बाबरी मस्ज़िद गिराने में हनुमान जी ने की थी मदद ? कुछ नहीं कर पाए थे 40 हज़ार सैनिक
Ulta Chasma Uc : राम नगरी अयोध्या में 25 नवंबर को 1992 का इतिहास फिर से दोहराया जा सकता है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने 25 नवंबर को अयोध्या जाने का एलान कर दिया है. साथ ही शिवसेना के कार्यकर्ता बृहस्पतिवार दोपहर से ही अयोध्या पहुँचने लगे हैं. 300 से ज्यादा शिवसैनिक ‘जय श्रीराम’ का जयघोष लगाते हुए हाथ में भगवा ध्वज लेकर अयोध्या के लिए रवाना हो चुके हैं. शिवसेना के चार बड़े नेता संजय राउत, मिलिंद नार्वेकर, एकनाथ शिंदे और अनिल परब पहले से ही अयोध्या पहुँच चुके हैं.

25 नवम्बर को लगेगी धर्म संसद
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 25 नवंबर को विश्व हिंदू परिषद ने धर्म संसद बुलाई है. जिस तरह से राम भक्त अयोध्या की राम नगरी पहुँच रहे हैं इससे तो साफ़ दिखाई दे रहा है 25 नवम्बर को 1992 का इतिहास दोबारा सामने खड़ा होगा. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवक अयोध्या में जमा हुए थे और बाबरी मस्ज़िद गिरा दी गई थी.

मस्जिद गिराने में हनुमान जी ने की थी मदद
बाबरी मस्ज़िद गिराने की एक कहानी बहुत ज्यादा सुनाई जाती है..वो है हनुमान जी वाली कहानी..कहते हैं हनुमान जी ‘हनुमान गढ़ी’ से निकले थे. और पल भर में क्या हुआ किसी ने सोचा भी नहीं था. जिसके बाद ऐसा दंगा हुआ जिसनें भारत के राजनेताओं को झकझोर कर रख दिया. इसके साथ ही ये एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसकी गूंज आज भी भारत की राजनीति में सुनाई देती है.
अब हम आपको बताते है हनुमान जी की वो कहानी जिसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है. हम ज़िक्र करने वाले हैं 30 अक्टूबर 1990 का. उस समय उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. राम मंदिर को तोड़ कर उसके ऊपर खड़ी बाबर द्वारा बनाई गई बाबरी मस्ज़िद को गिराने के लिए राम भक्तों का जनसैलाब उमड़ा तो मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने बाबरी ढांचे को बचाने के लिए उसके चारो तरफ पुलिस और सैनिकों का पहरा लगा दिया. कुछ ही देर में मुलायम ने वहां 40 हज़ार सैनिकों को तैनात कर पूरे एरिये को एक छावनी में तब्दील कर दिया.

पूरी फ़ोर्स लगाने के बाद मुलायम सिंह यादव से ये दावा किया था कि अब बाबरी ढांचा तो छोड़िये पूरे अयोध्या में कोई परिंदा तक पर नहीं मार सकता. मुलायम के आदेश से अयोध्या की तरफ जाने वाली ट्रेनों और बसों को रोक दिया गया था. बाबरी ढांचे की ओर जाने वाले हर रास्ते को सील कर दिया गया. हर मोड़-चौराहे पर बस बैरिकेडिंग और जवान ही दिखाई दे रहे थे. कई बार जब राम भक्तों ने जबरन आगे बढंने का प्रयास किया तो वहां मौज़ूद पुलिस के जवानों ने भयंकर लाठीचार्ज कर दिया. जिसमें रामभक्त समेत विश्व हिंदु परिषद के लोग भी लहुलुहान हो गए.

पुलिस और रामभक्तों के बीच बवाल चल ही रहा था की तभी एक ऐसा चमत्कार हुआ जिसको मुलायम के 40 हज़ार जवान देखते ही रह गए. बाबरी ढांचे से कुछ ही दुरी पर स्थित हनुमान जी के विश्वविख्यात मन्दिर ‘हनुमानगढ़ी’ के बंद कपाट खुल गए और उसमें से एक साधारण से दिखने वाले साधु निकले उन्होंने सिर्फ एक भगवा लंगोट ही पहन रखी थी. बिना कुछ सोचे समझे वो मंदिर की सीढ़ियों से तेजी से उतरने लगे, जैसे उनके ऊपर स्वयं हनुमान जी सवार हो गए हों. सीढ़ियों से उतरते हुए उन्होंने हार कर किनारे बैठे रामभक्तों को देखा तो उनका क्रोध और बढ़ गया. हनुमानगढ़ी की सीढ़ियों से उतरते ही पास में खड़ी PAC की बस पर चढ़ गए. बिना देरी किये पलक झपकते ही वो बस को लेकर रास्ते भर में लगी बैरिकेडिंगों को तोड़ते हुए बाबरी ढांचे की तरफ आगे बढ़ गए.

ये देख कर रामभक्तों में जोस जागा और हज़ारों की संख्या में जनसैलाब उसी बस के पीछे पीछे चलने लगा. ऐसा मंजर देखकर सभी पुलिस जवान हक्के-बक्के रह गए. वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि ये क्या हो रहा है. देखते ही देखते वो साधु बस से सब कुछ तहस-नहस करता हुआ अपने साथ पूरी सभा को लेकर कुछ ही पलों में बाबरी ढांचे तक पहुंच गया. इसके साथ ही मुलायम सिंह जो बड़े बड़े दावे कर रहे थे वो पूरी तरह से फेल हो गए. बाबरी ढांचा को हज़ारों रामभक्त कारसेवकों ने घेर लिया और कारसेवकों ने ढांचे के गुम्बद पर चढ़कर उसके शिखर पर भगवा ध्वज फहरा दिया. इस पूरी घटना के बाद भी एक सवाल सबके ज़हन में आज भी ज़रूर उठता है कि आखिर वो साधु कौन था. कहां गया ?

Web Title : Hanuman ji helped in demolishing Babri Masjid ayodhya
HINDI NEWS से जुड़े अपडेट और व्यूज लगातार हासिल करने के लिए हमारे साथ FACEBOOK और TWITTER हैंडल के अलावा GOOGLE+ पर जुड़ें.