बदल गया इलाहाबाद का नाम, 444 साल बाद फिर हुआ ‘प्रयागराज’..देखिए 444 साल की पूरी कहानी 2 मिनट में
भारत में कई ऐसी जगह हैं जो बरसों पुरानी हैं. उन्हीं में उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद भी है जो भारत के सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है. प्राचीन ग्रंथों के हिसाब से अगर देखा जाए तो इलाहाबाद को ‘प्रयाग’, ‘प्रयागराज’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही इलाहाबाद को सबसे पवित्र तीर्थ स्थल भी माना जाता है. इलाहाबाद में प्रत्येक छ: वर्षों में कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ होता है.
योगी सरकार ने बदला नाम

काफी समय से नेता और संत समुदाय यह मांग कर रहे थे कि इलाहाबाद से पहले रह चुके ‘प्रयाग’ नाम को वापस लाया जाए. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों की बात मानते हुए कुंभ नगरी इलाहाबाद का नाम फिरसे ‘प्रयागराज’ करने का ऐलान कर दिया है. राज्यपाल राम नाईक ने भी इस पर मुहर लगा दी है. जल्द ही इलाहाबाद प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा. योगी आदित्यनाथ ने प्राचीन बातों को बताते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है, उसे ‘प्रयाग’ कहा जाता है. दो नदियों (गंगा और यमुना) का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है, ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जाना उचित ही होगा.
प्राचीन समय में ‘प्रयाग’ के नाम से जाना जाता था इलाहाबाद

प्राचीन समय में इलाहाबाद शहर को ‘प्रयाग’ के नाम से जाना जाता था. प्रयाग अर्थात् ‘यज्ञ’, कहा जाता है की चार वेदों की प्राप्ति के पश्चात् ब्रह्मा ने यहीं पर यज्ञ किया था, इसीलिए सृष्टि की प्रथम यज्ञ स्थली होने के कारण इसे प्रयाग कहा गया. इलाहाबाद को ‘संगम नगरी’, ‘कुम्भ नगरी’ और ‘तीर्थराज’ भी कहा गया है.

‘प्रयागशताध्यायी’ के अनुसार काशी, मथुरा, अयोध्या इत्यादि सप्तपुरियाँ तीर्थराज प्रयाग की पटरानियाँ हैं, जिनमें काशी को प्रधान पटरानी का दर्ज़ा प्राप्त है. इलाहाबाद तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है. इलाहाबाद का तीर्थ प्राचीन काल से प्रसिद्ध है. यहाँ के जल से प्राचीन राजाओं का अभिषेक होता था, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है.
मुगल काल में बादशाह अकबर ने बसाया ‘इल्लाहबास’

644 ईसा पूर्व में चीनी यात्री ह्वेनसांग यहां आया था. कामकूप तालाब मैं इंसानी नरकंकाल देखकर दुखी हो गया था. उसने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया था. उसके जाने के बाद ही मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में अकबर ने प्रयाग में एक बड़ा किला बसाया और संगम की अहमियत को समझते हुए इसे ‘अल्लाह का शहर’, इल्लाहाबास नाम दे दिया। यह किला करीब 45 साल 05 महीने 10 दिन में तैयार हुआ, जिसमे करीब 20 हजार मजदूरों ने काम किया था.
अकबर ने यहां इलाहाबाद फोर्ट का निर्माण कराया, जिसे उनका सबसे बड़ा किला माना जाता है. जब भारत पर अंग्रेज राज करने लगे तो रोमन लिपी में इसे ‘अलाहाबाद’ लिखा जाने लगा. आजादी के बाद सरकार ने किले पर अधिकार कर लिया.
किन वजहों से प्रसिद्ध है इलाहाबाद
1. कांग्रेस पार्टी के तीन अधिवेशन इलाहाबाद में 1888, 1892 और 1910 में जार्ज यूल, व्योमेश चन्द्र बनर्जी और सर विलियम बेडरबर्न की अध्यक्षता में हुए.
2. महारानी विक्टोरिया का 1 नवम्बर 1858 का प्रसिद्ध घोषणा पत्र इलाहाबाद में ही अवस्थित ‘मिण्टो पार्क’ में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड केनिंग ने पढ़ा.
3. नेहरू परिवार का पैतृक आवास ‘ स्वराज भवन’ और ‘आनन्द भवन’ इलाहाबाद में ही है.
4. नेहरू-गाँधी परिवार से जुडे़ होने के कारण इलाहाबाद ने देश को प्रथम प्रधानमंत्री भी दिया.
5. चंद्रशेखर आज़ाद ने यहीं पर अल्फ्रेड पार्क में 27 फ़रवरी 1931 को अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए कई पुलिसजनों को मार गिराया औरं अंत में ख़ुद को गोली मारकर आजीवन आज़ाद रहने की कसम पूरी की.
6. 1919 के रौलेट एक्ट को सरकार द्वारा वापस न लेने पर जून, 1920 में इलाहाबाद में एक सर्वदलीय सम्मेलन हुआ, जिसमें स्कूल, कॉलेजों और अदालतों के बहिष्कार के कार्यक्रम की घोषणा हुई, इस प्रकार प्रथम असहयोग आंदोलन और ख़िलाफ़त आंदोलन की नींव भी इलाहाबाद में ही रखी गयी थी.
7. 1920 के दशक में महात्मा गांधी की अहिंसा आंदोलन की शुरूआत हुई.
इलाहाबाद की आबादी

इलाहाबाद के उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में संत रविदासनगर, दक्षिण में रीवा (म०प्र०) तथा पश्चिम में कौशाम्बी स्थित हैं. जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 5482 वर्ग मीटर किमी है. जिले को 8 तहसील, 20 विकास खंड में विभाजित किया गया है. 2013 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद शहर की वर्तमान जनसंख्या 1,342,229 है. ये भारत में जनसंख्या के अनुसार 32वें स्थान पर आता है.