25 डिग्री पर AC सेट करके टीवी पर गाली बकने वाली महिला संपादक (Editor) : संपादकीय व्यंग्य

PRAGYA KA PANNA
PRAGYA KA PANNA

अब तक न्यूज चैनलों पर थप्पड़ चले..लात घूसे चले..एंकरों को दलाल वलाल सब कुछ बोला..लेकिन संपादकों (Editor) को कभी इसका मलाल नहीं हुआ..जिन न्यूज चैनलों में लात घूंसे चले..उन्होंने इसे ईश्वर का आशीर्वाद माना..कभी इसका घमंड नहीं किया..लेकिन अब टीआरपी आती नहीं है..इसलिए लड़ाई झगड़ा पानी फेका फांकी जूता चप्पल चलाना सब कुछ बंद हो गया..टीआरपी आनी बंद हुई तो नंबर वन भक्त संपादक का कॉम्पटीशन शुरू हो गया..ये हैं टाइमस नाऊ की एडिटर नाविका कुमार..अर्नव कभी इनके ही चैनल में थे..नाविका को भक्ती में अर्नव से आगे निकलना है..इसलिए अपने अंग्रेजी के सभ्य चैनल पर ब्लडी बोलकर गईं…ब्लडी का मतलब क्या होता है..ब्लडी का तमलब जिस गाली से है वो मैं आपको यहां नहीं बताऊंगी..गूगल कीजिए..फिर भी मतलब समझ में न आए तो टाइम्स नाऊ की एडिटर नाविका कुमार से फोन करके पूछ लीजिए..जब वो राष्ट्रीय टीवी पर बैठकर प्राइम टाइम में गाली बक सकती हैं..तो उस गाली का अर्थ भी बता सकती हैं..पंजाब में सिद्धू के इस्तीफे के बाद राहुल गांधी का जिक्र करते हुए सभ्य सुशील पढ़ी लिखी अंग्रेजी बोलने वाली..मैडम नाविका ने वो बोला जो सड़कछाप शोहदे भी टीवी पर बैठकर नहीं बोल सकते..

एक बात सोचिएगा कि यही अंग्रेजी वाली बात बीजेपी के किसी नेता के लिए नाविका बोल सकती हैं..क्या..यही बात मोदी से जुड़ी किसी बात पर बोल सकती हैं क्या..जवाब है.. नहीं बोल सकती हैं..कभी नहीं बोल सकती हैं क्योंकि इनकी श्रद्धा उधर है..सपने में सोच भी नहीं सकती हैं..नाविका जी ने टीवी पर बैठक जो बोला वो उनकी विपक्ष के लिए असल मानसिकता है..दोस्तों जो जिसके बारे में जैसा सोचता है..कभी कभी वही बात बिना चाहे भी जुबान पर आ जाती है..नाविका कुमार ने माफी मांग ली है..

हालांकि मैं गोदी मीडिया या फिर किसी चैनल से जुड़ी चीजों पर बात करती नहीं हूं..लेकिन एक साड़ी पहनी हुई..अंग्रेजी बोलने वाली..भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण नारी बनकर..देशभक्ति से सराबोर..महिला संपादक टीवी पर बैठकर गाली बक दे..वो भी अपनी बात कहते कहते..तो उसकी मानसिकता और दर्शकों के साथ किए जा रहे धोखे के बारे में बताना जरूरी हो जाता है..अंजना जी को लोगों ने अमेरिका दौरे को लेकर इतना ट्रोल किया लेकिन मुझे एक रिपोर्टर के तौर पर अंजना जी के एफर्टस सही लगे..वो काम का हिस्सा था..रिपोर्टर को ऐसा करना पड़ता है…लेकिन स्टूडियो के भीतर बैठकर संपदाक होकर..ऐसी को 20 डिग्री पर सेट करके..गाली बकना..संपादक का नहीं ट्रोलर का काम लगता है..न्यूज चैनलों का जब ये काला काल समाप्त होगा..तो इसे टीवा के कलयुग के तौर पर याद किया जाएगा..दोस्तों इस वीडियो में इतना ही..अगर आप सच के साथी हैं..तो सच को समर्थन दीजिए..सामार्थय दीजिए..मुझे @pragyalive नाम से ट्विटर पर खोजिए..साथ जुड़िए जुड़ेंगे तो सच को शक्ति मिलेगी..चलते हैं राम राम दुआ सलाम जय हिंद..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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