धर्म गुरु परमहंस को ताजमहल से बहार निकाला, बोले- भगवा पहनने और ब्रह्मदण्ड की वजह से रोका गया –

बताया जा रहा है कि परमहंसाचार्य के शिष्य के पास ताज महल में प्रवेश का टिकट था. जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने सीआईएसएफ जवानों को टिकट होने की बात भी बताई. लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया. इसके बाद उनके टिकट वहीं अन्य पर्यटकों को देकर पैसे वापस लौटा दिए गए. आप आचार्य परमहंस को तो जानते ही होंगे , हाँ वही परमहंस जो बात – बात पर जल समाधी लेने की बात करतें है… आचार्य परमहंस जी
अयोध्या से आगरा ताजमहल देखने गए थे लेकिन उन्हें ताजमहल में प्रवेश नहीं दिया गया, बताया जा रहा है कि वो भगवा कपड़े पहने थे और उनके हाथ में ब्रह्म दण्ड था, ब्रह्म दंड एक तरह का धारदार लोहे का दंड या अस्त्र होता है जिसे भगवान ब्रह्मा जी का दंड बताया जाता है। अब सवाल ये है कि परमहंस जी को आखिर ताजमहल में घुसने क्यों नहीं दिया गया।
क्यों नहीं मिला ताज महल में प्रवेश –
आपको बता दें कि आचार्य परम हंस के शिष्य के पास ताज महल में जाने का टिकट था लेकिन फिर भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया और वहां मौजूद पुलिस वालों ने परमहंस से माफ़ी भी मांगी लेकिन उनके टिकट वहीं अन्य पर्यटकों को देकर पैसे वापस लौटा दिए गए. कहा जा रहा है ताज महल को लेकर किसी साम्प्रदायिक विवाद होने के डर से और उनके हाथ में मौजूद ब्रह्म दंड को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इन सब के बाद वो वापस अयोध्या लौट गए। आपको बता दें पहले परम हंस हिन्दू राष्ट्र की मांग भी कर चुकें है।
परमहंस बोले – वो ताजमहल नहीं तेजो महालय है
अयोध्या के आचार्य परमहंस आगरा पहुंचे थे। (Dharma Guru Paramhansa ) संत परमहंस के मुताबिक, उन्हें भगवा कपड़े पहनने और धर्म दंड लिए होने की वजह से ताजमहल में प्रवेश नहीं मिला. हालांकि, बाद में उन्हें बिना धर्म दंड यानी अस्त्र के प्रवेश की इजाज़त दी गई लेकिन उन्होंने खुद मन करते हुए ताजमहल गेट के भीतर प्रवेश नहीं किया. अब संत परमहंस कहते हैं की यह ताजमहल नहीं वास्तव में तेजो महालय है और इसका सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए।संत परमहंस को बताया गया कि ताजमहल के भीतर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधियां प्रतिबंधित है, इस पर संत परमहंस सवाल उठा रहे हैं कि ” एक खास तबके को नमाज तक की अनुमति है लेकिन उन्हें भगवा कपड़े पहनने और धर्म दंड लिए होने के कारण प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं मिली”
ताजमहल के रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल इस पूरे मामले की जांच की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि शुरुआती जानकारी ये मिली है कि संत लोहे का दंड ले जा रहे थे, जिसके कारण उन्हें प्रवेश की अनुमति शायद नहीं मिली.. उनसे दंड को प्रवेश द्वार पर रखकर भीतर जाने को कहा गया लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए. भगवा कपड़े को लेकर उन्हें नहीं रोका गया. वहीं, संत परमहंस कहते हैं की धर्म दंड लोहे का नहीं होता, वह बांस और खास लकड़ी से बना होता है और मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित होता है.
हिंदू राष्ट्र की कर चुके मांग
जगद्गुरु परमहंसाचार्य (Dharma Guru Paramhansa ) इससे पहले उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की थी. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि भारत सरकार अगर 2 अक्टूबर तक हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं करती, तो वे जल समाधि ले लेंगे. हालांकि, जल समाधि लेने से पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.