कश्मीर के जमात-ए-इस्लामी संगठन पर बैन, 1000 से ज्यादा धार्मिक संस्थान सील, 200 गिरफ़्तार
भारत सरकार ने कश्मीर में एक बड़ा फैसला ले लिया है. सरकार ने एक अलगाववादी संगठन पर बैन लगा दिया है. सरकार के इस फैसले से अलगाववादी नेताओं में हड़कंप मच गया है.

जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ सरकार ने बड़ा ऐक्शन लिया है. सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर कार्रवाई करते हुए उसके 70 खाते सील कर दिए हैं. और जमात-ए-इस्लामी के 52 करोड़ कैश भी फ्रीज कर दिए गए हैं. सरकार की इस बड़ी कार्रवाई में एक हजार से ज्यादा धार्मिक संस्थान भी सील कर दिए गए हैं और जमात-ए-इस्लामी के 200 मेंबर भी हिरासत में ले लिए जा चुके हैं.
बता दें कि सरकार ने कल शुक्रवार को ही जमात-ए-इस्लामी के संगठन पर बैन लगा दिया था. और कल ही संगठन के 350 से ज्यादा सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया था. जाँच में पता चला है कि ये संगठन घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है. और सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संगठन के पास 4,500 करोड़ की संपत्ति होने की संभावना है. इन सभी कि जांच होगी उसके बाद पता चलेगा कि ये वैध है या अवैध.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा के मुद्दे पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में ये निर्णय लिया गया. जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है. और ये कार्रवाई संगठन के देश विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में जुटे होने के कारण और गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत की गई है. साथ ही इस संगठन पर आतंकियों के साथ करीबी संबंध रखने का भी आरोप है.
केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल के प्रतिबंध की घोषणा की है. जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था. जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों के प्रचार-प्रसार के लिए जिम्मेदार मुख्य संगठन है और वह हिजबुल मुजाहिदीन को रंगरूटों की भर्ती, उसके लिए धन की व्यवस्था, आश्रय और साजो-सामान के संबंध में सभी प्रकार का सहयोग देता आ रहा है.