गुरु गोरखनाथ की मान्यता भारत के साथ पाकिस्तान में भी है, नेपाल बड़ा केन्द्र है: CM योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को हिंदी भवन के यशपाल सभागार में नाथ संप्रदाय की महत्ता पर प्रकाश डाला. साथ ही केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने भी अपने विचार रखे.

‘युग परिवर्तक महायोगी गोरखनाथ’ के तीन दिवसीय संगोष्ठी में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोरखनाथ पर आधारित राष्ट्रीय गोष्ठी में सभी का स्वागत है. बहुत गूढ़ विषय पर मंथन के लिए आप सब यहां जमा हुए हैं. मेरे लिए यह विषय ज्यादा महत्वपूर्ण है. मैं पिछले 25 वर्ष से इस परंपरा से जुड़ा हूं. गुरु गोरखनाथ ही नाथ सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे.
उन्हें लोग साक्षात शिव स्वरूप के रूप में मानते हैं. गुरु गोरखनाथ की मान्यता भारत के साथ पाकिस्तान, भूटान, नेपाल तथा म्यांमार में है. वे तो वहां की काफी लोकगाथाओं में हैं. उनकी उपस्थिति इतिहास और साहित्य की दृष्टि में अलग-अलग कालखंड में है. भारत में ऐसा कोई प्रांत नहीं है, जहां गोरखनाथ की स्वीकारोक्ति ना हो. त्रिपुरा में 35 प्रतिशत व असम की 15 प्रतिशत आबादी गोरखनाथ की अनुयायी है.
सम्पूर्ण देश में नाथ परम्परा के मठ व संत मौजूद हैं. नेपाल गोरखनाथ की आस्था का एक बड़ा केन्द्र है. काठमाण्डु में मृगस्थली में एक समय राजा बौद्ध हो गए थे. तब गोरखनाथ खुद नेपाल गए. मान्यता है राजा ने उनकी भी उपेक्षा की. तब गोरखनाथ ने वहां मेघों को बांध दिया था. तब 12 वर्ष नेपाल में बारिश नहीं हुई थी. फिर राजा ने माफी मांगी थी. इसलिए आज तक इसको लेकर वहां हर वर्ष बड़ा आयोजन होता है.
मलिक मोहम्मद जायसी ने भी अपने यहां गोरखनाथ का मंदिर बनाया था. उनका दृष्टिकोण राष्ट्र प्रेम का रहा है. उनका कोई साम्प्रदायिक दृष्टिकोण नहीं है. जाति और भाषा का बंधन नहीं है. हर भाषा मे उनका साहित्य मिलेगा. उनका साहित्य भरा पड़ा है. इसको संकलित करने की आवश्यकता है.