राजपथ का नाम क्यों बदला ?

PRAGYA KA PANNA
PRAGYA KA PANNA

भारत देश की सबसे शक्तिशाली सड़क का नाम बदल कर कर्तव्यपथ कर दिया गया है..अंग्रेजों ने नाम रखा ता..किंग्सवे..फिर नेहरू ने 1961 में नाम रखा राजपथ..और अब मोदी जी ने राजपथ पर अपना घर बनवा लिया है..(History Of Rajpath / KartavyaPath)इसके बाद इसका नाम रख दिया दिया गया है कर्तव्यपथ..नए नए नाम रखने में नई सरकार उस्ताद है..नाम रखने के मामले में सरकार ने भाभियों..मामियों..दादियों और बुआओं को भी पीछे छोड़ दिया है..

नामकरण में सरकार के आगे बड़े बड़े पंडित पानी मांगते हैं..याद करिए मोदी जी ने कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर ‘कृषि एवं किसान कल्याण’ मंत्रालय कर दिया था..किसानों का कितना कल्याण किया..पूरी दुनिया ने देखा (History Of Rajpath / KartavyaPath) ..2022 तक आय दोगुनी करने की डेडलाइन दी थी..लेकिन अंबानी जी की दुकान में 150 रूपए किलो बिकने वाला लहसुन किसान नदियों में फेंककर भाग रहे हैं..काम का हो ना हो नाम में भौकाल होना चाहिए..

किसानों का कल्याण हो ना हो..मंत्रालय का नाम किसान कल्याण मंत्रालय (History Of Rajpath / KartavyaPath) होना चाहिए..मोदी जी ने योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग रखा..लेकिन आज तक गरीबी खत्म करने वाली नीति नहीं बना पाए..चीन को भारत भूमि से भगाने की नीति नहीं बना पाए..उल्टा सरकारी कंपनियां बेचने की रणनीति बना ली.. प्रधानमंत्री आवास 7 रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर 7 लोक कल्याण मार्ग कर दिया..

लोकों का कल्याण छोड़ दीजिए..भारत के ही हिंदू मुसलमान में बंटवारा हो गया (History Of Rajpath / KartavyaPath) ..दो धर्मों का कल्याण नहीं कर पाए..गुड़गांव का गुरूग्राम सरदार पटेल स्टेडियम का नरेंद्र मोदी स्टेडियम..वगैरह वगैरह सब कुछ गिनाने बैठूंगी तो वीडियो अगली सुबह तक चलेगा..आप बोर नहीं होंगे लेकिन एडिटर हो जाएगा परेशान..इसलिए चिट्ठी को तार समझिए..बहुत बातों का सार समझिए..

नाम बदलने का एक ही फायदा है..इतिहास में लिखा जाएगा कि आटा दाल चालव दूह दही पर टैक्स लगाकर कालानंतर में भारत के एक प्रधानमंत्री हुए नरेंद्र मोदी जी जिन्होंने फलानी चीज का नाम बदलकर ढिमकानी कर दिया था..देश नहीं बिकने दूंगा का नारा देने वाले खुदै..देश की कंपनियां खुदै बेच डाले..

दोस्तो सरकार पैकेजिंग पर बहुत ध्यान देती है..कर्तव्यपथ नाम से ही लगता है कि इस पर चलकर जाने वाले नॉर्थ ब्लॉक..साउथ ब्लॉक के सारे मंत्री कर्तव्य निष्ठ होंगे..कोई टेनी टाइप का आदमी नहीं होगा..सब कर्तव्य मार्ग पर डटे हुए लोग होंगे..लेकिन आप फिर से गलत होंगे..कर्तव्य पथ पर सड़क छाप और झूठो के चलने पर कोई प्रतिबंध थोड़े होगा..

सड़क का नाम बदल देने से सड़क पर चलने वाले की पहचान बदल (History Of Rajpath / KartavyaPath) जाए ऐसा कभी नहीं होता..लोकतंत्र में महात्मागांधी मार्ग पर डकैतियां होती है..मारपीट होती है..कर्तव्य पथ पर चलने वाला काम ही करेगा चोरी नहीं करेगा..इसकी कोई गारंटी नहीं है..तीन किमी के कर्तव्य पथ के अगल बगल..तीन कोने का संसद भवन होगा..प्रधानमंत्री जी का नया घर होगा..प्रधानमंत्री जी का नया कार्यालय होगा..उपराष्ट्रपति जी का घर होगा..और मंत्रियों के दफ्तर होंगे..

राजपथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का रास्ता है, जिसकी लंबाई 3 किलोमीटर है. राजपथ पर ही हर साल गणतंत्र दिवस पर परेड निकलती है..इसी का नाम बदलकर कर्तव्यपथ कर दिया गया है..इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन की पूरी सड़क और क्षेत्र को ‘कर्तव्यपथ’ के नाम से जाना जाएगा..आए हैं तो ज्ञान भी लेते जाईए..

1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली (History Of Rajpath / KartavyaPath) बनाई, तो नई राजधानी को डिजाइन करने का जिम्मा एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दिया गया. 1920 में राजपथ बनकर तैयार हुआ था. तब इसे किंग्सवे यानी ‘राजा का रास्ता’ कहा जाता था..नई दिल्ली के जिस इलाके में राजपथ है..उसे लुटियंस दिल्ली कहा जाता है क्योंकि उसे लुटियंस ने बसाया था.. 75 सालों से राजपथ पर ही गणतंत्र दिवस की परेड हो रही है…अब से राजपथ कर्तव्यपथ है..समय समय पर नाम बदल देने से राजाओं को अपनी नाकामी का एहसास कम होता है…

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.