नहीं रहे भारतीय राजनीति के मिसाल ‘नारायण दत्त तिवारी’, 14 की उम्र से लेकर 93 तक का सफर…

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी अब हमारे बीच नहीं रहे. 93 साल के नारायण दत्त तिवारी ने दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली. हैरानी वाली बात ये है की आज ही के दिन वो पैदा हुए थे और आज ही के दिन उनका निधन हो गया. निधन के दो घंटे पहले उनके बेटे रोहित ने अस्पताल में ही पिता नारायण दत्त तिवारी का जन्मदिन मनाया था. उनके बेटे ने अपने पिता को केक भी खिलाया था.

काठगोदाम में होगा अंतिम संस्कार

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डॉक्टरों ने बताया की दोपहर बाद 2.50 बजे नारायण दत्त तिवारी को दिल का दौरा पड़ा. एनडी तिवारी को ब्रेन स्ट्रोक आने के कारण 29 सितंबर 2017 से दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती थे. शनिवार सुबह 11 बजे एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर लखनऊ ले जाया जाएगा. फिर रविवार को काठगोदाम ले जाया जाएगा. यहीं पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

राजनीतिक करियर की शुरुआत

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राजनीति की बात करें तो एनडी तिवारी के नाम एक ऐसी उपलब्धि है जिसकी मिसाल भारतीय राजनीति में शायद ही मिले. एनडी तिवारी का राजनीतिक कार्यकाल क़रीब पाँच दशक लंबा रहा. तिवारी दो अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री रहे. 1976-77, 1984-84 और 1988-89 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और साल 2002 से 2007 तक उत्तराखण्ड के तीसरे मुख्यमंत्री रहे. एनडी तिवारी का राजनीतिक सफर 1947 में आजादी के साल ही शुरू हुआ जब वह विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. यह उनके सियासी जीवन की पहली सीढ़ी थी. एनडी तिवारी ने कांग्रेस में पहला कदम 1963 में रखा.

18 घंटे करते थे काम

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एनडी तिवारी के लिए 1990 में एक वक्त आया था जब राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दावेदारी की चर्चा भी हुई. लेकिन बाद में कांग्रेस के भीतर पीवी नरसिंह राव के नाम पर मुहर लगा ही गई. जनवरी 2017 में उन्होंने अपने बेटे रोहित शेखर के साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था. मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी के बारे में ये मशहूर था कि वो रोज़ 18 घंटे काम करते थे. चाहे वो रात को 2 बजे सोने गए हों या सुबह 4 बजे, रोज़ 6 बजे उनकी आँख खुल जाया करती थी. वो अपने लॉन में कुछ देर टहलने के बाद लोगों से मिलने के लिए तैयार हो जाते थे. तिवारी ने 1954 में सुशीला तिवारी से विवाह किया. 1991 में सुशीला का निधन हो गया. 14 मई 2014 को उन्होंने उज्ज्वला तिवारी से 88 साल की आयु में दूसरी शादी की.

14 साल की उम्र में अंग्रेजों से भिड़े

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एनडी तिवारी का जन्म नैनीताल के गांव में वर्ष 1925 में हुआ था. तिवारी जब 14 साल के थे, तब आजादी के लिए देश में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन चल रहा था. ये बात 1939 की है जब वे अपने पिता पूर्णानंद तिवारी के साथ स्कूल जा रहे थे. तभी तिवारी ने माइलस्टोन पर ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ लिख दिया. नारायन का ये साहस अंग्रेजी हुकूमत को इतना बुरा लगा गया कि अंग्रेजो ने उन्हें जेल भेज दिया.

तीन दिन का राजकीय शोक घोषित

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एनडी तिवारी के निधन पर प्रदेश सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है. तिवारी के सम्मान में 18 अक्टूबर से अगले तीन दिन तक राजधानी और जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. कोई भी शासकीय मनोरंजन के कार्यक्रम नहीं होंगे. जो कार्यक्रम पहले से तय हैं, उन्हें रद्द घोषित किया जाएगा. गृहमंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ ने उन्हे श्रद्धांजलि दी.

 

 

 

 

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