तक दो से ज़्यादा लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने की छूट थी, मगर रेप्रेज़ेंटेशन ऑफ़ द पीपुल ऐक्ट 1951 में संशोधन होने के बाद से तीन की बजाय दो सीटों से चुनाव लड़ने तक सिमित कर दिया गया है. अब कोई भी नेता हो सिर्फ दो ही सीटों पर चुनाव लड़ सकता है.

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