karnataka में BJP की दुर्गति होने वाली है ? 3 मुख्यमंत्री बदले, फिर भी हालत खस्ता

224 विधनसभा सीटों वाले..कर्नाटक ( Karnataka ) में चुनावों की घोषणा हो चुकी है। 10 मई को चुनाव होंगे और 13 मई को नतीजे आएंगे..दोस्तों कर्नाटक में बीजेपी गुटबाजी के घेरे में बुरी तरह फंसी हुई है । कर्नाटक ( Karnataka ) में गुटबाजी और बिखराव की हालत ये है कि पांच साल में भारतीय जनता पार्टी को तीन सीएम बदलने पड़े हैं । भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लोग 30 परसेंट वाली सरकार कहते हैं ।

2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव

2018 में कर्नाटक ( Karnataka ) में विधानसभा चुनाव हुए..येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाया गया..बहुमत साबित नहीं कर पाए…फिर कांग्रेस और देवेगौड़ा की जीडीएस ने मिलकर सरकार बनाई..तीसरे नंबर की पार्टी और देवेगौड़ा के बेटे कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बने..उसके बाद बीजेपी ने वही किया जो हर जगह करती है..गठबंधन के विधायक होटल में छिप गए..बहुत सारे नाटक हुए..कांग्रेस और जेडीएस सरकार गिर गई..कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद से पैदल हो गए ।

13 महीने की सरकार चलने के बाद लिंगायतों के यानी अपरकास्ट के सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया…येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बन गए..लेकिन फिर दो साल बाद येदियुरप्पा को हटा दिया गया..कुछ ने कहा केवल दो साल के लिए ही बने थे..ये समझौता था…कुछ ने कहा दिल्ली वाले दो लोगों ने येदियुरप्पा को हटा दिया है…येदियुरप्पा फिर हटे अब बोम्मई कर्नाटक ( Karnataka ) के सीएम हैं । पिछले 40 सालों में कर्नाटक का रिकॉर्ड रहा है कि कोई एक दल दो बार लगातार सरकार नहीं बना पाया है..इस बार की हालत ये थी..राज्य को 4 सीएम मिले…दो बार येदियुरप्पा..एक बार कुमार स्वामी और एक बार बोम्मई ।

कर्नाटक में इन तीन पार्टियों की लड़ाई

कर्नाटक में वोट का गणित समझिए

कर्नाटक ( Karnataka ) में लड़ाई केवल कांग्रेस और बीजेपी के बीच नहीं है । यहां तीन पार्टियां हैं..एक बीजेपी दूसरी कांग्रेस और तीसरी जेडीएस मतलब जनता दल सेक्युलर..जोकि पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व सीएम देवेगौड़ा की पार्टी है..दोस्तों जैसे उत्तर भारत में जातियों की राजनीति होती है..वैसे ही दक्षिण भारत में भी है । दक्षिण में लिंगायत समाज अपरकास्ट वोटर है । मतलब येदुरप्पा जो कि कर्नाटक के सीएम थे..वो लिंगायत थे..और वर्तमान में बीजेपी के सीएम बसवराज बोम्मई भी लिंगायत है । कर्नाटक में दूसरी सबसे बड़ी जति है वोक्कालिंगा..इस जाति के ज्यादातर वोटर देवेगौड़ा वाली पार्टी जेडीएस के साथ हैं । कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डी.के शिवकुमार भी वोक्कालिंगा हैं ।

कर्नाटक ( Karnataka ) में लिंगायत 17 फ़ीसदी हैं..वोक्कालिंगा 11%, दलित 19%, मुस्लिम- 16% और दूसरी जातियां 21% हैं..ये भी हैरानी की बात थी कि कर्नाटक में बीजेपी के पास सीटें ज्याादा थीं लेकिन वोट प्रतिशत कांग्रेस के पास ज्यादा था..इसको थोड़ा समझिए..बीजेपी को 36 प्रतिशत जनता ने वोट देकर 104 सीटें जिताई थीं..जबकि कांग्रेस को 38 प्रतिशत जनता ने वोट दिया था..लेकिन सीटें केवल 78 ही मिली थीं..जेडीएस को 18 प्रतिशत वोट के साथ 37 सीटें मिली थीं ।

बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार

कर्नाटक ( Karnataka ) को बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार कहा जाता है । साउथ इंडिया का पहला राज्य कर्नाटक है..जहां बीजेपी सरकार बना पाई थी..दोस्तों कभी कर्नाटक को कांग्रेस का गढ़ था..80 के दशक तक कांग्रेस की यहां तूती बोलती थी । लेकिन समाजवादी आंदोलन का हिस्सा रहे रामकृष्ण हेगड़े के जनता दल के उदय और फिर देवेगौड़ा की जेडीएस के बनने से कांग्रेस का नुकसान शुरू हो गया और फिर 90 के दशक में बीजेपी के उदय ने कांग्रेस को और हाशिये पर डाल दिया..लेकिन कांग्रेस ने बुरे से बुरे वक्त में भी 26 फीसदी से कम वोट कभी नहीं पाए ।

दक्षिण में बीजेपी के मुद्दे क्या हैं ?

दक्षिण में भी बीजेपी के पास .हिंदू मुसलमान..फ्री राशन..हिंदुत्व और राष्ट्रवाद ही मेन मुद्दे हैं। साथ में हिजाब-बुर्का, हनुमान-जन्मभूमि, राम मंदिर, पीएफआई, टीपू सुल्तान, परिवारवाद जैसे दूसरे मुद्दे हैं..कांग्रेस के पास बीजेपी को घेरने के लिए भ्रष्टाचार, पूंजीपतियों से हमदर्द..पुरानी पेंशन जैसे मु्द्दे हैं। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से ही हैं..और यहां उनकी पहली बड़ी परीक्षा होने वाली है । दोस्तों कर्नाटक में कावेरी जल विवाद, महाराष्ट्र के साथ सीमा और भाषा विवाद, बेलगवी का मामला..कन्नड़ बनाम हिंदी यहां की जनता से सीधे जुड़े मुद्दे हैं । इन मुद्दों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों स्टैंड लेने से बचती हैं..लेकिन जेडीएस खुलकर खेलती है ।

लिंगायतों पर भरोसा कर रही है भाजपा

बीजेपी लिंगायतों पर भरोसा कर रही है..जेडीएस वोक्कालिंगो पर और कांग्रेस मुस्लिम पिछडो़ं और दलितों को साध रही है..कर्नाटक में बीजेपी ने 5 साल में तीन सीएम बदले फिर भी एमएलसी और दो उपचुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है..सीएम बदलने के बाद भी एंटी इनकमबैसी फैक्टर कम नहीं हुआ है..बीजेपी के भीतर गुटबाजी चरम पर है..और कहते हैं बीजेपी ने इसी डर से बीबीएमपी यानी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के चुनाव नहीं कराए हैं…जो बीजेपी के डर को दिखाता है । कहते हैं इस बार येदियुरप्पा बीजेपी को दक्षिण में अपी ताकत का एहसास कराने के मूड में हैं ।

दोस्तों अगर विपक्ष भीतर खाने समझौता करके लड़ेगा तो कर्नाटक ( Karnataka ) में बीजेपी को हराना बिल्कुल आसान है..अगर वोटों का बिखराव हुआ तो एक चरण में होने जा रहे चुनाव की डगर कठिन होने वाली है । दोस्तों कार्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले का ये मोटा मोटा गुणा गणित है ।