आप करें तो रास लीला,वो करें तो कैरेक्टर ढीला: संपादकीय व्यंग्य (Rahul Gandhi T-shirt V/s Narendra Modi Suit)

PRAGYA KA PANNA
PRAGYA KA PANNA

दोस्तों एक कहावत है..सूप बोले तो बोले..छलनियों बोले..जिसमें हजारों..छेद..ये कहावत भारतीय जनता पार्टी पर बिल्कुल फिट बैठती है..दोस्तों हुआ ये है कि कांग्रेस कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है..एक दिन राहुल गांधी को बीजेपी (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) ने एक टीशर्ट पहने देख लिया..बीजेपी ने कहा इ देखो गुरू..राहुल गांधी जउन टीशर्ट पहिने हैं.उ 41 हजार की है..भारत जोड़ने वाले 41 हजार की टीशर्ट पहनते हैं..बस इतना कहते ही बीजेपी ने अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली..

राजा जी के गड़े मुर्दे उखड़ने लगे..जिनको नहीं मालूम था..उनको भी राजा जी के लाखों के सूट लाखों के चश्मे के बारे में पता चल गया..राहुल गांधी के कपड़ों की कहानी तो खोजने से मिलती हैं..लेकिन राजाजी की तो भरी पड़ी हैं…बीजेपी (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) ने ऐसे कीचड़ में पत्थर मारा जिस कीचड़ में कमल पहले ही लोट चुका है..बस फिर क्या था कांग्रेस उसी कीचड़ को उछालने लगी..कांग्रेस बोली ओबामा से मिलने के लिए राजाजी ने सोने के धागों से अपना नाम लिखवाकर 10 लाख का सूट पहना था..

फकीर आदमी लाखों करोड़ों का सूट (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) पहनता है..ऐसा फकीर भगवान सबको बनाए..बहुत बवाल के बाद राजाजी ने वो सूट नीलाम करवा दिय था..उस सूट की नीलामी..4 करोड़ 31 लाख रूपए में हुई थी..जब से बीजेपी ने राहुल गांधी की टीशर्ट के दाम बताए हैं..तब से कांग्रेस राजा जी के कपड़े लत्तों की बखिया उधेड़ रही है…

इसीलिए कहते हैं भईया….जब अपना घर शीशे का बना हो तो दूसरे के घर पर पत्थर नहीं मारना चाहिए..दूसरा पत्थर मारेगा तो आपके घर की छीछालेदर हो जाएगी..और सुनिए मामला यहीं नहीं रुका..फिर राजा जी के चश्मे की कीमत भी मार्केट में आ गई..राजा जी का ये मेबाख ब्रांड का काला चश्मा जिसको वो सूर्य ग्रहण देखने के लिए लाए थे..उसकी कीमत डेढ़ लाख रूपए थी..लाखों का सूट लाखों का चश्मा..और कहते हैं मैं तो फरीर हूं झोला लेकर चल पड़ूंगा जी..

वारी फकीरी..अरविंद केजरीवाल ने एक बार कहा था कि राजा जी जो कपड़ा एक बार पहन लेते हैं वो दोबारा नहीं पहनते..हमने भी गूगल किया तो पता चला..मोदी जी दिन दिन भर में दो-दो तीन-तीन जोड़ी कपड़े बदलते (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) पाए गए..केजरीवाल के बयान ने मरहूम जय ललिता की याद दिला दी..जय ललिता के बारे में कहा जाता था कि वो कोई साड़ी दोबारा नहीं पहनती थीं और इस तरह उनके पास 10 हजार 5 सौ साड़ियां इकट्ठा हो गई थीं..

देखिए दोस्तों राजा जी पहनने ओढ़ने के शैकीन हैं..ठीक है होना चाहिए..इतनी बड़ी पोस्ट पर आदमी मलिछ बनकर थोड़ी रहेगा..लेकिन दिक्कत इस बात की है..कि राजा जी खुद अच्छे पहने तो ठीक कोई (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) और अच्छे कपड़े पहन ले तो..राजाजी के पेट में दर्द शुरू हो जाता है…ये नहीं चलेगा..ये सामंतवादी सोच नहीं चलेगी..राजा जी तो सरकार हैं..राजा जी जो कपड़े पहनते हैं वो तो फिजूलखर्ची में गिना जाएगा..

क्योंकि जनता के टैक्स के पैसों की चाबी राजाजी के पास ही है..राजाजी कौन सा खुद के पैसे से रोज कपड़ा बदल बदलकर पहनते होंगे..राजा जी के पास जो है सब जनता के पैसे का ही तो है..राजाजी को सैलरी भी जनता के पैसे से ही मिलती है..राहुल गांधी तो फिर भी विपक्ष में हैं..किसी पोस्ट पर भी नहीं हैं..

ये देखिए राजा जी की मोम की मूर्ति लगाने का प्रोग्राम चल रहा था..नपाई जोखाई हुई मूर्ति लगी भी..बताओ किसी फकीर का मोम का पुतला लगा आजतक कहीं..इन सब के लिए इंटरनेशनल फकीर (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) बनना पड़ता है…तो भईया जमाना बहुत टेढ़ा हो गया है..और हां राहुल गांधी जौन सी टीशर्ट पहिने हैं..उसके बारे में भी जानिए क्योंकि जातने रहेंगे तो जिंदगी में जीतते रहेंगे..राहुल गांधी ने बरबेरी ब्रांड की टीशर्ट पहनी है..

ये ब्रांड ब्रिटिश ब्रांड है..1856 में थॉमस बरबेरी ने केवल 21 साल की उम्र में ही इस ब्रांड को बड़ा बना दिया था..विश्व युद्धों तक में इस ब्रांड के कपड़े पहने गए..राहुल गांधी पहन लिए तो कौन भारत की जीडीपी नीचे गिर गई..इस देश में जब तेल महिंगा होता है तो कहा जाता है कि देश का विकास हो रहा है..जब दूध दही आंटे दाल (Rahul Gandhi T-shirt Vs Narendra Modi Suit) पर टैक्स पर इतिहास में पहली बार टैक्स लगा दिया जाता है तो कहा जाता है इससे देश का विकास होगा..तो जब हर महंगी चीज से देश का विकास हो रहा है तो राहुल गांधी की महंगी टीशर्ट से देश का सत्यानाश कइसे हो सकता है…

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.