राजनाथ ने दी पाकिस्तान को चेतावनी, कहा- कश्मीर कब आपके पास था, जो हमेशा रोते रहते हो ?
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज गुरुवार को पहली बार लद्दाख पहुंचे हैं. उन्होंने लेह जिले में डीआरडीओ के 26वें किसान-जवान विज्ञान मेला की शुरुआत की है. राजनाथ सिंह का ये दौरा काफी खास माना जा रहा है.

इस विज्ञान मेले का आयोजन डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च द्वारा किया गया है. समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों से साथ सेना के जवान भी मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने किसानों, जवानों और विज्ञान के क्षेत्र में सराहनीय काम करने वाले लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहा, ”मैं पाकिस्तान से पूछना चाहता हूं कि कश्मीर आपके पास कब था, जो हमेशा उसको लेकर रोते रहते हो? पाकिस्तान भी तो इसी भारत से निकल कर बना है.
पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए राजनाथ बोले कि हम आपके वजूद का सम्मान करते हैं मगर इसका अर्थ ये नहीं है कि पाक कश्मीर को लेकर बयानबाजी करता रहेगा. कश्मीर के मुद्दे पर आपको हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है. सच्चाई तो ये है कि पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. जबकि पाकिस्तान को वहां के नागरिकों के मानवाधिकारों के हनन पर ध्यान देना चाहिए.
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना High Altitude Warfare में दुनिया की किसी भी फौज को पीछे छोड़ने में सक्षम है. जब लद्दाख को हमने संसद में कानून बनाकर अलग UT बनाया तो हमने यहां की जनभावना का तो सम्मान किया ही साथ ही समस्याओं का समाधान भी दिया है. कश्मीर हमारा रहा है इस बात पर इस देश में कभी शक शुबहा नही रहा है.
वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत 7 मुस्लिम संगठनों ने बुधवार को दिल्ली में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सवाल उठाए हैं. मुस्लिम संगठनों ने संयुक्त बयान में कहा- अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से न तो राज्य में शांति स्थापित हुई, न ही भरोसा कायम हुआ है. हमें केंद्र के उस तरीके पर आपत्ति है, जिस तरीके से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा हटाया गया है.
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सरकार का ये फैसला संविधान के मूल सिद्धांतों का ही उल्लंघन करता है. इन मुस्लिम संगठनों में जमात-ए-इस्लामी हिंद, जमीयत अहले हदीस हिंद, ऑल इंडिया जकात फाउंडेशन, जमीयत-ए-अहले सुन्नत कर्नाटक, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुश्वरात और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं.