इरफान सोलंकी की पत्नी ने अखिलेश के, सामने जो किया उससे सब हैरान
एक तरफ समाजवादी पार्टी ( samjwadi party ) के कार्यालय के बाहर..टिकट मांगने वालों की लंबी लाइन लगी है..सपा से टिकट के लिए नेता तमाम तरह के जुगाड़ लगा रहे हैं..वहीं दूसरी तरफ इरफान सोलंकी की पत्नी ने अखिलेश ( Ahilesh Yadav ) से जो कहा उसने सबको हैरान कर दिया..ये बड़ी दिलचस्प बात है..आज इसे आपको सुननी चाहिए..दोस्तों मामला ये था कि किसे पार्षदी का टिकट दिया जाए..इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव ( Ahilesh Yadav ) ने अपने जीते और हारे हुए विधायकों को दे रखी थी..कि सूची बनाकर दीजिए ।
इरफ़ान की पत्नी को दिया जाएगा पार्षदी का टिकट ?
कानपुर से विधायक इरफान सोलंकी हैं जेल में..तो ये जिम्मेदारी इरफान की पत्नी को नसीफ सोलंकी को दे दी..नसीम सोलंकी सुबह लिस्ट लेकर लखनऊ आईं..अखिलेश यादव ( Ahilesh Yadav ) को लिस्ट दे दी..और चलने लगीं..लेकिन तभी अखिलेश यादव ( Ahilesh Yadav )और इरफान की पत्नी के बीच ऐसी बात हो गई कि उत्तर प्रदेश में चर्चा का बाजार गर्म हो गया…सबने ये कहना शुरू कर दिया कि इरफान की पत्नी इरफान से राजनीति में ज्यादा होशियार है।
चुनाव लड़ने से क्यों मना कर रही नफीसा ?
दोस्तों कानपुर की सीतामऊ से इरफान सोलंकी विधायक हैं..इस सीट पर 14 वार्ड आते हैं..14 वार्डों के प्रत्याशियों की लिस्ट जब इरफान की पत्नी ने अखिलेश को दी..तो अखिलेश यादव ने पार्टी के लिए नसीम सोलंकी की ईमानदारी देख कह बैठे कि कानपुर मेयर का चुनाव तुम लड़ जाओ..महिला हो..काम के लिए ईमानदार हो..तुम मेयर बनोगी तो कानपुर का विकास करोगी..लेकिन इरफान की पत्नी की उसी वक्त तुरंत अखिलेश यादव ( Ahilesh Yadav ) के सामने ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया..ये देख आसपास के लोग हक्के बक्के रह गए..जिस टिकट के लिए लोग कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं..नसीम उस टिकट को ठुकरा रही है..आखिर क्यों..
परिवार मानसिक तनाव से गुजर रहा है
मसीम सोलंकी ने कहा कि मेरे पति इरफान सोलंकी महराजगंज की जेल में बंद हैं..इसलिए मैंने चुनाव नहीं लड़ूंगी..अगर सब ठीक होता तो मैं चुनाव जरूर लड़ूंगी..अभी मेरी स्थिति ठीक नहीं है..मैं पार्टी के साथ हूं. इस लड़ाई में मैं पार्टी को सपोर्ट करूंगी. परिवार मानसिक तनाव से गुजर रहा है. परिवार पहले इरफान सोलंकी ( Irfan Solanki ) की सलामती चाहता है…जिसे भी नसीम सोलंकी की ये बात पता चली वो..नसीम सोलंकी की ईमानदारी की तारीफ किए बिना नहीं रह पाया..जिस समय में लोग टिकट के लिए मारामारी कर रहे हैं..जिस जमाने में टिकट के लिए भाई भाई के खून का प्यासा हो जाता है..राजनीतिक दुश्मनियां हो जाती हैं..बाप बेटों में ठन जाती है उस जमाने में नसीमा ने ईमानदारी से कह दिया कि मेरे हालात ठीक नहीं हैं..इसलिए नहीं लडूंगी