इस तरह Facebook आपके फोन पर डाका डाल चुका है..आप कब लुटे आपको भी नहीं पता

  • फेसबुक इस्तमेल नहीं करते फिर भी आपका डाटा खतरे में है
  • फेसबुक के पास आपकी हर चीज पहुंच चुकी है
  • फोन में कुछ भी पर्सनल रखना है तो इंटरनेट से दूर रहें
  • आपके फोन में इंटरनेट है तो आपकी जानकारी गुप्त नहीं है
फेसबुक अपनों तक अपनी ख़बर पहुंचाने के लिए सबसे आसान ज़रिया बन गया है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक यूज़र को ये सबकुछ नॉर्मल लगता है. इसलिए इसके ख़तरों की तरफ उनका ध्यान नहीं है. आपका डेटा सेफ है. आपकी जानकारियां, फोटो और प्राइवेसी पर किसी और की निगाह है. या फिर उसे चोरी किया जा रहा है. इसकी न तो आपको भनक होती है न ही जानकारी.

सेफ्टी के नाम पर चंद उपाय कर के अब आप खुद को सुरक्षित मान लेते हैं. ये तो रही फेसबुक यूज़र की बात. लेकिन अगर आप फेसबुक यूज़र नहीं है. फिर भी आपका डेटा अगर फेसबुक की वजह से ख़तरे में हो. तो आप क्या करेंगे. लेकिन उससे पहले सवाल ये होना चाहिए कि बिना इस्तेमाल फेसबुक कैसे आपके डेटा के लिए ख़तरनाक हो चुका है.

दरअसल प्राइवेसी इंटरनेशनल नाम की एजेंसी ने एक सर्वे किया है. जिसमें 34 फ्री एंड्रॉयड एप्स शामिल थे. और सर्वे के दौरान ये सामने आया है कि ये एप्स खुलते ही आपका डाटा फेसबुक को भेजने लगते हैं. इसकी वजह है इन एप्स को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलेपमेंट किट.

तो मतलब साफ है कि फेसबुक पर आप हों या न हों. आपका डेटा उस तक पहुंच जाएगा. अगर आप दूसरी एप का इस्तेमाल करते हों तो भी. ये सर्वे जर्मनी के शहर लाइपजिग में हुई ” में पेश किया गया है. इसमें ये सामने आया है कि इस किट को इस्तेमाल करने वाले 61 फीसदी एप आपका डेटा फेसबुक को भेजते हैं.

 रिसर्च में प्राइवेसी इंटरनेशनल ने 10 से लेकर 50 करोड़ तक के यूजर बेस वाले ऐसे 34 एंड्रॉयड एप का अध्ययन किया जो फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते हैं. 2018 में अगस्त से लेकर दिसंबर तक इन चुने हुए ऐप पर नजर रखी गई और देखा गया कि ये किस तरह का डेटा फेसबुक को भेजते हैं. अध्ययन में पता चला कि ऐप डेवलपर ऐप डेवलपिंग टूल ‘फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट’ के जरिए यूजर का डेटा फेसबुक तक पहुंचा रहे हैं.

 फेसबुक एसडीके टूल एक फ्री टूल किट है जो डेवलपर को ऐप डेवलप करने के लिए उपलब्ध होता है. इस टूल किट से डेवलपर को कई फीचर उपलब्ध हो जाते हैं. अध्ययन में 34 एंड्राॅइड ऐप्स को शामिल किया गया था.  रिजल्ट में पाया गया कि इसमें से 23 ऐप यूजर के ओपन करते ही डेटा ऑटोमैटिकली ट्रांसमिट कर देते हैं.

ये डेटा कुछ इस तरह के हैं. जैसे मोबाइल फोन में सेव किए गए नंबर, फोटो-वीडियो, ई-मेल्स आप किन-किन साइट्स को कितने समय तक देखते हैं या देख चुके हैं. एप्स पर किस तरह की जानकारियां खोजते हैं आदि. इन एप में  भाषा सिखाने वाला एप डुओलिंगो, ट्रैवल एंड रेस्टोरेंट एप, ट्रिप एडवाइजर, जॉब डेटाबेस इनडीड और फ्लाइट सर्च इंजन स्काई स्कैनर के नाम सामने आ चुके हैं. ब्रिटिश संस्था ने बाकी के 18 एप्स का खुलासा अभी नहीं किया है.

ज़ाहिर है इन जानकारियों का फायदा उठाने में फेसबुक भी पीछे नहीं रहता है. इन्हीं जानकारियों के आधार पर यूज़र को विज्ञापन परोसे जाते हैं. वैसे भी इसके पहले कैंब्रिज़ एनालिटिका को लेकर आरोप लग चुके हैं कि डेटा का इस्तेमाल लोगों के मतों को प्रभावित करने के लिए किया गया. ऐसे में फेसबुक पर जाने वाले डेटा का नया खुलासा. न केवल निजता के लिहाज़ से ख़तरनाक है. बल्कि बुनियादी अधिकार के भी.