ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में फव्वारे और शिवलिंग में अंतर पता करने में करोड़ों खर्च हो जाएंगे..ये है हाईटेक भारत वर्ष : संपादकीय व्यंग्य

PRAGYA KA PANNA
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मुबारक हो आप उस हाइटेक भारत देश में हैं..जो फव्वारा और शिवलिंग में अंतर स्पष्ट नहीं कर पा रहा है..सालों मुकदमा चलेगा..सैनिकों की तैनाती होगी..लाखों पेज का केस तैयार होगा..करोड़ों रूपए बर्बाद कर दिए जाएंगे..तब जाकर ये पता चलेगा कि मस्जिद में जिसे मुस्लिम फव्वारा बता रहे हैं..वो असल में शिवलिंग है या नहीं..आप फव्वारे (Gyanvapi Masjid) और शिवलिंग में भेद नहीं कर सकते…सालों तक न्याय नहीं कर पाते..और सपने विश्व गुरू बनने के देखते हैं..अब करोड़ों रूपए फव्वारा है या शिवलिंग ये पता लगाने में फूंक दिए जाएंगे..

महंगाई ने पिछले 9 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है..लेकिन आपकी टीवी पर बाबा मिल गए होंगे…रूपए की हालत खस्ता है..लेकिन आपकी टीवी पर बाबा मिल गए होंगे..डॉलर के मुकाबले रूपया 78 रूपए हो गया है लेकिन आपकी टीवी पर बाबा मिल गए होंगे..बेरोजगारी के रिकॉर्ड टूट चुके हैं..लेकिन आपकी टीवी पर भी बाबा मिल गए होंगे..लखनऊ में जगह जगह बेरोजगार धरना दे रहे हैं..मैं अकेली कितने धरनों में जाऊं..लेकिन आपकी टीवी पर बाबा मिल रहे होंगे (Gyanvapi Masjid)..वो बाबा जिन्होंने दुनिया बनाई है उनको कलयुग में खोज लिया गया है..चौथा खंबा जिसने आपके मुद्दे उठाने की कसम खाई थी..जो आज भी आपके सरोकारों की झूठी कसम खाता है..वो पूरा पूरा दिन पूरी पूरी रात बाबा खोजता है.

मस्जिद में शिवलिंग है या नहीं..मस्जिद (Gyanvapi Masjid) मंदिर पर बनी है या नहीं ये कानून तय करेगा..कोर्ट में तय होगा..लेकिन अदालतें टीवियों पर लगी हुई हैं..एंकर जज है..4-5 धार्मिक मुल्ला और बाबा पूरा दिन वकालत करते हैं.एक घंटे तक बहस करने के बाद ये तय कर दिया जाता है कि बाबा मिल गए हैं..और मस्जिद के भीतर ही हैं..आज एंकर नाम के प्राणी की हालत कितनी दयनीय हो चुकी है..आजाद भारत में वो स्टूडियों में बैठकर मस्जिद भी नहीं तोड़ सकता..बताईये गांधी ने कैसी खोखली आजादी दिलाई थी..2014 के बाद वाली आजादी में भी वो आजादी नहीं मिल पाई है..जैसी आजादी एंकर महसूस करना चाहता है..

भारत में भले कोयले की शॉर्टेज हो..भले ही पेट्रोल में आग लगी हो..भले ही रूपए की बैंड बजी हो..लेकिन हिंदू मुसलमान (Gyanvapi Masjid) के कंटेंट की कोई कमी नहीं है..भारत में 17 करोड़ मुसलमान हैं..7 लाख मस्जिदें हैं..96 करोड़ हिंदू हैं..और 20 लाख से ज्यादा मंदिर हैं..टीवी डिबेट्स के लिए प्रचुर मात्रा में कंटेंट पाया जाता है..इतने कंटेंट के साथ भारतीय मीडिया बिना सरकार से सवाल पूछे दशकों तक गोद में पड़ी रह सकती है…

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) का मामला निपटेगा..तो ताजमहल वेटिंग में हैं..ताजमहल निपटेगा तो मथुरा में राम जन्मभूमि के बगल में शाही ईदगाह का प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा..ये भी निपट गया तो धार में भोजशाला वाला मैटर शुरू हो जाएगा..कुतुंबमीनार भी है फिर जौनपुर की अटाला मस्जिद है..रोजगार..अर्थ व्यवस्था..नौकरी..गरीबी..कालाधन..गिरते रुपया..महंगाई के सवालों को छिपाने के लिए मीडिया के पास बहुत मसाला है..आप टीवी पर मंदिर मस्जिद के मजे लीजिए..और कृपया फ्री टाइम में धरने का दर्द बताने के लिए नौकरियों में धांधली की आवाज उठाने के लिए..अस्पताल में बेड दिलाने के लिए..पुलिस के भ्रष्टाचार से गर्दन छुड़ाने के लिए मुझे फोन ना करें..

एक बात और है..बता रही हूं तो बता ही हूं.. हम लोग अपने आप को मंदिर मस्जिद और पूजा पाठ में बड़े तीस मारखां बताते हैं..लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं है..अंकोरवाट नाम का विष्णु जी का मंदिर कंबोडिया में है..मंदिर मस्जिद (Gyanvapi Masjid) पर लड़ने वालों दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद भी भारत में नहीं है..साउदी में है..जिसका नाम मस्जिद अल हरम है..इसी को मक्का कहते हैं..

कोई इस बात पर नहीं लड़ता कि हम पिछड़े देशों की श्रेणी में क्यों पड़े हैं..कोई इस बात पर नहीं लड़ता कि चीन इतनी भयानक आबादी के बाद भी डेवलपमेंट का दादा कैसे बनता जा रहा है..कोई इस बात पर नहीं लड़ता कि हम अमेरिका को पछाड़कर दुनिया के दादा बनेंगे..कोई इस बात पर नहीं लड़ता कि हम महाशक्ति क्यों नहीं है..कोई गरीबी पर नहीं लड़ता..कोई घूसखोरी पर नहीं लड़ता..हमारे यहां हिंदू मुसलमान सड़क (Gyanvapi Masjid) पर भी लड़ते हैं..मंदिर मस्जिद में भी लड़ते हैं..और कोर्ट में भी लड़ते हैं..पूरे देश को ये तमाशा टीवी पर देखने में मजा आता है..मजे लीजिए…

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.