सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया और 36 घंटे बाद मोदी ने कर दी CBI चीफ ‘आलोक वर्मा’ की छुट्टी, जानें कब क्या हुआ ?

77 दिन से चल रहे सीबीआई विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए आलोक वर्मा को दोबारा उनके पद पर नियुक्त कर दिया था. आलोक वर्मा अपने काम पर वापस लौटे. मगर आनन फानन उन्होंने ऐसे फैसले ले लिए. जिससे स्वयं प्रधानमंत्री को उन्हें हटाना पड़ा.

cbi controversy alok verma removed as cbi chief
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पद संभालते ही किये तबादले

दरअसल आलोक वर्मा ने जैसे ही पद संभाला डेढ़ दिन के अंदर कुल 18 अफसरों के तबादले का आदेश दे दिया. इसके साथ ही अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव के सभी फैसलों को भी पलट दिया. आलोक वर्मा ने पहले ही दिन अपने चहेते अफसर एके बस्सी, अश्वनी गुप्ता, एसपी ग्रुम और ज्वाइंट डायरेक्टर एके शर्मा को वापस बुला लिया. वर्मा के इन्ही सब फैसलों को देखते हुए पीएम मोदी ने अपने आवास पर सेलेक्ट कमेटी बुलाई.

क्या होती है सेलेक्ट कमेटी ?

सेलेक्ट कमेटी में सिर्फ चुने हुए मंत्री और अधिकारी होते हैं. और सीबीआई निदेशक का चयन मतलब उनको रखना है या नहीं रखना ये सिर्फ तीन लोग ही तय करते हैं. पहला तो देश के प्रधानमंत्री दूसरा उच्चतम न्यायालय के नामित जज और तीसरा विपक्ष का एक नेता होता है. तो जब आलोक वर्मा के लिए पीएम मोदी ने सेलेक्ट कमेटी बुलाई तो उसमें प्रधानमंत्री और जस्टिस एके सीकरी और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ये तीन लोग शामिल थे.

बहुमत से हटाया

पीएम की अगुवाई वाली सेलेक्ट कमेटी ने करीब डेढ़ घंटे तक चर्चा की उसके बाद निष्कर्ष निकला. पीएम मोदी और जस्टिस एके सीकरी आलोक वर्मा को हटाने के लिए तैयार थे. मगर नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस बात से सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि आलोक वर्मा को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए. लेकिन 2-1 के बहुमत से फैसला लिया गया. और आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद से हटा दिया गया. अब नागेश्वर राव दोबारा सीबीआई प्रमुख का पद संभाल लिया है.

क्या था मामला ?

गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम चीफ बनाये गए थे. और उनकी नियुक्ति को वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी. इसके बाद फरवरी 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाया गया. सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक वर्मा ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध कर दिया. विरोध के साथ ही उन्होंने कहा था कि अस्थाना पर कई आरोप हैं, वे सीबीआई में रहने लायक नहीं हैं. वहीं से मामला गर्मा गया और फिर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़ा मुद्दा सामने आया और उसके बाद अस्थाना और वर्मा ने एकदूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगा दिए. मामला आगे बढ़ता देख केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था.

कौन हैं आलोक वर्मा ?

आलोक वर्मा 1979 की बैच के आईपीएस अफसर हैं. और वर्मा का सीबीआई में कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म हो रहा था. अब उनको डायरेक्टर के पद से हटा कर सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बनाया गया है.

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