गुजरात के मुख्यमंत्री की दौड़ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का नाम आगे
Gujarat Chief Minister : अहमदाबाद में सीएम रूपाणी के अचानक राज्यपाल आचर्य देवव्रत को खुद इस्तीफा देने के बाद भाजपा के लोगों में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. भाजपा के राजनीतिज्ञों इस सोच में डूबे हरैं कि गुजरात का अगला मुख्यमंत्री किसे बनाया जायेगा. वही मामले में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम रुपाला की मानें तो इसकी तस्वीर कल सुबह तक साफ हो जाएगी.
जबकि सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री की रेस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया गुजरात के अगले मुख्यमंत्री बनाएं जा सकते हैं. साथ ही उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल, पूर्व गृहमंत्री गोरधन झडफिया और पुरुषोत्तम रुपाला के नामों पर भी विचार किया जा सकता हैं.
गुजरात के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने रूपाणी के इस्तीफे के बाद सीआर पाटिल ने कहा था कि पीएम मोदी का सपना है कि गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 150 से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. जिससे भाजपा गुजरात में एक नया रिकॉर्ड बना सके.
प्रदेश अध्यक्ष के दिए गए बयान से साफ है कि भाजपा गुजरात में पाटीदार समाज को किसी भी हाल में नाराज नही कराना चाहेगी. ऐसे में गुजरात को जल्द ही किसी पाटीदार को मुख्यमंत्री बनाकर पाटीदारों को साधाने का प्रयास किया जा सकता है.
पीएम के भाषण में मिला था विदाई का इशारा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अहमदाबाद में पाटीदार समाज की तरफ से बनवाए गए ‘सरदारधाम भवन’ का लोकार्पण और सरदारधाम फेज-2 कन्या छात्रालय उद्घाटन किया था. इस दौरान प्रधानमंत्री ने पाटीदार समाज की जमकर तारीफ की थी.
पीएम ने कहा था कि पाटीदार समाज ने व्यापार के क्षेत्र में देश को हमेशा एक नई पहचान दी है. इस कार्यक्रम के बाद ही विजय रुपाणी अपना इस्तीफा देने सीधे राजभवन पहुंचे थे। इससे साफ हो गया कि गुजरात का नया मुख्यमंत्री पाटीदार हो सकता है.
मनसुख मांडविया पीएम मोदी और अमित शाह दोनों की गुड बुक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे होने की अहम वजह यह भी है कि वे प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमित शाह के करीब माने जाते हैं.
कोरोना काल में मांडविया ने गुजरात में भाजपा सरकार की छवि सुधारने के लिए काफी काम किया था. जबकि पाटीदार समाज के अलावा कडवा और लेउआ पटेल समुदाय में भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती हैं..
उत्तराखंड और कर्नाटक में भी बीजेपी ने यह फॉर्मूला अपनाया है। पिछले 6 महीने में बीजेपी ने 4 मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। राजनीतिक जानकार इसके पीछे की वजहें तलाशने में जुटे हैं। हालांकि, चुनावी नतीजे यह तय करेंगे कि बीजेपी की रणनीति कितनी कामयाब है।
भाजपा ने 6 महिने में बदले 4 सीएम
भाजपा शासित राज्यों में यह कोई पहला किस्सा सामने नही आया हैं कि जब कि किसी मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल खत्म होने से कुछ ही समय पहले अपने पद से इस्तीफा दिया हो. भाजपा में बीते 6 महिनों में करीब 4 मुख्यमंत्रियों ने अपना पूरा कार्यकाल करने से पहले इस्तीफा दे चुके हैं. रूपाणी से पहले कर्नाटक में जुलाई में बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी.
बीएस येदियुरप्पा से पार्टी के कई नेता नाराज चल रहे थे. लिंगायत समुदाय के बड़े नेता और दक्षिण में पहली बार कमल खिलाने वाले येदियुरप्पा की जगह अब उनके ही करीबी नेता बीएस बोम्मई को सौंपी गई है.
जबकि उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत को हटाया था ,तीरथ सिंह रावत को मार्च में ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर सीएम बनाया गया था. गुजरात और उत्तराखंड में अगले साल चुनाव होने जा रहे है. उत्तराखंड में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ नाराजगी को लेकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन वह अधिक दिन तक कुर्सी नहीं संभाल पाए.
अब वहां पुष्कर सिंह धामी को जिम्मेदारी दी गई है. उत्तराखंड के बीजेपी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व से तीरथ के खिलाफ शिकायत की थी. कई विवादित बयानों की वजह से वह मीडिया की सुर्खियों में रहे और सरकार की छवि खराब होते देख बीजेपी ने उनकी छुट्टी कर दी थी.