क्या है ‘करतारपुर साहिब कॉरिडोर’ का मामला, जिसके लिए पाकिस्तान को मनाना पड़ रहा है, जानें-

करतारपुर कॉरिडोर पर गुरुवार को अटारी बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच बातचीत हुई. इसके बाद अधिकारियों ने बताया कि कॉरिडोर के एग्रीमेंट में शामिल विभिन्न मुद्दों पर दोनों देश मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं.

india pakistan first meeting on-kartarpur-corridor in amritsar
india pakistan first meeting on-kartarpur-corridor in amritsar

श्रद्धालुओं की यात्रा आसान बनाने के लिए भारत ने पाक को कुछ प्रस्ताव दिए हैं. बैठक के बाद भारतीय डेलिगेशन ने मीडिया को बताया कि भारत ने पाकिस्तान से करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बिना वीजा यात्रा करने की मांग की है. साथ ही भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वो रोजाना 5000 तीर्थ यात्रियों को दर्शन करने की इजाजत दे. बड़े और अहम मौकों पर 10000 तीर्थयात्रियों को करतारपुर साहिब जाने की इजाजत मिले.

बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया. कई प्रस्तावों पर पाकिस्तान ने काफी संकुचित स्वरूप अपनाए रखा और जिसके चलते अहम निर्णय लिए जाने को लेकर कोई प्रगति नहीं हो सकती. अब अगली बैठक 2 अप्रैल को होगी.

बतादें, गुरुद्वारा करतार सिंह साहिब के पास एक बहुत बड़ा परिसर है. और भारतीय अधिकारियों ने पाया कि इन जमीनों पर काफी अतिक्रमण है. पाकिस्तान सरकार ने भी गुरुद्वारा जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है. भारतीय अधिकारियों ने इस जमीन पर अवैध रूप से हुए अतिक्रमण को खाली करने की मांग की है. लेकिन पाकिस्तान सरकार ने गुरुद्वारा की जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है.

पाकिस्तान का कहना है कि केवल भारतीय तीर्थ यात्रियों को ही अनुमति दी जा सकती है. उसने विजिटिंग डे पर केवल 500 यात्रियों को ही दरबार सिंह साहिब जाने की अनुमति देने पर अभी रजामंदी दिखाई है. और वीजा फीस के मामले में भी पाकिस्तान का पक्ष है कि तीर्थयात्रियों को विशेष वीजा लेने की जरूरत पड़ेगी और इसके लिए विशेष फीस का भुगतान करना पड़ेगा.

डेरा बाबा नानक पाकिस्तान की सरहद से 100 मीटर की दूरी पर पंजाब के गुरदासपुर में स्थित है. और अभी हालही में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने वाले यात्रियों के लिए कॉरिडोर बनाया गया है. अब तक कुछ श्रद्धालु दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन करते रहे हैं. मगर कॉरिडोर बनने के बाद अब वहां जा कर दर्शन कर सकते हैं. करतारपुर साहिब पाकिस्तान में आता है लेकिन इसकी भारत से दूरी महज़ साढ़े चार किलोमीटर है.

मान्यताओं के अनुसार, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आख़िरी 18 साल यहीं गुज़ारे थे. और माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव की मौत हुई थी वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था. पाकिस्तान में सिखों के और भी धार्मिक स्थान हैं- डेरा साहिब लाहौर, पंजा साहिब और ननकाना साहिब उन गांव में हैं जो भारत-पाक सीमा के क़रीब है.

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