चंद्रयान-2: ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ लैंडर ‘विक्रम’, इस दिन उतरेगा चांद की सतह पर

चंद्रयान-2 ने कल रविवार शाम को पांचवीं और अंतिम कक्षा में प्रवेश कर लिया था. और आज सोमवार दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अलग हो गया है.

chandrayaan-2 orbiter successfully separated vikram lander
chandrayaan-2 orbiter successfully separated vikram lander

अभी ऑर्बिटर और लैंडर इसी कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं. विक्रम 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा. मगर अगले एक साल तक ऑर्बिटर इसी कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा. इनकी चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 119 किमी और अधिकतम दूरी 127 किमी है. ऑर्बिटर और लैंडर के अलग होने की प्रक्रिया को इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा है कि ये ऐसा ही है मानो बेटी अपने मायके से विदा हो जाएगी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि ये प्रक्रिया दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू हुई और एक बजकर 15 मिनट पर ऑर्बिटर से ‘विक्रम’ अलग हो गया. लैंडर विक्रम सात सितंबर को तड़के डेढ़ बजे से ढ़ाई बजे के बीच चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा.

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्र मिशन-2 का सबसे जटिल चरण है अगर सबकुछ ठीक रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

वहीं चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने की घटना के गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो मुख्यालय में मौजूद रहेंगे. पीएम मोदी के साथ स्पेस क्विज जीतने वाले देशभर के 50 बच्चे व उनके माता-पिता को भी इसरो ने आमंत्रित किया है.

वैसे चंद्रमा की सतह पर उतरना किसी विमान के उतरने जैसा बिलकुल भी नहीं है. श्रीहरिकोटा से निकला बाहुबली रॉकेट का एक हिस्सा लैंडर विक्रम 6-7 सितंबर के आस-पास चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. इसी दौरान कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि चंद्रयान-2 के रोवर और लैंडर चंद्रमा पर सही जगह और आसानी के लैंड कर जायें. चांद पर रोवर और लैंडर को आराम से उतारने के लिए प्रोपल्शन सिस्टम और आनबोर्ड कंप्यूटर का काम मुख्य रूप से होगा. और ये सभी काम खुद-ब-खुद होंगे. इसको कोई कंट्रोल नहीं कर सकता है.

चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ आर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर विक्रेम और दो पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं. पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं. चंद्रयान-2 की कुल लागत 978 करोड़ रुपये है.