मध्यप्रदेश चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भले ही जुबानी जंग रुक गई हो लेकिन दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं होने से सपा से ज्यादा कांग्रेस को खामयजा उठाना पड़ सकता है।
सपा ने उतारे एमपी मे अपने प्रत्याशी।
बीते दिनों सपा प्रमुख की कांग्रेस पार्टी के खिलाफ नाराजगी साफ देखी गई थी। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के भी कुछ नेताओं की ओर से सपा और अखिलेश को लेकर टीका टिप्पणिया हुई थी। अब भले ही यह मामला शांत हो गया हो, लेकिन पूरी तरह से दूरियाँ अभी मिटी नहीं है। गठबंधन नहीं होने के चलते अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मध्यप्रदेश मे लगभग तीन दर्जन उम्मीदवार मैदान मे उतार चुके है जिसका सीधा असर कांग्रेस पार्टी पर पड़ने वाला है।
सपा कांग्रेस का विधानसभा नही है गठबंधन।
इसके साथ ही प्रदेश मे लगभग 10 से 14 फीसदी यादव मतदाता भी है, ऐसे मे कांग्रेस की अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) के लिए बयानबाजियां और दूरियाँ कांग्रेस के लिए नुकसान दें साबित हो सकती है। अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन मे शामिल होने के बाद से यह सोच रहे थे की यह गठबंधन आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी होगा और भाजपा के खिलाफ सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश को पहले तो अंधेरे मे रखा फिर गठबंधन न कर के समाजवादी पार्टी को धोखा दे दिया।
एमपी मे पुरा दम लगा रहे अखिलेश!
अखिलेश के अब यह तीन दर्जन के करीब उम्मीदवार न केवल भाजपा से बल्कि कांग्रेस से भी मध्यप्रदेश की सियासी जंग मे लड़ेंगे। समाजवादी पार्टी मध्यप्रदेश मे अपने ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवार जीताने का भी भरसक प्रयास कर रही है। सियासत के जानकारों की माने तो यूपी से लगे मध्यप्रदेश के इलाकों मे समाजवादी पार्टी की अच्छी पकड़ और मजबूत संघठन भी है। सूत्रों की माने तो पार्टी अभी अपने और उम्मीदवार मध्यप्रदेश के चुनाव मे उतारने का विचार कर रही है जिसका खामयजा कांग्रेस को इस चुनाव मे दिखने वाला है। दोस्तों आप बताए कांग्रेस का मध्यप्रदेश मे समाजवादी पार्टी को धोखा देना उनके लिए कितना मुसीबत भरा होने वाला है।
Published By- Shikha Pandey
एमपी मे सपा से गठबंधन ना करना कांग्रेस के लिये मुसीबत?