मुझे हराने के चक्कर में भौजाई, भाई और भतीजे सब हार गए, यही मेरी जीत है
भोजपुरी सिने स्टार और आजमगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी रहे दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ इस लोकसभा चुनाव में जीत नहीं पाए. मगर उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जोरदार टक्कर दी है. आज उन्होंने अखिलेश पर तंज भी कस दिया है.

दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने अपनी हार का राज खोलते हुए बोले कि वे आजमगढ़ से चुनाव हारे नहीं हैं, बल्कि जिस मकसद के लिए यहां आए थे, वो कामयाब रहा है. मुझे टक्कर में देखकर सभी सपाई इस सीट को बचाने में लग गए और उधर भौजाई, भाई और भतीजे सभी अपनी सीट गवां बैठे. मुझे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से भी अधिक वोट मिले हैं. गठबंधन को लोगों ने यहां अस्तित्व की लड़ाई बना ली थी. अच्छा भी रहा कि अखिलेश चुनाव जीत गए.
निरहुआ ने दावा किया आने वाले पांच सालों में उनकी सक्रियता आजमगढ़ में लगातार बनी रहेगी. निरहुआ से जब उनकी हार के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये एक साजिश थी. मतदान के दिन बूथ पर 30 प्रतिशत स्थानों पर एजेंट इसलिए नहीं बन पाए क्योंकि किसी ने साजिश करके सिग्नेचर को बदल दिया था. सिग्नेचर बदल जाने के कारण बड़ी संख्या में बूथों पर एजेंट नहीं रहे. सिग्नेचर कैसे बदला, इसकी जांच हो रही है. जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी, उनके नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे.
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने बम्पर जीत दर्ज की है. कांग्रेस का तो सूपड़ा ही साफ हो गया है. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी बहुत बड़ा झटका लगा है. अखिलेश 37 सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे. जिसमें वे केवल 5 सीट ही जीत पाए बाकी सभी सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बड़ी बात तो ये है की अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव भी अपनी सीट हार गईं हैं. डिम्पल को बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया है.
सपा की इस हार से अखिलेश के साथ साथ पिता मुलायम को भी बहुत बड़ा झटका लगा है. क्युकी पूरे परिवार में सिर्फ दो ही लोग जीत पाए एक तो खुद मुलायम और दूसरे अखिलेश. वहीं इसमें भरपूर फायदा तो सिर्फ मायावती को ही मिला है. 2014 के चुनाव में मायावती अपना खाता भी नहीं खोल पाई थीं. मगर इस बार उन्होंने अखिलेश का सहारा लिया और लोकसभा की 10 सीटों पर कब्ज़ा कर लिया है.