आधे उत्तराखंड में नहीं हैं पुलिस थाने (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE)

PRAGYA KA PANNA
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उत्तराखंड जैसे राज्य में जहां बीजेपी की सरकार है..जहां सबसे ज्यादा होटल और रिजॉर्ट हैं..जहां सबसे ज्यादा टूरिस्ट जाते हैं..क्या आपको मालूम है उस राज्य के 60 प्रतिशत (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) इलाकों में पुलिस थाने या चौकी हैं ही नहीं हैं..उत्तराखंड का आधे से ज्यादा इलाके उत्तराखंड पुलिस के अधिकार में हैं ही नहीं..चाहे बीजेपी नेता किसी अंकिता भंडारी से जिस्म फरोशी कराए..चाहे धंधे पर बिठाए..

पुलिस का काम पटवारी, लेखपाल, कानूनगो और नायब तहसीलदार जैसे लोग करते हैं..यही लोग FIR लिखते हैं..यही लोग जांच करते हैं..अगर आप उत्तराखंड से बाहर रहते हैं..तो आपको मालूम होगा..सबसे भ्रष्ट सबसे खूसखोर..कौड़ी कौड़ी पर बिकने वाले अगर कोई सरकारी नौकर हैं तो यही हैं..लेखपाल तहसीलदार लोग उत्तराखंड में पुलिस का काम करते हैं..हैरान मत होईए ये सच है..

बीजेपी नेता जब भाषण देते हैं तो सीधे कद्दू में तीर मारने की बात करते हैं…आसमान में छेद करने की बात करते हैं..लेकिन 5 साल में बीजेपी ने 3-4 मुख्यमंत्री बदल डाले लेकिन उत्तराखंड को पुलिस नहीं दे पाई..दोस्तों उत्तराखंड में मैदानी इलाकों में पुलिस है लेकिन पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी..खेत की सींच..घर का टैक्स..जमीन की पैमाइश (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) करने वाले अधिकारियों को देकर रखा गया है..

जिनके पास एक लाठी तक नहीं है..वो अपराधियों से लड़ते हैं..है ना मजाक..मोदी जी को अंग्रेजों का राजपथ पसंद नहीं है..इंडिया गेट पसंद नहीं है..लेकिन उत्तराखंड में बेटियों की आबरू से खेलता..नागरिगों की सुरक्षा से खेलता ये कानून पसंद है..अंग्रेजों के जमाने से उत्तराखंड में पुलिसिंग का काम रेवेन्यू वाले कर रहे हैं..

1857 की जब क्रांति हुई..हां तभी जब मंगल पांड ने गाय की चर्बी वाली कारतूस मुंह से खीचने से इंकार कर दिया..और अंग्रेजों की सेना में विद्रोह हो गया..तो अंग्रेजों को महसूस हुआ कि जनता पर प्रशासनिक शिकंजा मजबूत करने की जरूरत है…उन्होंने साल 1861 में पुलिस ऐक्ट लागू किया.. मैदानी इलाकों को पुलिस दे दी गई..क्योंकि अंग्रेजों की गाड़ी मैदान (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) में चल सकती थी..लेकिन पहाड़ी इलाकों में ज्यादा पैसा ना खर्च करना पड़े इसलिए..

इसलिए गांवों के पहाड़ी इलाकों को पुलिस दी ही नहीं…कहा गया..पटवारी नायब तहसीलदार लोगों तुम लगान भी वसूलो..और पुलिस का काम भी करो..तब से ये चल रहा है..नायब तहसीलदार..लेखपालों के पास सिर्फ वसूली और घूसखोरी की ट्रेनिंग है..पैसे लेकर इधर की जमीन उधर कैसे करनी है इसकी ट्रेनिंग है..

पुलिस की कोई ट्रेनिंग नहीं है फिर भी उत्तराखंड में ये लोग पुलिस वाले हैं..और सुनिए कहानी यहीं खत्म नहीं होती है..लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई कोर्ट तक चले गए..2018 में हाई कोर्ट ने भी कह दिया कि पहाड़ों पर पुलिस सिस्टम लागू करो..लेकिन कोर्ट कचहरी के आदेश तो दूसरी पार्टी की सरकारों के लिए होते हैं..

बीजेपी इन सब से परे है…चार साल बीत गए हैं..विधायक खऱीदने बेचन के लिए पैसे हैं लेकिन पुलिस सिस्टम लागू करने के पैसे नहीं हैं..अंकिता भंडारी (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) के केस में यही तो हुआ..राजस्व वाले पहले तो टाल मटोल करते रहे..अंकिता गरीब परिवार की बेटी थी..मामला सोशल मीडिया से मीडिया में नहीं आता..तहसीलदार और पटवारी कब का घोलकर पी जाते..बड़ी मुश्किल में बात थाने पहुंची..अब सरकार सस्पेंड सस्पेंड और मुआवाजे का खेल खेलने लगी है..

अंकिंता के दोषी कौन लोग हैं आपको मालूम तो चल ही गया होगा..बेटी बचाने वाले ही धंधा कराने वाले निकले हैं ये मालूत तो चल ही गया होगा..भाई साहब जिसका बाप उत्तराखंड बीजेपी सरकार का राज्य मंत्री रहा हो..ओबीसी मोर्चे का सदस्य हो..बीजेपी से यूपी का सहप्रभारी हो.. जिसका भाई भी उत्ताराखंड बीजेपी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री हो..जिसका अपना एक वनंतरा रिसॉर्ट हो..फैक्ट्री हो..उसके आगे पटवारी और तहसीलदार की क्या औकात होगी…यहां एक बीजेपी का पार्षद को खुद को जिल्लेइलाही समझता है..

पार्षद छोड़ दीजिए गाडी़ पर बीजेपी झंडा लगाने वाला खुद को जहंपना से कम नहीं समझता..अंकिता के हत्यारे के पास तो सत्ता का पावर हाउस था..रिसॉर्ट में लड़कियों (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) को चाहे नेताओं के आगे परोसे चाहे बिजनेस मैनों के आगे..उसकी मर्जी थी..लेकिन अंकिता को देहव्यापार में उतरना मंजूर नहीं था .अंकिता नहीं मानी तो..उसे मारकर नहर में फेंक दिया..बाप ने कहा वो बीजेपी का नेता है लिहाजा उसका लड़का सीधा साधा बालक है..अपने काम से काम रखता है..

सोशल मीडिया ना होती तो मामला खत्म हो जाता…लेकिन अपने काम से काम रखने वाले ऐसे जल्लादों से भगवान बचाए..ऐसा नहीं है कि बेटे के प्यार में अंधा बाप सिर्फ उत्तराखंड बीजेपी में ही है..यूपी के ऐसे ही नगीने अजय मिश्रा टेनी को तो मोदी जी ने अपने बगल वाली कुर्सी दे रखी है..जिसके बेटे आशीष ने किसानों को कुचलकर मार डाला उसके बाप टेनी कहते हैं..मेरे बेटे को मीडिया ने फंसा दिया..

देवभूमि उत्तराखंड की बिटिया अंकिता भंडारी के केस में बहुत से पेच और भी हैं..जैसे रिजॉर्ट के जिस कमरे में अंकिता रहती थी उसका कमरा तोड़ने की उत्तराखंड सरकार को इतनी जल्दी क्या थी..बीजेपी नेता के हत्या के आरोपी बेटे की फैक्ट्री का एक कमरा कैसे जल गया..क्या अंकिता को सिर्फ मारा गया..या उसके साथ गलत काम किया गया..घर वालों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर भी यकीन नहीं है..रिसॉर्ट में वो सफेदपोश लोग हैं जिनको वीवीआईपी कहा जाता था..

जिनके आगे लड़कियां परोसी जाती थीं..पहले की सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं मिल रही हैं..दोस्तों ये कलयुग है..यहां बेटी बचाव का नारा देने वाले ही..बेटियों के भक्षक बने बैठे हैं..बाप पूर्व मंत्री भाई वर्तमान मंत्री (TRUTH OF ANKITA BHANDARI CASE) फिर भी बेटियों को धंधा ना करने पर मार दिया जा रहा है..अंकिता भंडारी हम शर्मिंदा हैं..तुम्हारे कातिल चाहे..मंत्री की औलाद हों..या लाटसाहब की औलाद हों..जब तक उनको सजा नहीं दिला लेंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.