गुजराती पृथ्वीराज के आगे आल्हा-ऊदल को भुला दिया..

PRAGYA KA PANNA
PRAGYA KA PANNA

बड़े लड़ैया मोहबे वाले जिनकी मार सही ना जाए

एक का मारैं दुई मरि जाएं तीसरा खौफ खाए मर जाए

मरे के नीचे जिंदा लुक गौ..ऊपर लोथ लई लटकाए..

ये खौफ था बुंदेलखंड की माटी में जन्में दो वीर योद्धाओं आल्हा और ऊदल का..वही आल्हा और ऊदल जिन्होंने गुजरात में जन्मे पृथ्वीराज चौहान को 52 बार युद्ध में हराया…कितनी बार 52 और एक बार खुद पृथ्वीराज (Forget Alha udal in front of Gujarati Prithviraj) को मैदान में आना पड़ा तो गुरू गोरक्षनाथ के कहने पर वीर आल्हा ने पृथ्वीराज को प्राण दान देकर छोड़ दिया था..क्या गलती है आल्हा और ऊदल की जो उनको इतिहास के पन्नों के नीचे तब भी ढक दिया गया था..

और अब भी उनकी वीरता के बारे में चर्चा करने से वर्ग विशेष को बड़ी घबराहट होती है…क्या कसूर था उनका..क्या ये कि वो गुजराती नहीं बुंदेलखंडी थे..या ये कि वो पृथ्वीराज को रण में धूल चंटा सकते थे लेकिन ऊंचे समाज के नहीं थे इसलिए वो पहचान को तरस गए..जाति कोई भी थी लेकिन कर्म से तो क्षत्रिय ही थे..इनकी वीरता के बारे में आल्हाखंड में कहा गया है कि..

बारह बरस तक कूकूर जीवे..16 बरस तक जिये सियार
बरस 18 क्षत्रिय जीवे आगे जीवे तो धिक्कार…

इतिहास की किताबों में में अगर हिंदू राजाओं और मुगलों के बीच भेदभाव हुआ..तो दूसरी तरफ हिंदू शासकों और उनके दरबारियों ने इतिहास लिखते समय जातिगत भेदभाव किए..एक बार आप सोचिए कि आल्हा ऊदल मां दुर्गा के भक्त थे प्रकांड हिंदू थे..कहते हैं आल्हा आज भी जिंदा हैं..उनके मंदिर बने हैं..

आल्हा गुरू गोरखनाथ के शिष्य थे..तो फिर इतिहास की किताबों में उनको क्यों दबा दिया गया..और सिर्फ आल्हा ऊदल नहीं..अहिल्या बाई..सावित्री बाई फूले..ज्योतिबा राव फूले..पेरियार..सबको इतिहास की कौन सी किताबों के नीचे दबा दिया गया है..दलित समाज फिर भी अपने महापुरुषों पर बोलने के लिए मुखर होने लगा है लेकिन पिछड़े समाज को हिंदू जगाने से फुर्सत नहीं है..

आल्हा ऊदल जैसे भारत माता के वीरों की वीरता को उनके इतिहास को मुगलों के आगे इग्नोर किया गया..और अब राष्ट्रवाद वर्सेज मुगल..हिंदू वर्सेज मुसलमान वाले बिकाऊ ऑडियंस खीचक मसाले के नीचे दबा दिया जाएगा..पृथ्वीराज चौहान (Forget Alha udal in front of Gujarati Prithviraj) वीर योद्धा थे..इसमें कोई शक नहीं है..

लेकिन अपने राज्य के अगल बगल के हिंदू राज्यों से उनकी हमेशा तनातनी ही रहती थी..छोटे राज्य पृथ्वीराज को कुछ नहीं समझते थे और पृथ्वीराज छोटे राजाओं को कुछ नहीं मानते थे..यही कारण था कि मोहम्मद गौरी से 17वें युद्ध में पृथ्वीराज चौहान का साथ देने के लिए कोई भारतीय हिंदू राजा उनके साथ नहीं था..यही कारण था कि मोहम्मद गौरी से पृथ्वीराज चौहान युद्ध में हार गए..

आप खेल समझिए एक पिक्चर बनाने वाले ने पिक्चर बनाई कश्मीर फाइल्स उसमें बताया कि कश्मीरी पंडितों पर बड़ा अत्याचार हुआ..हां हुआ..हम सब हॉल में बैठकर रोए..बिचारे बस वाले और रिक्शावाले फ्री में लोगों को हॉल तक छोड़ने जाते थे..बीजेपी वालों ने कई जगह लोगों को फ्री में पिक्चर दिखाई..

कुछ बीजेपी वाले अरविंद केजरीवाल के घर पर हमला कर आए थे..हुआ था ये सब कि नहीं हुआ था..दिल पर हाथ रखकर बताईये..हुआ था ना..अब बताईये कश्मीरी पंडित राष्ट्रवादी सरकारी में पिछले कई हफ्ते से धरने पर बैठे हैं..कई कश्मीरी पंडित पिछले कुछ दिनों में मार दिए गए..

कश्मीर के नाम पर भारत की भावनाओं से खेलकर.. लोगों की भावनाएं भड़काकर वो पिक्चर बनाने वाला कहां गायब हो गए..अब आवाज क्यों नहीं उठती कश्मीरी पंडितों (Forget Alha udal in front of Gujarati Prithviraj) के लिए अग अब कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं हो सकते तो कब होंगे..लेकिन पिक्चर बन गई पइसा भीतर हो गया अब भाड़ में जाएं कश्मीरी पंड़ित..

इस खेल को समझिए..आप की भावनाओं को भड़काकर आपको ये बताकर की मुसलमानों ने ये किया मुसलमानों का किया हुआ जुल्म हिंदुओं को दिखाकर पैसा कमाने का धंधा बना लिया गया है..क्योंकि उनको मालूम चल गया है कि अब भारत में कोई भी पिक्चर हिंदू बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं से खेलकर ही हिट कराई जा सकती है..

पहले देश के राजाओं को खुश करो..उनको पिक्चर दिखाओ..उनके भीतर का हिडेन एजेंडा राजाओं को समझाओ उसके बाद पिक्चर को टैक्स फ्री कराओ..प्रजा को समझाओ कि जो इतिहास हम दिखा रहे हैं वही सही है..हम जो दिखा रहे हैं वो किताबों में लिखा ही नहीं गया है..

अक्षय कुमार अपनी पिक्चर के प्रमोशन के लिए मुगलों की बात कर रहे हैं..बता रहे हैं हिंदुओं जागो मुगल ये थे मुगल वो थे..इसलिए थियेटर पर चढ़ाई कर दो..अपने भीतर गुस्सा लाओ..जब गुस्सा आएगा तो बटवा पिक्चर का टिकट खरीदने के लिए अपने आप ढीला हो जाएगा..क्योंकि भारतीय आदमी गुस्से में कुछ भी कर सकता है..अक्षय कुमार को खुद कनाडाई नागरिक हैं..और भारत के सबसे बड़े राष्ट्रवादी बने घूमते हैं..आजकल इतिहासकार बन गए हैं..एएनआई को बुलाकर एक इंटरव्यू दिया और बहुत चालाकी से फिल्म प्रमोशन के मंच पर मुगली घुट्टी पी ली..और बोले..

अक्षय कुमार ने इंटरव्यू में कहा

“हमें जो इतिहास पढ़ाया गया है, उसमें हमारे राजाओं जैसे महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान के बारे में बहुत कम बताया गया है..मैं एजुकेशन मिनिस्टर से अपील करना चाहूंगा कि इस मामले को देखें..हमें बैलेंस करना चाहिए..मैं ये नहीं कहता कि हमें मुगलों के बारे में नहीं जानना चाहिए..लेकिन हमें अपने राजाओं के बारे में भी जानना चाहिए..वे भी महान थे और ये जानकारी हर किसी को बताना चाहिए..बच्चों को महाराणा प्रताप के बारे में जानना चाहिए..हमारी इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चौहान के बारे में दो से तीन लाइनें ही हैं..

अक्षय कुमार जी पृथ्वीराज चौहान के बारे में हमने तो स्कूल की किताबों में ही ये लाइनें पढ़ी हैं कि-

  • चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान..
  • महाराणा प्रताप के बारे में ये पढ़ा है..
  • रण बीच चौकड़ी भर भर कर चेतक बन गया निराला था, राणा प्रताप के घोडे से पड़ गया हवा का पाला था..

अब ये हो सकता है हम जिस स्कूल में पढ़ते थे..वहां ये पढ़ाया जाता हो..कक्षा 10 में तीन पर फेल होने वाले अक्षय कुमार ने तीन साल तक किताब खोलकर ही ना देखी हो..

आजकल इतिहास इतिहासकार नहीं बताते हैं…बाबा बताते हैं..नेता बताते हैं..और तो और जो अपने मां बाप का दिया हुआ नाम बदलकर फर्जी नामों से हीरो बनते हैं..वो भी देश को इतिहास बताते हैं..दोस्तों ये सब इसीलिए है क्योंकि आप इतिहास को इतिहास कार के मुंह से सुनेंगे भी नहीं क्योंकि वो सच बताएगा..आज का दौर एकतरफा है..

एक दौर था जब फिल्म समीक्षक फिल्म की समीक्षा करते थे..अब अक्षय कुमार (Forget Alha udal in front of Gujarati Prithviraj) टाइप लोग नेताओं से फिल्म की हरी झंडी दिखवाते हैं..सिर्प इसलिए की अगर शाह जी ने देख ली योगी जी ने देख ली तो बीजेपी सपोर्टर तो देखेंगे ही और केवल बीजेपी को सपोर्ट करने वाले मेरे देश के भाई बहनों ने पिक्चर देख ली तो अक्षय कुमार का भला हो जाएगा..ये शुद्ध बिजनेस फंडा है.. मैं बात सच कहती हूं..इसीलिए बहुतों को पसंद नहीं आता होगा…सच की यही खासियत है कि पसंद हो या ना हो लेकिन सच..सच ही रहता है..

मेकअप पोतकर हीरो लोग इतिहासकार बन गए हैं..एक समय तक ये मोहब्बत वाली पिक्चर बनाते थे..लड़की पटाए..मां बाप को मनाए..गुंडों को मारे और शादी किए पिक्चर हिट.. फिर अमीरी गरीबी वाले फार्मूले पर पिक्चरें चलने लगीं..फिर एक ट्रेंड आया कि देश भक्ति वाली पिक्चरें चलने लगीं..फिर एक दौर आया जब जुल्मी ठाकुर के विनाश वाली पिक्चरें चलने लगीं..फिर डाकुओं का दौर आया और अब राष्ट्रवादी युग है यहां हिंदू मुसलमान (Forget Alha udal in front of Gujarati Prithviraj) के एंगल पर ही पिक्चर चलेगी..अब ये फार्मूला कहानी विहीन हो चुके..साउथ की पिक्चरों से पिट चुके बॉलीवुड में कुछ दिनों तक कुछ होरोज के लिए सक्सेजफुल रहेगा..वीडियो थोड़ा लंबा हो गया है..और लंबा नहीं करेंगे..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.