कांग्रेस में अब ‘राहुल है तो मुश्किल है’, इस बड़ी गलती से हार गई कांग्रेस, लेना चाहिए ‘सबक’

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का ऐसा सफाया हुआ है की पार्टी के नेता भी फैरान रह गए हैं. मोदी के आगे राहुल खड़े होने के भी काबिल नहीं रहे. राहुल का 72 हज़ार का लुभावना वादा भी हवा हो गया. जनता ने राहुल को ऐसा जवाब दिया की वे अपनी अमेठी की सीट भी न बचा पाए.

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बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल को 55120 वोटों से हरा दिया है. राहुल की कुछ इज्जत बची है तो वो है वायनाड सीट से जीत पर. अगर राहुल वायनाड सीट से न खड़े होते तो वे मुँह दिखाने लायक भी न रहते. वो कहते हैं न कि ”सियासत में शिकस्त हो तो शान जाती है”. और इस लोकसभा चुनाव में यही हुआ. और पार्टी में राहुल की शान मिटटी में मिल गई.

कल परिणाम घोषित होने से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी हार मान ली थी. और उन्होंने केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को जीत की बधाई भी दी थी. राहुल ने कहा, अमेठी के नतीजे पर मैं कहना चाहूंगा कि स्मृति ईरानीजी जीती हैं, उन्हें मैं बधाई देना चाहता हूं. अमेठी की जनता ने अपना फैसला दिया है, मैं उस फैसले का सम्मान करता हूं. ये लोकतंत्र है. मैं चाहता हूं कि स्मृति ईरानीजी प्यार से अमेठी की जनता की देखभाल करें और जो भरोसा अमेठी की जनता ने उन पर जताया है, उसे वो पूरा करें.

आपको बतादें कि इस चुनाव में सिर्फ राहुल गाँधी ही नहीं हारे हैं बल्कि उनके कई दिग्गज नेता अपनी सीट गवां बैठे हैं. इसमें कांग्रेस के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के दिग्गज और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कई नेता शामिल हैं. खड़गे वो नेता हैं जो अब तक के 11 चुनावों में अपनी जीत दर्ज कर चुके हैं. खड़गे पहली बार चुनाव हार गए हैं.

उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर भी अपनी सीट गवां बैठे हैं. यूपी में कांग्रेस महज एक सीट जीत सकी है. वो हैं खुद सोनिया गाँधी जो रायबरेली से जीती हैं. यूपी में हार की जिम्मेदारी लेते यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने राहुल गांधी को इस्तीफा भेजा है. यूपी के फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के उम्मीदवार राजकुमार चाहर ने राज बब्बर पर तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की.

कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में अपने दम पर सिर्फ 59 सीट ही ला पाई है. सिर्फ ये गनीमत है की वो नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. अगर 55 सीटों से कम आते तो ये भी हक कांग्रेस खो देती. खैर अब आते हैं प्रियंका गाँधी पर. कांग्रेस के नेताओं और कई अन्य नेताओं का मानना भी था की प्रियंका के आने से कांग्रेस को फैयदा होगा. सीटें अच्छी आएंगी. मगर हुआ इसके विपरीत कांग्रेस ने अपनी आधी और सीटें गवां दी.

राहुल कहाँ हारे क्या आप जानते हैं. कांग्रेस ने जो चुनावी घोषणा पत्र बनाया था वो सबसे बेहतर था और चर्चा में भी था. मगर राहुल मोदी को हराने में अपने मुद्दे ही भूल गए बस मोदी हटाओ देश बचाओ में लगे रहे. राहुल अपनी सभी रैलियों में चौकीदार चोर है कहते रहे. राहुल ने ऐसी ही कई अनगिनत गलतियां की हैं. अगर वे मोदी का नाम छोड़कर अपने काम और योजनाओं पर ध्यान देते और पार्टी के नेताओं पर ध्यान देते तो जीत तो नहीं लेकिन नतीजे थोड़े अलग होते. शायद अमेठी भी बचा ले जाते.

कांग्रेस की कुछ सीटें उनके दिग्गज नेता सैम पित्रोदा के सिख दंगे पर दिए बयान से भी चली गईं. सैम पित्रोदा के 1984 के दंगों पर कहे गए ‘हुआ तो हुआ’ बयान को भी मोदी ने जमकर भुनाया. ऐसे ही विधानसभा में कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर ने मोदी को नीच कह दिया था और बीजेपी ने इसका पूरा फायदा उठा लिया था. और उस समय भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस को इस बारे में अब गंभीर विचार करना चाहिए. एक नई रणनीति बनानी चाहिए और राहुल गाँधी के बजाये अपने और दमदार नेता हो आगे करना चाहिए. और सबसे बड़ी बात की कांग्रेस को विवादित बयान वाले नेताओं पर लगाम लगानी चाहिए. सूत्रों से पता चला है कि कुछ नेताओं का कहना है की इस हार के बाद अब राहुल और प्रियंका दोनों को इस्तीफा दे देना चाहिए.

लोकसभा में कांग्रेस की इस करारी हार के बाद सोशल मीडिया पर राहुल का बड़े स्तर पर मज़ाक बन गया है. कई फोटो कमेंट बनाये जा रहे हैं. जैसे बीजेपी ने स्लोगन दिया था कि ”मोदी है तो मुमकिन है” इसी तरह अब कांग्रेस के लिए भी बन गया है. कि कांग्रेस में राहुल है तो मुश्किल है.

ये हैं वो बड़े नेता जो हार गए-
  1. राहुल गांधी – कांग्रेस – अमेठी
  2. ज्योतिरादित्य सिंधिया – कांग्रेस – गुना 
  3. सलमान खुर्शीद – कांग्रेस – फर्रुखाबाद
  4. शीला दीक्षित – कांग्रेस – उत्तर पूर्वी दिल्ली
  5. हरीश रावत – कांग्रेस – नैनीताल उधमसिंह नगर
  6. कीर्ति आजाद – कांग्रेस – धनबाद
  7. अजय माकन – कांग्रेस – नई दिल्ली
  8. उर्मिला मातोंडकर – कांग्रेस – उत्तर मुंबई
  9. दिग्विजय सिंह – कांग्रेस – भोपाल
  10. प्रिया दत्त – कांग्रेस – मुंबई उत्तर सेंट्रल
  11. राज बब्बर – कांग्रेस – फतेहपुर सीकरी
  12. शत्रुघ्न सिन्हा – कांग्रेस – पटना साहिब
  13. भूपिंदर सिंह हुड्डा – कांग्रेस –  सोनीपत
  14. दीपेंदर सिंह हुड्डा – कांग्रेस – रोहतक
  15. मल्लिकार्जुन खड़गे – कांग्रेस – गुलबर्ग

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