भारत में नेता यात्राएं क्यों करते हैं ? महात्मा गांधी से राहुल गांधी तक..

हमने 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कन्याकुमारी से दिल्ली तक 6 महीने चली भारत यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) देखी..1985 में मुंबई में दिल्ली की राजीव गांधी की संदेश यात्रा देखी..
1990 में सोमनाथ से अयोध्या के लिए 10 हजार किमी तक चली लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा देखी.. 1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा देखी..2003 में कांग्रेस के वाई एस राजशेखर रेड्डी की 1 हजार 4 सौ किलोमीटर की पदयात्रा देखी..2004 में अटल बिहारी वाजपेयी को दोबारा प्रधानमंत्री (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) बनाने के लिए आडवाणी की भारत उदय यात्रा देखी..
फिर जन विश्वास यात्रा.. गांगा यात्रा..कलश यात्रा..परिवर्तन यात्रा..चंदा यात्रा..विजय यात्रा..जनसंपर्क यात्रा..पद यात्रा..कद यात्रा..मत यात्रा..लड़ाओ..बांटो..काटो..मारो..वाली यात्राएं देखीं..लेकिन ट्वविटर फेसबुक..व्ह्ट्सअप इंस्टा के बगैर भी यादों में अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने के लिए महात्मा गांधी की दांडी यात्रा रह जाती है..
आडवाणी की रथ यात्रा रह जाती है..और अब आज के युग में राहुल गांधी की भारत जोड़ो (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) यात्रा से आने वाली तस्वीरें लोगों के दिलों में जगह बना रही हैं..ऐसा क्यों है..राहुल गांधी से लोगों को कौन मिलाता है..इस यात्रा के लिए राहुल गांधी कितने बजे उठते हैं..और जिनको बीजेपी ने पप्पू साबित कर दिया था..वो राहुल गांधी एक दिन में लगभग कितने किलोमीटर पैदल चल लेते हैं..आज इसी को प्वाइंट टू प्वाइंट समझेंगे..
दोस्तों महात्मा गांधी की दांड़ी यात्रा में वोट लेने की लालसा नहीं थी..बल्कि लोगों को अंग्रेजों के नमक कानून से मुक्ति दिलाने की मंशा थी..इसलिए लोग साथ आए..लड़े और जीते..और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी तात्कालिक वोट लेने की मंशा नहीं है..राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अमृत काल में विषाक्त हो चुके भारत को जोड़ने का संदेश है..भारत में 1999 के बाद कोई ऐसी यात्रा नहीं रही जिसकी तस्वीरें आपको याद होंगी..
लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से एक से बढ़कर एक भावुक कर देने वाली..मन को छू लेने वाली..सकून देने वाली..एकता दिखाने वाली..तस्वीरें आ रही हैं..इस तस्वीर में देखिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) एक महिला का मास्क बांध रहे हैं..महिला राहुल से मिलने आई..मिलते समय मास्क पहना लेकिन मास्क ढीला हो गया तो राहुल गांधी खुद महिला का मास्क बांधने लगे..जैसे बेटा अपनी मां को संभालता है..वैसे इस महिला को राहुल गाधी संभालने लगे..
अब ये तस्वीर देखिए..सोनिया गांधी यानी राहुल गांधी की अपनी मां हैं..राहुल का साथ देने के लिए आई थीं..उनके जूते का फीता खुल गया..राहुल गांधी ने खुद सोनिया गांधी के जूते के फीते बांधे..फिर तबीयत खराब होने के चलते उनको गाड़ी में ही बिठा दिया..आप चाहे राहुल गांधी के जितने बड़े विरोधी हों लेकिन ये तस्वीरें आपको एक बार जरूर रोक लेंगी..
कहीं बच्चियों को गले लगा रहे हैं..कहीं..बुजुर्गों को सहारा दे रहे हैं..कहीं बहनों के साथ हैं..कहीं बेटियों के साथ हैं..कहीं बच्चों के साथ हैं..ये जुड़ाव ये लगाव..कन्याकुमारी (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) से कश्मीर तक का साढ़े तीन हजार किमी का पैदल रास्ता..राहुल गांधी को कुछ दे ना दे लेकिन अनुभव..और दुआएं जरूर देगा..
इस यात्रा में राहुल गांधी के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती है..सुबह राहुल अपने घुटनों का फिजियोथेरेपी कराते हैं..फिर सुबह 6 बजे झंडा फहराते हैं..फिर जहां रात में सोते हैं वहीं सुबह आगे की पैदल यात्रा (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) की शुरूआत करते हैं..एक दिन में राहुल गांधी..तकरीबन 18 से 20 किलोमीटर चलते हैं..बहुत सारे लोग राहुल गांधी से मिलना चाहते हैं..इसके लिए कोई टीम लोगों को भेजती नहीं है..राहुल गांधी खुद भीड़ में से लोगों को बुला लेते हैं..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.