कश्मीर के 5 बड़े अलगाववादी नेताओं की हटाई गई सुरक्षा, आतंकवादियों से था कनेक्शन
पुलवामा में हुआ आतंकी हमले के बाद से मोदी सरकार एक्शन में है. सरकार ने पहले पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड का दर्जा छीना. और अब सरकार से कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर एक बड़ी कार्यवाही की है.
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में 5 अलगाववादी नेताओं खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए उन्हें दी गई सभी सुरक्षा और सुविधाएं वापस लिए जाने का बड़ा निर्णय लिया है. जिसमें अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह शामिल हैं. इन सभी की सुरक्षा और वाहनों की सुविधा आज से ख़त्म कर दी गई है. बतादें इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने के लिए पहले भी कई बार आवाज उठ चुकी थी. मगर पुलवामा हमले के बाद सरकार ने ये कदम उठा ही लिया.
कश्मीर में लगातार आतंकवाद बढ़ता ही जा रहा है. और ये अलगाववादी नेता भी पाकिस्तान से मिलकर उनके लिए काम करते हैं और कश्मीर के युवाओं को आतंकी बनाते हैं. मगर क्या आप जानते हैं की इन आतंकियों के आकाओं की सुरक्षा पर सरकार कितने रुपये खर्च करती है. अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार सालाना करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. एक आरटीआई में यह बात सामने आई है कि इनकी सुरक्षा और सुविधाओं पर खर्च राज्य सरकार करती है.
एक अलगाववादी नेता पर 20 से लेकर 25 सुरक्षाकर्मी दिनरात अलर्ट रहते हैं. इनको बुलेटप्रूफ गाड़ी दी जाती है. और ये फाइव स्टार श्रेणी के अस्पतालों में इलाज करवाते हैं. मीरवाइज उमर फारुख की सुरक्षा सबसे मजबूत है. उसकी सुरक्षा में डीएसपी रैंक के अधिकारी हैं. मगर आज से इन सभी अलगाववादी नेताओं से हर सुविधा वापस ले ली जाएगी.
शुक्रवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर के दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का नाम लिए बगैर चेतावनी देते हुए कहा था कि पाकिस्तान और आईएसआई से आर्थिक मदद लेने वालों की सरकारी सुरक्षा पर भी नए सिरे से विचार किया जाएगा. कुछ ऐसे असामाजिक तत्व हैं, जो सीमा पार से आतंकी संगठनों, आतंकी ताकतों और आईएसआई के साथ हाथ मिला रहे हैं. वे आतंकी साजिशों में शामिल भी हैं. वे जम्मू कश्मीर के लोगों और खासकर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी.