बीजेपी के आशीर्वाद के बाद भी पिटी अक्षय की फिल्म पृथ्वीराज..

दर्शक गायब थियेटरों ने कैंसिल किए शो. (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP)
दोस्तों फिल्में किसके लिए बनती हैं..दर्शकों के लिए..और जब फिल्में हिंदू के लिए बनती हैं..जब फिल्में मुसलमान के लिए बनती हैं..और जब फिल्में सरकार को खुश करने के लिए बनती हैं..तो उनका वही हाल होता है जो अक्षय कुमार (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) कि पिक्चर पृथ्वीराज चौहान का हुआ..जनता को एक दो बार हिंदू मुसलमान बनाकर फिल्म दिखाकर ठगा जा सकता है..लेकिन बार बार नहीं..अक्षय कुमार भी विवेक अग्निहोत्री के नक्शेकदम पर चलना चाहते थे..लेकिन बुरी तरह फेल हुए हैं..
अभिनेता अक्षय कुमार और निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी अपनी फिल्म सम्राट पृथ्वीराज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और हिंदू ह्रदय सम्राट योगी आदित्यनाथ को दिखाकर भी बचा (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) नहीं पाए.. लगभग 300 करोड़ की लागत वाली फिल्म ने 5 दिन में 50 कोरोड़ कमाए..दर्शक ना होने की वजह से मंगलवार और बुधवार को तो शो ही कैंसिल करने पड़ गए..बहुत जल्द अब अमेजन प्राइम पर आप पिक्चर देख लीजिएगा..
पिक्चर का जिस तरह से बुरा हाल हुआ है..उस हिसाब से अगर साक्षात् प्रधानमंत्री मोदी , गृहमंत्री अमित शाह, तमाम केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के तमाम नेता इसका उसी तरह प्रचार करें जैसे कश्मीर फाइल्स का किया था, तो शायद कुछ लोग और देख लें मगर तब भी नुक़सान की भरपाई होना बहुत मुश्किल है..हमारे लिए ये पिक्चर देखी है वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव जी ने..
उन्होंने कहा कि जब वो फिल्म देख रहे थे तो सिनेमाहॉल में बमुश्किल 30-35 लोग बैठे थे..कुल एक बार सिर्फ एक व्यक्ति ने इंटरवल के बाद एक संवाद पर ताली बजाई जब अक्षय कुमार नारी मुक्ति पर डायरेक्टर साहब की समझ से बहुत ज़ोरदार लिखी गई तक़रीर कर रहे थे.. उत्तर प्रदेश सरकार ने फिल्म को टैक्स फ़्री (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) कर दिया है लेकिन टिकट खिड़की पर बैठी लड़की ने टिकट के दाम के बारे में पूछने पर सपाट लहजे में कहा – अभी हमारे पास ऐसा कोई सर्कुलर नहीं आया है..
फिल्म शुरुआत में और आख़िर में असर छोड़ती है। हालांकि दोनों बार ऑस्कर विजेता फिल्म ग्लैडियेटर की झलक आती रही। पूरी फिल्म फ़्लैशबैक में है। डिस्क्लेमर में ये साफ कर दिया गया है कि ये फिल्म मुख्यत: चंदबरदाई के पृथ्वीराज रासो पर आधारित है। फिल्म के शुरुआती हिस्से में पृथ्वीराज (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) का बखान करते हुए एक गाना चलता है जिसमें उनकी तुलना गोकुल के कृष्ण और कुरुक्षेत्र के अर्जुन से की गई है।
फिल्म देखते हुए ऐसा लगा कि निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी ये तय नहीं कर पाये हैं कि पृथ्वीराज -संयोगिता की प्रेम कहानी पर ज्यादा फोकस करें, पृथ्वीराज और जयचंद की कहानी पर फोकस करें या पृथ्वीराज और मोहम्मद गौरी के संघर्ष पर फोकस करें..कहानी में इस कनफ्यूज़न की वजह से फिल्म को नुक़सान हुआ है..
प्रेमी युगल पृथ्वीराज और संयोगिता की भूमिका में अक्षय कुमार और मानुषी छिल्लर नहीं जमते..दोनों के बीच परदे पर कोई केमिस्ट्री नहीं दिखती..अक्षय कुमार जीतेंद्र स्कूल ऑफ़ एक्टिंग के अभिनेता हैं। पृथ्वीराज जैसे ऐतिहासिक चरित्र के निर्वाह में वह असर नहीं छोड़ पाए..चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने उनके लिए ग़ालिब के दौर की उर्दू फ़ारसी वाले संवाद क्यों लिखे ये समझ नहीं आया..उनके मुकाबले मानव विज ने मोहम्मद गौरी के किरदार में अच्छा (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) काम किया है..अब तक उड़ता पंजाब, गुंजन सक्सेना और अंधाधुन जैसी फिल्मों में छोटी छोटी भूमिकाओं में दिखते रहे मानव विज को पहली बार एक बड़ा ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला है..हालांकि उनको भी फुटेज ज्यादा नहीं मिला है..
मानुषी छिल्लर ने पहली ही फिल्म में आत्मविश्वास ज़रूर दिखाया है, संवाद अदायगी ठीक है , जौहर से पहले उन पर फ़िल्माया गया योद्धा वाला गीत अच्छा है लेकिन संयेगिता की भूमिका के लिए जिस ग्रेस और आत्मविश्वास वाले किरदार की कल्पना की जा सकती है, उसका उनमें अभाव दिखता है..मौजूदा अभिनेत्रियों में कियारा अडवानी शायद बेहतर चुनाव होतीं। रनवीर सिंह शायद बेहतर पृथ्वीराज होते..
चंद बरदाई की भूमिका में सोनू सूद का काम अच्छा है। जयचंद के किरदार में आशुतोष राणा और उनकी पत्नी की भूमिका में साक्षी तंवर का अभिनय भी अच्छा है। रंगमंच और फिल्मों के मँजे हुए कलाकार राजेंद्र गुप्ता और मनोज जोशी एक-दो सीन वाली भूमिकाओं में भी अपना दमख़म दिखा देते हैं..कैमरा बहुत शानदार किया गया है,…सेट की भव्यता को आंखे निहारती (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) रह जाती हैं..गाने वरुण ग्रोवर ने लिखे हैं औसत संगीत की वजह से पूरी फिल्म के बाद भी हाल से निकलते वक्त आप एक गाना भी नहीं गुनगुना सकते..उदार होकर फिल्म की सर्वश्रेष्ठ प्रशंसा में भी ये कहा जा सकता है कि यह कुल मिलाकर बेहद औसत फिल्म है..
हमने तो पहले ही दिन कह दिया था योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और मोहन भागवत आदि के आशीर्वाद और टैक्स फ़्री के टोटके के बावजूद पिक्चर बचने वाली नहीं है। किसी दुर्भावना या पूर्वाग्रह की वजह से नहीं कहा था, फिल्म जैसी बनी है,यही हश्र होना था। हिंदी पट्टी के लाभार्थी हर राष्ट्रवादी पिक्चर (Akshay kumar movie did not work even after the blessings of BJP) का टिकटार्थी हो जाए तो शायद पिक्चर बच सकती है..अब बहुत जल्द सम्राट पृथ्वीराज अमेज़न प्राइम वीडियो पर दिखाई देगी..बच्चन पांडे की तरह इस फिल्म केलिए भी यही रास्ता बचा है..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.