अयोध्या की तरह ज्ञानवापी मस्जिद हटाई जाएगी ? (Gyanvapi Masjid will Be Removed)

PRAGYA KA PANNA
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तो क्या वाराणसी की ज्ञान वापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid will Be Removed) को हटाकर अयोध्या की तरह वहां पर मंदिर बनाया जाएगा..क्या ज्ञानवापी मस्जिद तोड़ दी जाएगी..हर कोई ये जानना चाहता है..क्या अयोध्या झांकी है..काशी मथुरा बाकी है वाला नारा हकीकत में बदलेगा…नंदी मस्जिद की तरफ मुंह करके क्यों बैठे हैं..क्या सदियों से नंदी भगवान शिव का दीवार के इस पार इंतजार कर रहे हैं..आज मैं आपको इन सवालों के जवाब दूंगी..लेकिन सबसे बड़ा सवाल क्या ज्ञान वापी मस्जिद को तोड़ना या हटाना आज की तारीख में आसान है..

दोस्तों ज्ञान वापी मस्जिद को तोड़कर वहां पर मंदिर बना देना..या फिर मस्जिद को हटाकर वहां पर मंदिर बना देना अयोध्या जितना आसान नहीं है..अयोध्या में जो परिस्थितियां थीं उनके हिसाब से मंदिर बनाना इसलिए आसान हो पाया क्योंकि बाबरी को तोड़कर हटा दिया गया था..लेकिन बनारस में अभी ऐसी परिस्थितियां नहीं हैं..सरकार चाहकर भी मस्जिद की जगह पर मंदिर नहीं बना सकती..क्यों नहीं बना सकती..क्योंकि भारतीय संविधान का कानून इसकी इजाजत नहीं देता…कौन सा कानून..उस कानून का नाम है,..उपासना स्थल अधिनियम 1991 यानी प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991..प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 यानी जब से देश आजाद हुआ है..

उस तारीख के बाद से जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा.ये एक्ट किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप को बदलने से रोक लगाता है. ये एक्ट नरसिम्हा राव की सरकार के वक्त बनाया गया था..फिर से सुनिए ये एक्ट किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाता है..और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के रखरखाव के लिए एक तरह से सुरक्षा देता है..तो जब तक ये कानून है तब तक चाहे मस्जिद के भीतर मंदिर हो या मंदिर के भीतर मस्जिद हो..धार्मिक इमारत को हटाया नहीं जा सकता..

तो अब सवाल ये है कि कानून से अगर ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया (Gyanvapi Masjid will Be Removed) नहीं जा सकता तो फिर टीवी चैनलों पर चलने वाली बहसों का क्या होगा..मस्जिद के भीतर शिवलिंग के होने की जो बातें कही जा रही हैं उनका क्या होगा.. टीवी और अखबारों में घोषणा हो चुकी है..कि मस्जिद के भीतर मंदिर है..उसका क्या होगा..मस्जिद को मंदिर की जमीन पर बनाया गया है इसके कई लॉजिक दिए जा रहे हैं..

पहला लॉजिक है कि ज्ञान वापी मस्जिद का नाम ज्ञान वापी क्यों है..उसका उर्दू नाम क्यों है.. दूसरा लॉजिक है नंदी जी मस्जिद की तरफ मुंह करके क्यों बैठे हैं..क्योंकि हिंदू धर्म में नंदी का मुख शिवलिंग की तरफ ही होता है..इसका मतलब ये है कि शिवलिंग मंदिर की दीवार के उस पास मस्जिद में है..तीसरा लॉजिक है..ज्ञानवापी मस्जिद पर मुगल कालीन कलाकृतियां क्यों नहीं हैं..चौथा लॉजिक है ज्ञान वापी का मतलब होता है..ज्ञान का कुआं तो मस्जिद का नाम ज्ञान का कुआं क्यों रखा गया..

संविधान मौजूदा मस्जिद (Gyanvapi Masjid will Be Removed) की जगह पर मंदिर बनाने की इजाजत नहीं देता है..अब सवाल ये है कि मस्जिद की जगह पर मंदिर कैसे बनाया जा सकता है..दोस्तों ज्ञान वापी मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाने के तीन रास्ते हैं पहला रास्ता है कि बहुमत की केंद्र सरकार धर्मिक स्थलों में बदलावों पर रोक लगाने वाले वर्शिप एक्ट को खत्म करे..दूसरा रास्ता ये है कि मुस्लिम पक्ष वजूखाने के फव्वारे को जिसको हिंदू पक्ष शिवलिंग कह रहा है उसे शिवलिंग मान ले और हिंदू पक्ष को मस्जिद की जगह को स्वइच्छा से भाईचारे से छोड़ दे..या फिर तीसरा रास्ता वो है जिस पर हिंदू और मुस्लिम दोनों चल रहे हैं मतलब कोर्ट..कोर्ट फैसला करे कि क्या होना चाहिए..पूरी मस्जिद की जमीन पर मंदिर बनवाना चाहिए या फिर जिस वजू वाली जगह पर हिंदू पक्ष शिवलिंग मिलने का दावा कर रहा है..जिस तरफ नंदी मुंह करके बैठै हैं..वो हिस्सा मंदिर में मिलाया जाए..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.